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कर्नाटक हाईकोर्ट की सख्ती, कहा- सार्वजनिक सड़क पर विरोध, रैलियों की अनुमति न दे सरकार

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सरकार सार्वजनिक सड़क पर विरोध, रैलियों की अनुमति न दे. अदालत ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों को कर्नाटक पुलिस अधिनियम-1963 (karnataka police act 1963) और आईपीसी की धारा 188 के तहत दंडित (Karnataka HC IPC section 188) किया जाना चाहिए. पीआईएल पर अंतरिम आदेश में कर्नाटक हाईकोर्ट ने निर्देश (karnataka hc justice arvind pil interim direction) दिए. गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस की मेकेदातु पदयात्रा के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ था. इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी. बाद में कांग्रेस ने यात्रा स्थगित कर दी.

Karnataka High court on protest and rallies
विरोध प्रदर्शन पर कर्नाटक सरकार
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Published : Mar 3, 2022, 3:42 PM IST

Updated : Mar 3, 2022, 6:28 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन की जगह को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि फ्रीडम पार्क को छोड़कर किसी भी जगह या सार्वजनिक सड़क पर विरोध, रैलियों की अनुमति न दी जाए. खबरों के मुताबिक कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार (Chief Justice Ritu Raj Awasthi and Justice SR Krishna Kumar) ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए. पीठ ने कहा कि ये अंतरिम निर्देश जनहित याचिका के लंबित रहने के दौरान लागू रहेंगे. वर्ष 2021 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. बता दें कि मेकेदातु परियोजना लागू करने की मांग को लेकर कांग्रेस द्वारा निकाली जा रही पदयात्रा के दौरान कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन के आरोप लगे थे. इस मामले में कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार सहित पार्टी के 64 नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है.

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को किसी भी समूह, संगठन या किसी भी विरोध, जुलूस, प्रदर्शन, रैली या मार्च को तत्काल प्रभाव से अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया. विरोध और रैलियों के कारण ट्रैफिक जाम से पीड़ित रहे बेंगलुरु निवासियों को राहत देते हुए अदालत ने कहा, फ्रीडम पार्क, गांधीनगर में निर्दिष्ट स्थान को छोड़कर शहर में किसी भी स्थान या सार्वजनिक सड़क पर राजनीतिक दल विरोध और रैलियां नहीं करेंगे. फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन या जनसभा करने की अनुमति देते हुए, अदालत ने कहा कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी गतिविधियां संगठित तरीके से आयोजित की जाएं. अदालत ने कहा कि यातायात की आवाजाही को बाधित किए बिना प्रोटेस्ट हो. कोर्ट ने कहा, विशेष रूप से व्यस्त समय के दौरान आम जनता को कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए.

प्रदर्शनों के गंभीर प्रभाव
दिलचस्प है कि कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ ने जनहित याचिका लंबित रहने के बावजूद अंतरिम निर्देश जारी किया. अदालत ने कहा, बेंगलुरु की विभिन्न सड़कों पर प्रदर्शनों और जुलूसों के गंभीर परिणाम होते हैं. इसके अलावा यातायात सहित अन्य दैनिक गतिविधियों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है. अदालत ने कहा, कानून के अनुसार ऐसी गतिविधियों को विनियमित करने के लिए बनाए गए नियमों से जुड़े कई मुद्दों की जांच की जानी है.

हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने दिखाई सख्ती
बता दें कि मेकेदातु पदयात्रा के बेंगलुरु के दक्षिण और पश्चिमी हिस्सों में यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था. इससे पहले गत जनवरी महीने में मेकेदातु परियोजना पर कांग्रेस की पदयात्रा को लेकर कर्नाटक सरकार ने सख्ती दिखाई थी. कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा था कि मेकेदातु पदयात्रा को आगे बढ़ाने की अनुमति (Permission to proceed with Mekedatu padyatra) नहीं दी जाएगी. इस संबंध में जिला आयुक्त और पुलिस विभाग को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें यात्रा आगे नहीं बढ़ने दी जाएगी. अगर उन्होंने पदयात्रा नहीं रोकी, तो सरकार इसे रोकने के लिए जो जरूरी होगा, वह करेंगे.

यह भी पढ़ें- कर्नाटक सरकार की सख्ती के बाद कांग्रेस ने बदला फैसला, मेकेदातु पदयात्रा स्थगित

आम जनजीवन प्रभावित, चीफ जस्टिस ने लिया संज्ञान
कर्नाटक हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति अरविंद कुमार द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र (Justice Aravind Kumar letter to karnataka chief justice) पर स्वत: संज्ञान लिया और इस मामले को जनहित याचिका के रूप में सूचीबद्ध किया. जस्टिस अरविंद उस समय कर्नाटक के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे और वर्तमान में जस्टिस अरविंद गुजरात के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं. जस्टिस अरविंद ने अपने पत्र में आम जनता के सामने आने वाली कठिनाईयों का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि बेंगलुरु में सार्वजनिक सड़कों पर लगातार विरोध, प्रदर्शन और रैलियों के कारण भारी ट्रैफिक जाम होता है और इससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होता है.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा
बता दें कि करीब एक साल पहले 2 मार्च, 2021 को बेंगलुरु में पूरे दिन ट्रैफिक जाम देखा गया था. अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंगनवाड़ी और राज्य सार्वजनिक परिवहन निगमों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शनों और रैलियों का सहारा लिया था. इसके बाद जस्टिस अरविंद ने कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था.

यह भी पढ़ें-

पदयात्रा से थमी 'सिलिकॉन वैली' की रफ्तार
दरअसल, मेकेदातु पदयात्रा के दूसरे चरण (2nd phase of Mekedatu Padayatra) के दौरान मैसूर रोड-आउटर रिंग रोड (Mysuru Road - Outer Ring Road) जंक्शन पर नयनदहल्ली (Nayandahalli) में कांग्रेस समर्थकों की पदयात्रा के दौरान शहर के दक्षिण और पश्चिमी हिस्सों में यातायात की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई थी. मेकेदातु पदयात्रा के दूसरे चरण में कर्नाटक कांग्रेस नेताओं ने कावेरी नदी से जुड़ी जलाशय संतुलन परियोजना के कार्यान्वयन की मांग (balancing reservoir project across Cauvery Mekedatu) के साथ रामनगरम से नेशनल कॉलेज ग्राउंड, बसवनगुडी (Ramanagaram to National College Ground Basavanagudi) तक पदयात्रा की थी.

बेंगलुरु : कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन की जगह को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि फ्रीडम पार्क को छोड़कर किसी भी जगह या सार्वजनिक सड़क पर विरोध, रैलियों की अनुमति न दी जाए. खबरों के मुताबिक कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार (Chief Justice Ritu Raj Awasthi and Justice SR Krishna Kumar) ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए. पीठ ने कहा कि ये अंतरिम निर्देश जनहित याचिका के लंबित रहने के दौरान लागू रहेंगे. वर्ष 2021 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. बता दें कि मेकेदातु परियोजना लागू करने की मांग को लेकर कांग्रेस द्वारा निकाली जा रही पदयात्रा के दौरान कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन के आरोप लगे थे. इस मामले में कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार सहित पार्टी के 64 नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है.

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को किसी भी समूह, संगठन या किसी भी विरोध, जुलूस, प्रदर्शन, रैली या मार्च को तत्काल प्रभाव से अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया. विरोध और रैलियों के कारण ट्रैफिक जाम से पीड़ित रहे बेंगलुरु निवासियों को राहत देते हुए अदालत ने कहा, फ्रीडम पार्क, गांधीनगर में निर्दिष्ट स्थान को छोड़कर शहर में किसी भी स्थान या सार्वजनिक सड़क पर राजनीतिक दल विरोध और रैलियां नहीं करेंगे. फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन या जनसभा करने की अनुमति देते हुए, अदालत ने कहा कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी गतिविधियां संगठित तरीके से आयोजित की जाएं. अदालत ने कहा कि यातायात की आवाजाही को बाधित किए बिना प्रोटेस्ट हो. कोर्ट ने कहा, विशेष रूप से व्यस्त समय के दौरान आम जनता को कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए.

प्रदर्शनों के गंभीर प्रभाव
दिलचस्प है कि कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ ने जनहित याचिका लंबित रहने के बावजूद अंतरिम निर्देश जारी किया. अदालत ने कहा, बेंगलुरु की विभिन्न सड़कों पर प्रदर्शनों और जुलूसों के गंभीर परिणाम होते हैं. इसके अलावा यातायात सहित अन्य दैनिक गतिविधियों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है. अदालत ने कहा, कानून के अनुसार ऐसी गतिविधियों को विनियमित करने के लिए बनाए गए नियमों से जुड़े कई मुद्दों की जांच की जानी है.

हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने दिखाई सख्ती
बता दें कि मेकेदातु पदयात्रा के बेंगलुरु के दक्षिण और पश्चिमी हिस्सों में यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था. इससे पहले गत जनवरी महीने में मेकेदातु परियोजना पर कांग्रेस की पदयात्रा को लेकर कर्नाटक सरकार ने सख्ती दिखाई थी. कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा था कि मेकेदातु पदयात्रा को आगे बढ़ाने की अनुमति (Permission to proceed with Mekedatu padyatra) नहीं दी जाएगी. इस संबंध में जिला आयुक्त और पुलिस विभाग को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें यात्रा आगे नहीं बढ़ने दी जाएगी. अगर उन्होंने पदयात्रा नहीं रोकी, तो सरकार इसे रोकने के लिए जो जरूरी होगा, वह करेंगे.

यह भी पढ़ें- कर्नाटक सरकार की सख्ती के बाद कांग्रेस ने बदला फैसला, मेकेदातु पदयात्रा स्थगित

आम जनजीवन प्रभावित, चीफ जस्टिस ने लिया संज्ञान
कर्नाटक हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति अरविंद कुमार द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र (Justice Aravind Kumar letter to karnataka chief justice) पर स्वत: संज्ञान लिया और इस मामले को जनहित याचिका के रूप में सूचीबद्ध किया. जस्टिस अरविंद उस समय कर्नाटक के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे और वर्तमान में जस्टिस अरविंद गुजरात के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं. जस्टिस अरविंद ने अपने पत्र में आम जनता के सामने आने वाली कठिनाईयों का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि बेंगलुरु में सार्वजनिक सड़कों पर लगातार विरोध, प्रदर्शन और रैलियों के कारण भारी ट्रैफिक जाम होता है और इससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होता है.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा
बता दें कि करीब एक साल पहले 2 मार्च, 2021 को बेंगलुरु में पूरे दिन ट्रैफिक जाम देखा गया था. अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंगनवाड़ी और राज्य सार्वजनिक परिवहन निगमों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शनों और रैलियों का सहारा लिया था. इसके बाद जस्टिस अरविंद ने कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था.

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दरअसल, मेकेदातु पदयात्रा के दूसरे चरण (2nd phase of Mekedatu Padayatra) के दौरान मैसूर रोड-आउटर रिंग रोड (Mysuru Road - Outer Ring Road) जंक्शन पर नयनदहल्ली (Nayandahalli) में कांग्रेस समर्थकों की पदयात्रा के दौरान शहर के दक्षिण और पश्चिमी हिस्सों में यातायात की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई थी. मेकेदातु पदयात्रा के दूसरे चरण में कर्नाटक कांग्रेस नेताओं ने कावेरी नदी से जुड़ी जलाशय संतुलन परियोजना के कार्यान्वयन की मांग (balancing reservoir project across Cauvery Mekedatu) के साथ रामनगरम से नेशनल कॉलेज ग्राउंड, बसवनगुडी (Ramanagaram to National College Ground Basavanagudi) तक पदयात्रा की थी.

Last Updated : Mar 3, 2022, 6:28 PM IST
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