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कर्नाटक HC ने 23 साल के युवक के खिलाफ रेप आरोपों को किया रद्द

कर्नाटक हाईकोर्ट ने पॉक्सो और भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे 23 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया.

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Published : Aug 24, 2022, 1:02 PM IST

Updated : Aug 24, 2022, 1:19 PM IST

कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट

बेंगलुरु : कर्नाटक हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPS) के तहत बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे 23 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है. 17 वर्षीय पीड़िता ने 18 साल की उम्र होने पर आरोपी से शादी कर ली और दंपति का एक बच्चा भी हुआ, जबकि मामला सत्र न्यायालय में लंबित था.

हाई कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध को शायद ही साबित कर सकता है. अभियोजन पक्ष के विरोध को नजरअंदाज करते हुए अदालत ने कहा कि पक्षों के समझौते पर पहुंचने के कारण कार्यवाही को समाप्त करना उचित है. जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा, "इन तथ्यों पर गौर किया गया कि आरोपी और पीड़ित अब विवाहित हैं और बच्चे का पालन पोषण कर रहे हैं. इससे यह स्पष्ट है कि अगर अदालत विवाहित जोड़े के लिए अपने दरवाजे बंद कर देती है तो पूरी कार्यवाही का परिणाम न्याय की विफलता होगा."

पीड़िता के पिता ने मार्च 2019 में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी नाबालिग बेटी लापता है. तलाश किए जाने पर युवती आरोपी के साथ मिली थी. दोनों ने दावा किया कि उन्होंने सहमति से यह कदम उठाया था. हालांकि, लड़की की उम्र महज 17 साल थी और आरोपी के खिलाफ पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया गया था. 18 महीने जेल में रहने के बाद आरोपी को जमानत मिल गई थी.रिहाई के बाद जोड़े ने नवंबर 2020 में शादी की. एक साल बाद उन्हें एक लड़की हुई. अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने जिक्र किया कि कई संवैधानिक अदालतों ने पीड़िता और आरोपी की शादी के बाद मुकदमे के लंबित रहने के दौरान आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

बेंगलुरु : कर्नाटक हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPS) के तहत बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे 23 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है. 17 वर्षीय पीड़िता ने 18 साल की उम्र होने पर आरोपी से शादी कर ली और दंपति का एक बच्चा भी हुआ, जबकि मामला सत्र न्यायालय में लंबित था.

हाई कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध को शायद ही साबित कर सकता है. अभियोजन पक्ष के विरोध को नजरअंदाज करते हुए अदालत ने कहा कि पक्षों के समझौते पर पहुंचने के कारण कार्यवाही को समाप्त करना उचित है. जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा, "इन तथ्यों पर गौर किया गया कि आरोपी और पीड़ित अब विवाहित हैं और बच्चे का पालन पोषण कर रहे हैं. इससे यह स्पष्ट है कि अगर अदालत विवाहित जोड़े के लिए अपने दरवाजे बंद कर देती है तो पूरी कार्यवाही का परिणाम न्याय की विफलता होगा."

पीड़िता के पिता ने मार्च 2019 में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी नाबालिग बेटी लापता है. तलाश किए जाने पर युवती आरोपी के साथ मिली थी. दोनों ने दावा किया कि उन्होंने सहमति से यह कदम उठाया था. हालांकि, लड़की की उम्र महज 17 साल थी और आरोपी के खिलाफ पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया गया था. 18 महीने जेल में रहने के बाद आरोपी को जमानत मिल गई थी.रिहाई के बाद जोड़े ने नवंबर 2020 में शादी की. एक साल बाद उन्हें एक लड़की हुई. अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने जिक्र किया कि कई संवैधानिक अदालतों ने पीड़िता और आरोपी की शादी के बाद मुकदमे के लंबित रहने के दौरान आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 24, 2022, 1:19 PM IST
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