बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार को बीबीएमपी चुनाव के लिए छह सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का आदेश दिया है. कांग्रेस पार्टी के पूर्व सदस्य एम शिवराजू द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है. याचिका में शिवराजू ने पुरानी नगरपालिका के लिए चुनाव करवाने का आह्वान किया है.
चीफ जस्टिस ए एस ओका की अध्यक्षता वाली डिविजनल बेंच ने 25 नवंबर को शिवराजू द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई पूरी की और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इसके बाद आज दोपहर पीठ ने अपना आदेश सुनाया और राज्य चुनाव आयोग को चुनाव कराने का निर्देश दिया है. चूंकि वार्ड का आवंटन पहले ही पूरा हो चुका है. इसलिए कोर्ट ने सरकार को चुनाव के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी निर्देश दिया है.
23 जून, 2020 को जारी किए गए वार्डों के अनुसार बीबीएमपी चुनाव मार्च के अंत तक होने की संभावना है. अपने फैसले में राज्य सरकार ने मौजूदा 198 वार्डों को बढ़ाकर 243 वार्ड करने के लिए KMC अधिनियम में संशोधन किया है, लेकिन यह चुनाव पर लागू नहीं होता है.
इस प्रकार नया अधिनियम इस चुनाव पर लागू नहीं होता है और चुनाव स्थगित नहीं हो सकता है. इसलिए यह स्पष्ट है कि चुनाव संविधान के अनुच्छेद 243 (यू) के अनुसार किया जाना चाहिए.
याचिका पर सुनवाई के लिए याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रो रवि वर्मा और याचिका की पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील केएन फनींद्र ने कहा कि सरकार चुनाव स्थगित करने के इरादे से राज्य में वार्डों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रही है.
इसी क्रम में नगरपालिका की अवधि समाप्त होने से पहले एक प्रशासक नियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चुनाव पर रोक लगाने के लिएअदालत में कदम रखना निंदनीय था. अगर सरकार इस कदम को उठाती है, तो चुनाव एक साल से अधिक समय तक चलेगा.
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सरकार की ओर से बहस करने वाले अधिवक्ता ने कहा कि सरकार का चुनाव स्थगित करने का कोई इरादा नहीं है. वार्डों को बढ़ाने की आवश्यकता है और इसके लिए अधिनियम में संशोधन किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वार्ड को मंजूरी दी जाएगी और जल्द से जल्द से चुनाव कराने के लिए कार्रवाई की जाएगी.