बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार ने राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) सरकार में कोरोना वायरस महामारी के दौरान दवाइयों, उपकरणों की खरीदारी और ऑक्सीजन की आपूर्ति में हुई कथित अनियमितताओं की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में समिति का गठन किया है. सरकार ने शुक्रवार को इस संबंध में एक आदेश जारी कर उम्मीद जताई कि न्यायमूर्ति जॉन माइकल डी ’कुन्हा की अगुवाई वाली समिति तीन महीने में रिपोर्ट सौंपेगी.
सरकारी आदेश में कहा गया है कि सरकार ने जुलाई-अगस्त में लोक लेखा समिति की रिपोर्ट में दवाओं एवं उपकरणों की खरीद और ऑक्सीजन आपूर्ति संबंधी कुप्रबंधन को लेकर लगाए गए आरोपों को गंभीरता से लिया है. इन कथित गड़बड़ियों के कारण कई लोगों की मौत हुई. आदेश में आगे कहा गया है कि संबंधित विभागों को जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज और एक कार्यालय संचालित करने के लिए जरूरी कर्मचारी, स्थान, लेखन सामग्री, वाहन और उपकरण सहित सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करनी होंगी.
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान कोरोना वायरस महामारी से निपटने में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाती रही है. उसने सत्ता में आने पर अनियमितताओं के आरोपों की निष्पक्ष जांच कराने का वादा किया था. अब सरकार ने अपने वादे को निभाते हुए अनियमित्ता की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है सरकार को उम्मीद है कि यह कमेटी 3 महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
गौरतलब है कि मई 2023 में कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन हुआ था. भाजपा को हराकर कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई और सिद्दारमैया मुख्यमंत्री बने थे. तब से उन्होने कोविड को लेकर सतर्कता दिखाई थी. इससे पहले कर्नाटक में मौजूदा सरकार पर विपक्ष ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और विकास कार्यों में कमी का आरोप लगाते हुए बेंगलुरू में विरोध प्रदर्शन किया था और चुनावी वादों को लेकर हो रही देरी पर पूर्व मुख्यमंत्री बोम्मई ने लोगों से बसों में मुफ्त यात्रा करने और बिजली बिल न भरने का आहवान किया था.
(पीटीआई-भाषा)