मैंगलोर : जानवरों का बचाव वन अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है. लेकिन कर्नाटक में एक महिला पशु चिकित्सक ने तेंदुए का रेस्क्यू कर दिखाया है. मैंगलोर के बाहरी इलाके में स्थित कतिलू के पास निद्दोदी में दो दिन पहले एक तेंदुआ कुएं में गिर गया था. उसे बाहर निकालने की वन अधिकारियों ने काफी मशक्कत की. तेंदुए को पिंजरे में डालकर उसे बाहर निकालने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे. तभी महिला वेटरनरी सर्जन ने वो कर दिखाया जो वन अधिकारी नहीं कर पाए.
तेंदुआ कुएं के अंदर एक छोटी सी गुफा जैसी जगह में बैठा रह गया था. यह देख वन विभाग के अधिकारी उसे किसी तरह से गुफा से निकालकर पिंजरे में डालने की कोशिश कर रहे, लेकिन उनकी कोशिशें धरी के धरी रह गईं. इसके बाद उन्होंने महिला वेटरनरी सर्जन डॉ मेघना पेमैया को बुलाया और तेंदुए को बाहर निकालने का अभियान चलाया. उनके इस ऑपरेशन में डॉ मेघना के साथ डॉ पृथ्वी, डॉ नफीसा और डॉ यशस्वी नरवी भी शामिल रहे.
डॉ मेघना ने बंदूक की गोली में एनेस्थीसिया दिया. इसके बाद वह वन विभाग द्वारा तैयार किए गए पिंजरे में बैठी और वन अधिकारियों ने उन्हें धीरे-धीरे पिंजरे के साथ कुएं में उतारा गया. इसके बाद पिंजरे में बंद डॉ. मेघना ने कुएं में उतरकर तेंदुए को एनेस्थीसिया की गोली दागी, जिससे वह बेहोश हो गया. बाद में वन विभाग का एक कर्मचारी रस्सी के माध्यम से कुएं में उतरा. उसने बेहोश तेंदुए को उस पिंजरे के अंदर डाल दिया, जहां डॉ. मेघना थी. फिर धीरे-धीरे पिंजरा ऊपर उठाया गया.
कुएं से निकलने के बाद तेंदुए को दूसरा इंजेक्शन लगाकर उसे गहरी नींद में सुलाया गया. इधर, डॉ. मेघना भी कुशलतापूर्वक बाहर निकल आई. तेंदुए को स्वास्थ्य जांच के बाद जंगल में छोड़ दिया गया है. इस बारे में ईटीवी भारत को पशु चिकित्सक डॉ. यशस्वी नरवी ने बताया कि पिंजरे के साथ कुएं में उतरकर तेंदुए को बचाना एक चुनौतीपूर्ण काम था. पिंजरा उतारते समय चूक हुई तो तेंदुए के हमले की आशंका थी. डॉ यशस्वी नरवी ने कहा कि एक महिला वेटरनरी सर्जन के रूप में डॉ मेघना ने जो कर दिखाया, वह सराहनीय है.