उडुपी: कर्नाटक में कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध के बादे के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है. कांग्रेस ने घोषणा पत्र में वादा किया है कि अगर वह सत्ता में आती है तो बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा देगी. इस बीच इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली ने बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का पार्टी के पास कोई सुझाव नहीं था. मोइली ने कहा कि राज्य सरकारों को ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है.
कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध के वादे का संघ परिवार ने कड़ा ऐतराज जताया है. वीरप्पा मोइली ने कहा कि कांग्रेस ने हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश के बाद ही कांग्रेस ने घोषणापत्र में बजरंग दल जैसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का उल्लेख किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है। मोइली ने कहा कि भाजपा सरदार वल्लभभाई पटेल की पूजा करती है लेकिन भूल जाती है कि एक समय पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, बाद में जवाहरलाल नेहरू ने निर्णय को रद्द कर दिया.
मोइली ने कहा कि हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट का रुख बहुत स्पष्ट है. ऐसे में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के वक्तव्य को अपने घोषणा पत्र में जगह दी है लेकिन हमारा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है. केपीसीसी अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने आज इसे स्पष्ट कर दिया है.
ये भी पढ़ें- कांग्रेस के घोषणापत्र से वापस नहीं लिया जाएगा बजरंग दल पर प्रतिबंध: डीके शिवकुमार
इस बीच मंगलुरु में पत्रकारों को संबोधित करते हुए एआईसीसी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान हनुमान की तुलना एक संगठन से करके भगवान हनुमान के भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. उन्होंने भगवान हनुमान पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए प्रधानमंत्री से माफी की मांग की. उन्होंने कहा कि किसी ने भी प्रधानमंत्री को बजरंग बली के भक्तों को नाराज करने का अधिकार नहीं दिया है. उन्हें एक संगठन और भगवान हनुमान के बीच तुलना करने के लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए.
ये भी पढ़ें- Karnataka Election 2023: 'बजरंग दल बैन' के मुद्दे पर BJP ने कहा- कांग्रेस ने हनुमान भक्तों का किया अपमान