दावणगेरे : कर्नाटक के दावणगेरे में आंगनवाड़ी शिक्षिका को ग्रामीणों के द्वारा जाति के नाम पर प्रतिबंधित कर देने के साथ ही उसके दूसरे केंद्र में तबादला कर दिया गया. इतना ही नहीं गांव के लोगों ने उसके साथ ऐसा बर्ताव महज इसलिए किया क्योंकि वह दलित थी. इसी वजह से आंगनवाड़ी को तीन महीने के लिए बंद भी कर दिया गया. लेकिन हिम्मत ना हारते हुए उक्त महिला शिक्षिका ने अपने नए कार्यस्थल अवरागेरे में गोशाला आंगनवाड़ी में बच्चों का पढ़ाने का काम शुरू कर दिया. हालांकि यह केंद्र भी पहले के केंद्र से थोड़ी ही दूरी पर था.
दावणगेरे तालुक हेल चिक्कनहल्ली गांव की आंगनवाड़ी शिक्षिका लक्ष्मी ने मिली नई चुनौती को स्वीकार करते हुए आंगनवाड़ी के स्कूल को कॉन्वेंट के रूप में विकसित करने का ठान लिया. शिक्षिका लक्ष्मी ने आंगनवाड़ी को विकसित किया, यही वजह है कि उनकी आंगनवाड़ी में इस समय 30 बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. लक्ष्मी उन बच्चों को ना केवल अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा दे रही हैं बल्कि कॉन्वेंट स्कूलों की तरह उन्हें पढ़ाने के साथ ही अन्य चीजें को सिखाया जाता है.
एक शिक्षक जिसने दर्द को चुनौती के रूप में लिया - हाईटेक आंगनवाड़ी में पढ़ने वाले बच्चे कन्नड़ और अंग्रेजी पढ़ते और लिखते हैं. इसके अलावा वह यहां ऐसी भी शिक्षा दे रही हैं जो कॉन्वेंट स्कूलों में नहीं दी जाती है.2017 में हलेचिक्कनहल्ली आंगनवाड़ी छोड़ने वाली शिक्षिका लक्ष्मी को गोशाला आंगनवाड़ी में आए पांच साल हो चुके हैं. यहां पर उनकी शोहरत एक शिक्षिका के रूप में हो चुकी है. इस कारण इस आंगनबाडी के विकसित होने के बाद क्षेत्र के अभिभावक अपने बच्चों को कान्वेंट भेजने की जगह इस आंगनवाड़ी में भेज रहे हैं. वहीं आंगनवाड़ी के विकास में गोशाला वासियों ने पूरा सहयोग प्रदान किया.
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