बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार ने सोमवार को पेश 2021-22 के बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया. साथ ही बजट में महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिये अनेक योजनाओं की घोषणा की गई है. वहीं विपक्षी कांग्रेस ने सदन से यह कहते हुए वॉकआउट किया कि राज्य में भाजपा सरकार को सत्ता में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.
मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने राज्य विधानसभा में 2021- 22 का बजट पेश करते हुए कहा, वर्ष 2020- 21 में कोविड- 19 महामारी के चलते आम जनता कई तरह के कष्ट झेलने पड़े हैं. इसलिये मैं आम जनता पर किसी भी तरह के नये कर बोझ नहीं डालना चाहता हूं.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर कर्नाटक बिक्री कर (केएसटी) लगाता है जो कि पहले ही दक्षिण के दूसरे राज्यों के मुकाबले काफी कम है. इसके बावजूद बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है और बजट इस तरह तैयार किया गया है कि आम आदमी पर कोई अतिरिक्त कर बोझ नहीं बढ़े. इसके साथ ही महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिये बजट में कई घोषणायें की गई हैं.
येदियुरप्पा मुख्यमंत्री के साथ साथ राज्य के वित्त मंत्री का भी कामकाज संभाले हुए हैं. वह अब तक राज्य विधानसभा में कुल आठ बजट पेश कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) शुरुआती अनुमान के मुताबिक स्थिर मूल्य पर 2.6 प्रतिशत घटा है.
इस दौरान राज्य के कृषि क्षेत्र में जहां 6.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, वहीं उद्योग और सेवा क्षेत्र में गिरावट आई है. वित्त वर्ष 2020- 21 में उद्योग क्षेत्र में 5.1 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में 3.1 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई.
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इसी दौरान वॉकआउट के बाद पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पत्रकारों से कहा, इस सरकार ने कई पाप किए हैं और उसे सत्ता में रहने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है. इसलिए हमने बजट पेश किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री (जो राज्य के वित्त मंत्री भी हैं) और खनन एवं भूविज्ञान मंत्री मुरुगेश निरानी बेंगलुरु के देवनहल्ली में कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) की जमीन वापस लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों के बनाने से जुड़े एक अपराधिक मामले में जमानत पर हैं.
सदन में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि भाजपा विधायक रमेश जारकीहोली पर सेक्स-फॉर-जॉब के आरोप लगे. इसके बाद छह अन्य मंत्रियों ने मीडिया के खिलाफ निर्देश जारी करने या मीडिया में किसी भी अपमानजनक सामग्री के प्रकाशन को रोकने के लिए दीवानी अदालत का रुख किया था. रमेश जारकीहोली को बाद में इस्तीफा देना पड़ा था.