बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के चुनावी मैदान में बागियों की फेहरिस्त लंबी है. बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के कई बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इनमें से कई नेताओं को पार्टी ने निष्कासित भी किया गया है. खासकर कांग्रेस में सबसे ज्यादा 24 उम्मीदवारों ने बगावत की है. इन सभी को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया है. उन्हें 6 साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया गया है. वहीं, बीजेपी में 13 से ज्यादा लोग बगावत कर चुके हैं. आइये जानते हैं ये बागी कौन हैं.
शिदलघट्टा: कांग्रेस ने चिक्काबल्लापुर जिले की शिदलाघट्टा सीट से वी. मुनियप्पा का टिकट काट दिया था. अंत में पार्टी ने राजीव गौड़ा को टिकट दिया. इसके जरिए राजीव गौड़ा कांग्रेस की ओर से एक नए चेहरे के रूप में उभर रहे हैं. वहीं, अंजनप्पा पार्टी के टिकट के आकांक्षी थे, उन्होंने बगावत की और चुनाव लड़ा. इसलिए वह इस चुनाव में राजीव गौड़ा के जीतने में बाधा बन सकते हैं.
मायाकोंडा : भाजपा ने दावणगेरे की मायाकोंडा सीट से विधायक प्रोफेसर लिंगन्ना की जगह बसवराज नाइक को मैदान में उतारा है. नाईक हालांकि पूर्व विधायक हैं और उन्हें टिकट दिया गया जबकि इस सीट से टिकट के लिए 10 नेता इच्छुक थे. इससे और पार्टी के भीतर असंतोष भी पैदा हो गया. आलाकमान ने बदले हुए चेहरे के रूप में बसवराज नाइक को प्राथमिकता दी. साथ ही यहां शिव प्रकाश बागी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े हैं.
होसदुर्गा : चित्रदुर्ग जिले की होसदुर्गा सीट से भाजपा ने गोलीहट्टी शेखर की जगह एस. लिंगमूर्ति को टिकट दिया. गोलीहट्टी शेखर पर सरकार और पार्टी के नेताओं की खुले तौर पर आलोचना करने का आरोप लगाया गया था. उन्हें पार्टी से टिकट से वंचित कर दिया गया. गुलीहट्टी शेखर भी उन विधायकों में से एक थे, जिनकी अगुवाई में राज्य में पहली बार भाजपा सरकार बनी थी. हालांकि, टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे.
पुत्तुरू : भाजपा ने दक्षिण कन्नड़ जिले के पुट्टुरू विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक संजीव मथांदुर की जगह आशा थिम्मप्पा को टिकट दिया है. हालाँकि संजीव मथांदुर फिर से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें पार्टी का टिकट नहीं मिला. साथ ही हिंदू समर्थक संगठन के नेता अरुण पुत्तिला को बीजेपी का टिकट देने का दबाव था. हालांकि टिकट न मिलने पर अरुण पुत्तिला ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और बीजेपी को चुनौती दी.
चन्नागिरी : लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वतखोरी के मामले में मौजूदा बीजेपी विधायक मदल विरुपाक्षप्पा को गिरफ्तार किया था. इस शर्मिंदगी से बचने के लिए उन्हें दावणगेरे के चन्नागिरी निर्वाचन क्षेत्र में टिकट नहीं दिया गया. बेटे मल्लिकार्जुन को टिकट चाहिए था क्योंकि उनके पिता को टिकट नहीं मिल सका. हालांकि मदल परिवार में बिना किसी से पूछे एचएस शिवकुमार को टिकट दे दिया गया.
मूडीगेरे: कई विवादों के कारण विधायक एमपी कुमारस्वामी को चिक्कमगलुरु के मूडीगेरे निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा द्वारा टिकट से वंचित कर दिया गया था. उनकी जगह दीपक डोड्डैया को टिकट दिया गया. एमपी कुमारस्वामी. बीजेपी का टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. वह जेडीएस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और इस बार फिर से जीत पर नजर गड़ाए हुए हैं.
शिरहट्टी : गडग जिले के शिरहट्टी विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक रामकृष्ण डोड्डामणि ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया. पार्टी ने उनकी जगह सुजाता एन डोड्डामणि को टिकट दिया. रामकृष्ण डोड्डामणि इस बार टिकट के प्रबल दावेदार थे.
कुणिगल : निवर्तमान विधायक डॉ. एचडी रंगनाथ तुमकुर जिले की कुनिगल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्व विधायक रामास्वामी गौड़ा बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ चुके हैं.
जगलुरु: दावानगेरे जिले के जगलूर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक एच.पी. राजेश ने कांग्रेस से बगावत की. यहां बी. देवेंद्रप्पा कांग्रेस से चुनाव लड़े. बेल्लारी जिले के हरपनहल्ली विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को बगावत का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी का टिकट एन कोटेश को दिया गया. इधर केपीसीसी के महासचिव एम.पी. लता मल्लिकार्जुन ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा.
इसके अलावा वरिष्ठ राजनेता जगदीश शेट्टार बेलगाम जिले के अथानी निर्वाचन क्षेत्र से टिकट चाहते थे. ऐसा नहीं होने पर उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव लड़े. वह हुबली केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र के वर्तमान विधायक हैं.