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कन्नूर विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ाई जाएंगी आरएसएस की विचारधारा वाली किताबें, बदला पाठ्यक्रम

कन्नूर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में आरएसएस की विचारधारा वाली किताबों को शामिल करने पर आधारित पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है.

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Published : Sep 30, 2021, 2:01 PM IST

कन्नूर : कन्नूर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में आरएसएस की विचारधारा वाली किताबों को शामिल करने पर आधारित पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है. नए पाठ्यक्रम में मुस्लिम, समाजवादी और द्रविड़ दर्शन को प्राथमिकता दी गई है. इसके साथ ही विवाद खत्म हो गया.

आरएसएस के विचारक बलराज मडॉक और दीनदयाल उपाध्याय को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया है. आरएसएस के विचारकों की जगह मुहम्मद अली जिन्ना, मौलाना आज़ाद, ईएम शंकरन नमुथिरिप्पद, राम मनोहर लोहिया और पेरियार को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.

महत्वपूर्ण अध्ययन के लिए वीडी सावरकर और एमएस गोलवलकर को पाठ में रखा गया है. न केवल पाठ्यक्रम की सामग्री में बल्कि उसके परिप्रेक्ष्य में भी परिवर्तन हुए हैं.

पढ़ें :- स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के तीसरे सेमेस्टर में सावरकर की किताब नहीं पढ़ायी जाएगी : कन्नूर विवि

भारतीय राजनीतिक विचार में राष्ट्र या राष्ट्र की अवधारणा को एक आलोचक के रूप में भारतीय राजनीतिक विचार में राष्ट्र और राष्ट्रवाद में बदल दिया गया था.

आलोचना एमए राजनीति और शासन विषय के पाठ्यक्रम के खिलाफ थी. इसके बाद, दो सदस्यीय समिति का गठन किया गया. समिति के अध्यक्ष जे प्रभाष और प्रोफेसर केएस पवित्रन थे. उनकी रिपोर्ट को कन्नूर यूनिवर्सिटी एकेडमिक काउंसिल ने मंजूरी दी थी.

बता दें कि कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता एम एस गोलवलकर और हिंदू महासभा के नेता वी डी सावरकर की किताबों के कुछ अंश शासन एवं राजनीति पर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में फिलहाल नहीं पढ़ाए जाएंगे.

कन्नूर : कन्नूर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में आरएसएस की विचारधारा वाली किताबों को शामिल करने पर आधारित पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है. नए पाठ्यक्रम में मुस्लिम, समाजवादी और द्रविड़ दर्शन को प्राथमिकता दी गई है. इसके साथ ही विवाद खत्म हो गया.

आरएसएस के विचारक बलराज मडॉक और दीनदयाल उपाध्याय को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया है. आरएसएस के विचारकों की जगह मुहम्मद अली जिन्ना, मौलाना आज़ाद, ईएम शंकरन नमुथिरिप्पद, राम मनोहर लोहिया और पेरियार को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.

महत्वपूर्ण अध्ययन के लिए वीडी सावरकर और एमएस गोलवलकर को पाठ में रखा गया है. न केवल पाठ्यक्रम की सामग्री में बल्कि उसके परिप्रेक्ष्य में भी परिवर्तन हुए हैं.

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भारतीय राजनीतिक विचार में राष्ट्र या राष्ट्र की अवधारणा को एक आलोचक के रूप में भारतीय राजनीतिक विचार में राष्ट्र और राष्ट्रवाद में बदल दिया गया था.

आलोचना एमए राजनीति और शासन विषय के पाठ्यक्रम के खिलाफ थी. इसके बाद, दो सदस्यीय समिति का गठन किया गया. समिति के अध्यक्ष जे प्रभाष और प्रोफेसर केएस पवित्रन थे. उनकी रिपोर्ट को कन्नूर यूनिवर्सिटी एकेडमिक काउंसिल ने मंजूरी दी थी.

बता दें कि कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता एम एस गोलवलकर और हिंदू महासभा के नेता वी डी सावरकर की किताबों के कुछ अंश शासन एवं राजनीति पर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में फिलहाल नहीं पढ़ाए जाएंगे.

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