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मिलावट के खिलाफ लड़ाई : RTI कार्यकर्ता ने तीन एकड़ संपत्ति बेची, खर्च कर दिए 30 लाख रुपये - RTI कार्यकर्ता ने तीन एकड़ संपत्ति बेची

केरल के कन्नूर के आरटीआई कार्यकर्ता लियोनार्डो जॉन (Lionardo Do John) मिलावट के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. इस दौरान वह तीन एक संपत्ति बेचने के साथ ही 30 लाख रुपये भी खर्च कर चुके हैं. पढ़िए पूरी खबर

RTI activist LIYANO DO JOHN
आरटीआई कार्यकर्ता लियोनार्डो जॉन
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Published : Nov 5, 2022, 5:41 PM IST

Updated : Nov 5, 2022, 5:57 PM IST

कन्नूर (केरल): मिलावट के खिलाफ लड़ाई में आरटीआई कार्यकर्ता लियोनार्डो जॉन (Lionardo Do John) ने अपनी तीन एकड़ की संपत्ति बेचने के साथ ही अब तक 30 लाख रुपये से अघिक खर्च कर चुके हैं. इतना ही नहीं मिलावट के खिलाफ लड़ाई लड़ने का जुनून उनमें उस समय पैदा हुआ जब उनके करीबी दोस्त की 12 साल पहले लीवर सिरोसिस से मौत हो गई थी.तभी से कन्नूर के मूल निवासी जॉन ने दालचीनी, कैसिया, मिर्च पाउडर और एथियोन कीटनाशक के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू कर दी थी. डॉक्टरों के माध्यम से जॉन ने महसूस किया था कि कैसिया और दालचीनी का मिश्रण सिरोसिस का कारण था जिसकी वजह से उसके दोस्त की जान गई थी. वहीं खाने के पदार्थों में मिलावट के खिलाफ लड़ने का उनका संकल्प तब और और बढ़ गया जब उनकी मां ने भी कैंसर के कारण दम तोड़ दिया. इस तरह की मिलावट के कारण नए कैंसर के मरीज पैदा हो रहे हैं. केरल में वर्तमान में 2.70 लाख कैंसर रोगी हैं और हर साल 50 हजार नए मामले सामने आते हैं.

मिलावट के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं आरटीआई कार्यकर्ता लियोनार्डो जॉन

वहीं केरल में किडनी और लीवर के मरीजों की संख्या में देश में सबसे अधिक है. यही वजह है कि एर्नाकुलम के लक्षेशोर अस्पताल ने लीवर की बीमारियों का कारण बनने वाली हर्बल दवाओं के संबंध में कई अध्ययन किए गए हैं. इसी क्रम में 2016-17 में गंभीर जिगर की बीमारियों वाले 1440 रोगियों का अध्ययन में पाया गया कि हर्बल दवाएं जिगर की बीमारी का प्रमुख कारण थीं. इस बारे में जॉन ने बताया कि केरल में किसी भी आयुर्वेदिक दवा कंपनी ने सामग्री में कीटनाशकों या मिलावट की जांच के लिए उपकरण नहीं खरीदे हैं. जबकि केरल में आयुर्वेदिक उद्योग का कारोबार प्रति वर्ष 1000 करोड़ रुपये का है. उनका कहना है कि आयुष मंत्रालय ने केरल के सभी आयुर्वेदिक दवा निर्माताओं को इस उपकरण की खरीद के लिए 75 लाख दिए लेकिन अभी तक कोई भी उपकरण नहीं लाया गया है. उन्होंने कहा कि इन आयुर्वेदिक कंपनियों द्वारा उत्पादित किसी भी दवा को जनता को बेचने से पहले परीक्षण नहीं किया जाता है.

जॉन की लड़ाई मुख्य रूप से कैसिया (दालचीनी) और दालचीनी की मिलावट के खिलाफ है. भारत और श्रीलंका दालचीनी के प्रमुख उत्पादक हैं. उन्होंने कहा कि वह मिर्च पाउडर की मिलावट के खिलाफ अपनी लड़ाई पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु से आती है. इसके अलावा खाद्य फसलों में एथियन कीटनाशक का उपयोग किया जाता है जिसके खिलाफ उनका अभियान जारी है. हालांकि, जॉन खुश हैं कि बदलाव हो रहे हैं और उनके प्रयास व्यर्थ नहीं जा रहे हैं. जॉन ने कहा, 'सिक्किम पूरी तरह से जैविक हो गया है. तमिलनाडु से हाल ही में एक पत्र आया है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने अगले 90 दिनों के लिए सभी खतरनाक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है. हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि वे इसे कितनी अच्छी तरह लागू करने जा रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि इससे मुझे बहुत दुख होता है कि राज्य और केंद्र सरकार सहित कई लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे मैं एक आतंकवादी हूं, एक बड़ी अच्छी बात यह है कि डीजीपी अनिल कांत ने तमिलनाडु से सभी मसाला पाउडर के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों से केरल ने खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की सबसे बड़ी संख्या वाला राज्य होने के बावजूद खाद्य पदार्थों में मिलावट पर कोई उचित जांच नहीं की है.

जॉन उस लड़ाई से खुश हैं जिसका वह पिछले 12 साल से सामना कर रहे हैं. हाल ही में, केरल हाई कोर्ट ने जॉन द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार करते हुए केंद्र सरकार को रुपये आवंटित करने का निर्देश दिया. जॉन ने कहा कि मुझे विश्वास नहीं है कि आप अपनी लड़ाई के माध्यम से अपने लक्ष्यों को जल्दी हासिल कर लेंगे. लेकिन मुझे अपनी लड़ाई से खुशी होगी अगर मैं हर साल कम से कम 20,000 लोगों को घातक कैंसर, किडनी या लीवर की बीमारी से बचा सकता हूं.

ये भी पढ़ें - World Food Safety Day: घर बैठे ऐसे आसानी से पता लगाएं किस खाद्य पदार्थ में है मिलावट और कौन सा है शुद्ध

कन्नूर (केरल): मिलावट के खिलाफ लड़ाई में आरटीआई कार्यकर्ता लियोनार्डो जॉन (Lionardo Do John) ने अपनी तीन एकड़ की संपत्ति बेचने के साथ ही अब तक 30 लाख रुपये से अघिक खर्च कर चुके हैं. इतना ही नहीं मिलावट के खिलाफ लड़ाई लड़ने का जुनून उनमें उस समय पैदा हुआ जब उनके करीबी दोस्त की 12 साल पहले लीवर सिरोसिस से मौत हो गई थी.तभी से कन्नूर के मूल निवासी जॉन ने दालचीनी, कैसिया, मिर्च पाउडर और एथियोन कीटनाशक के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू कर दी थी. डॉक्टरों के माध्यम से जॉन ने महसूस किया था कि कैसिया और दालचीनी का मिश्रण सिरोसिस का कारण था जिसकी वजह से उसके दोस्त की जान गई थी. वहीं खाने के पदार्थों में मिलावट के खिलाफ लड़ने का उनका संकल्प तब और और बढ़ गया जब उनकी मां ने भी कैंसर के कारण दम तोड़ दिया. इस तरह की मिलावट के कारण नए कैंसर के मरीज पैदा हो रहे हैं. केरल में वर्तमान में 2.70 लाख कैंसर रोगी हैं और हर साल 50 हजार नए मामले सामने आते हैं.

मिलावट के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं आरटीआई कार्यकर्ता लियोनार्डो जॉन

वहीं केरल में किडनी और लीवर के मरीजों की संख्या में देश में सबसे अधिक है. यही वजह है कि एर्नाकुलम के लक्षेशोर अस्पताल ने लीवर की बीमारियों का कारण बनने वाली हर्बल दवाओं के संबंध में कई अध्ययन किए गए हैं. इसी क्रम में 2016-17 में गंभीर जिगर की बीमारियों वाले 1440 रोगियों का अध्ययन में पाया गया कि हर्बल दवाएं जिगर की बीमारी का प्रमुख कारण थीं. इस बारे में जॉन ने बताया कि केरल में किसी भी आयुर्वेदिक दवा कंपनी ने सामग्री में कीटनाशकों या मिलावट की जांच के लिए उपकरण नहीं खरीदे हैं. जबकि केरल में आयुर्वेदिक उद्योग का कारोबार प्रति वर्ष 1000 करोड़ रुपये का है. उनका कहना है कि आयुष मंत्रालय ने केरल के सभी आयुर्वेदिक दवा निर्माताओं को इस उपकरण की खरीद के लिए 75 लाख दिए लेकिन अभी तक कोई भी उपकरण नहीं लाया गया है. उन्होंने कहा कि इन आयुर्वेदिक कंपनियों द्वारा उत्पादित किसी भी दवा को जनता को बेचने से पहले परीक्षण नहीं किया जाता है.

जॉन की लड़ाई मुख्य रूप से कैसिया (दालचीनी) और दालचीनी की मिलावट के खिलाफ है. भारत और श्रीलंका दालचीनी के प्रमुख उत्पादक हैं. उन्होंने कहा कि वह मिर्च पाउडर की मिलावट के खिलाफ अपनी लड़ाई पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु से आती है. इसके अलावा खाद्य फसलों में एथियन कीटनाशक का उपयोग किया जाता है जिसके खिलाफ उनका अभियान जारी है. हालांकि, जॉन खुश हैं कि बदलाव हो रहे हैं और उनके प्रयास व्यर्थ नहीं जा रहे हैं. जॉन ने कहा, 'सिक्किम पूरी तरह से जैविक हो गया है. तमिलनाडु से हाल ही में एक पत्र आया है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने अगले 90 दिनों के लिए सभी खतरनाक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है. हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि वे इसे कितनी अच्छी तरह लागू करने जा रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि इससे मुझे बहुत दुख होता है कि राज्य और केंद्र सरकार सहित कई लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे मैं एक आतंकवादी हूं, एक बड़ी अच्छी बात यह है कि डीजीपी अनिल कांत ने तमिलनाडु से सभी मसाला पाउडर के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों से केरल ने खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की सबसे बड़ी संख्या वाला राज्य होने के बावजूद खाद्य पदार्थों में मिलावट पर कोई उचित जांच नहीं की है.

जॉन उस लड़ाई से खुश हैं जिसका वह पिछले 12 साल से सामना कर रहे हैं. हाल ही में, केरल हाई कोर्ट ने जॉन द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार करते हुए केंद्र सरकार को रुपये आवंटित करने का निर्देश दिया. जॉन ने कहा कि मुझे विश्वास नहीं है कि आप अपनी लड़ाई के माध्यम से अपने लक्ष्यों को जल्दी हासिल कर लेंगे. लेकिन मुझे अपनी लड़ाई से खुशी होगी अगर मैं हर साल कम से कम 20,000 लोगों को घातक कैंसर, किडनी या लीवर की बीमारी से बचा सकता हूं.

ये भी पढ़ें - World Food Safety Day: घर बैठे ऐसे आसानी से पता लगाएं किस खाद्य पदार्थ में है मिलावट और कौन सा है शुद्ध

Last Updated : Nov 5, 2022, 5:57 PM IST
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