कांकेर: एडॉप्शन सेंटर में बच्चों से मारपीट मामले में 10 दिन बाद एक और बड़ी कार्रवाई हुई है. बाल संरक्षण अधिकारी रीना लारिया को कांकेर कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला ने पद से हटा दिया है. जांच में पता चला है कि अधिकारी को बच्चों से मारपीट की जानकारी पहले से थी. लेकिन अधिकारी ने कोई कदम नहीं उठाया था. जिसके बाद कलेक्टर ने बाल सरंक्षण अधिकारी का (संविदा) पद से सेवा समाप्त कर दिया है.
लापरवाही बरतने पर कलेक्टर ने किया बर्खास्त: कलेक्टर के आदेश में कहा गया है कि "जिला बाल संरक्षण अधिकारी रीना लारिया (संविदा) द्वारा पदीय दायित्वों के निर्वहन में घोर लापरवाही बरती गई हैं. उनका काम छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम के विपरीत है एवं दण्डनीय है. जिला बाल संरक्षण अधिकारी रीना लारिया (संविदा) उत्तर बस्तर कांकेर की संविदा सेवा समाप्त की जाती है. यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा."
अधिकारी को बच्चों से दुर्व्यवहार की थी जानकारी: बच्चों से मारपीट मामले में बाल संरक्षण अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. जांच में अधिकारी द्वारा कार्य में लापरवाही बरतने की बात सामने आई थी. बाल संरक्षण अधिकारी को बच्चों से दुर्व्यवहार की जानकारी थी. इसके बाद भी अधिकारी ने उच्च अधिकारियों को सूचित नहीं किया था. साथ ही कारण बताओ नोटिस का अधिकारी ने संतोष जनक जवाब नहीं दिया. जिसके बाद मामले में कांकेर कलेक्टर ने लापरवाह अधिकारी की सेवा समाप्त कर दी है.
बाल संरक्षण अधिकारी ने दबाये रखा मामला: प्रतिज्ञा विकास संस्थान दुर्ग द्वारा जिला मुख्यालय कांकेर में संचालित विशेषीकृत एडॉप्शन सेंटर के खिलाफ बच्चों के साथ यातना एवं दुर्व्यवहार की शिकायत मिला था. जिस पर संचालनालय, महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त टीम द्वारा 04 जून 2023 को एडॉप्शन सेंटर का औचक निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के दौरान संस्था के खिलाफ प्राप्त शिकायत की पुष्टि हुई थी. घटना के संबंध में जांच दल द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में बताया गया कि रीना लारिया को विशेषीकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण संस्था में बच्चों के साथ हुए दुर्व्यवहार की जानकारी थी. उसके बावजूद भी कार्रवाई के लिए इसने उच्च अधिकारियों को सूचित नहीं किया. जो रीना लारिया के पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही को दर्शाता है.
नोटिस का जवाब संतोषजनक नहीं: कारण बताओ नोटिस के जवाब में रीना लारिया ने लिखा है कि "उनके द्वारा संस्था का मासिक, त्रैमासिक रूप से नियमित निरीक्षण, पर्यवेक्षण किया जाता रहा है. संस्था के निरीक्षण में पाई गई कमियां एवं निरीक्षण टीप इत्यादि का अवलोकन संधारित पंजी से किया जा सकता है." परंतु पंजी में इस घटना के संबंध में कोई टीप अंकित होना नहीं पाया गया है. स्पष्ट है कि रीना लारिया द्वारा प्रस्तुत जवाब समाधान योग्य नहीं है.
पहले भी मिली अधिकारी के खिलाफ शिकायत: जिला बाल संरक्षण अधिकारी रीना लारिया (संविदा) के खिलाफ 30 मई को भी एक शिकायत मिली थी. इस संबंध में 5 जून को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय छत्तीसगढ़ शासन से भी जांच के आदेश मिले थे. जिसमें वर्णित शिकायत अनुसार, कार्यालय महिला एवं बाल विकास विभाग के पूर्व कर्मचारी (संविदा) द्वारा तत्कालीन पद से त्यागपत्र देने के बाद भी वर्ष 2022-23 का कार्यालयीन रोकड-बही का संधारण किया गया है. शिकायत के संदर्भ में इस कार्यालय द्वारा जांच समिति बनाई गई थी. समिति से प्राप्त जांच प्रतिवेदन में रीना लारिया एवं पूर्व कर्मचारी (संविदा) द्वारा दिए गए कथनों से ही शिकायत की पुष्टि होती है.
क्या है पूरा मामला: गौरतलब है कि, कांकेर के एडॉप्शन सेंटर का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था. इस वीडियो में केंद्र की महिला मैनेजर मासूम बच्ची को जमकर मारती पीटती नजर आ रही थी. बताया जा रहा है कि महिला मैनेजर के खिलाफ महिला एवं बाल विकास विभाग में भी शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया. प्रदेश के लाथ ही पूरे देशभर में महिला मैनेजर के खिलाफ रोष देखा गया.