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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे जज ने खुद को केस से किया अलग

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को अलग कर लिया है. अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को तय करना है कि कौन मामले की सुनवाई करेगा.

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Published : Apr 27, 2022, 9:12 PM IST

लखनऊ: यूपी के लखीमपुर खीरी के तिकुनियां गांव में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के मामले की सुनवाई से जुड़े जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को केस से अलग कर लिया है. अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तय करेंगे कि कौन जज केस की सुनवाई करेगा. पहले इस केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सिंह ने आशीष मिश्रा को जमानत दी थी. बीती 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद करते हुए जेल भेजने का आदेश दिया था. जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया.

गौरतलब है कि 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में किसान आंदोलन कर रहे थे. आरोप है कि आंदोलनकारी किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र मोनू ने अपने साथियों के साथ थार गाड़ी चढ़ाकर उन्हें मार दिया. इसमें 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या में आशीष मिश्र और 12 अन्य आरोपी जेल भेजे गए थे. वहीं 3 बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी पीट पीटकर हत्या कर दी थी. मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी कर रही थी. एसआईटी ने 5000 पन्नों की चार्जशीट में आशीष को मुख्य आरोपी बताते हुए जानबूझकर सोची समझी साजिश के तहत हत्या करने के आरोप मढ़े थे.

यह भी पढ़ें- पांच साल में यूपी मॉडल के रूप में विकसित होकर सामने आया है : असीम अरुण

इसमें केंद्रीय मंत्री के पुत्र पर हत्या समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के साथ जेल भेज दिया गया था. बीते 15 फरवरी को आशीष मिश्र जेल से बाहर आ गये थे. जमानत आदेश को रद्द करने के लिए किसान परिवार 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट गए. 4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश पर फैसला सुरक्षित कर लिया. फिर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की जमानत को रद्द करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया था.

लखनऊ: यूपी के लखीमपुर खीरी के तिकुनियां गांव में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के मामले की सुनवाई से जुड़े जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को केस से अलग कर लिया है. अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तय करेंगे कि कौन जज केस की सुनवाई करेगा. पहले इस केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सिंह ने आशीष मिश्रा को जमानत दी थी. बीती 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद करते हुए जेल भेजने का आदेश दिया था. जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया.

गौरतलब है कि 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में किसान आंदोलन कर रहे थे. आरोप है कि आंदोलनकारी किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र मोनू ने अपने साथियों के साथ थार गाड़ी चढ़ाकर उन्हें मार दिया. इसमें 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या में आशीष मिश्र और 12 अन्य आरोपी जेल भेजे गए थे. वहीं 3 बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी पीट पीटकर हत्या कर दी थी. मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी कर रही थी. एसआईटी ने 5000 पन्नों की चार्जशीट में आशीष को मुख्य आरोपी बताते हुए जानबूझकर सोची समझी साजिश के तहत हत्या करने के आरोप मढ़े थे.

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इसमें केंद्रीय मंत्री के पुत्र पर हत्या समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के साथ जेल भेज दिया गया था. बीते 15 फरवरी को आशीष मिश्र जेल से बाहर आ गये थे. जमानत आदेश को रद्द करने के लिए किसान परिवार 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट गए. 4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश पर फैसला सुरक्षित कर लिया. फिर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की जमानत को रद्द करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया था.

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