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करनाल लाठीचार्ज मामला : सरकार ने न्यायायिक जांच के दिए आदेश

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Published : Sep 11, 2021, 8:13 PM IST

हरियाणा सरकार ने पिछले महीने किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प के मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. वहीं, विवादास्पद वीडियो को लेकर घिरे करनाल के एसडीएम को अवकाश पर भेज दिया गया है.

करनाल किसान मामला
करनाल किसान मामला

चंडीगढ़ : हरियाणा के करनाल लघु सचिवालय पर 5 दिनों तक चला किसानों का धरना (karnal farmer protest) आज को खत्म हो गया. शनिवार को जिला प्रशासन और किसान नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है. जिसके बाद किसानों का धरना खत्म (Farmers Protest End) हो गया है. किसान नेता गुरनाम चढूनी (gurnam chaduni) ने बताया कि लाठीचार्ज मामले की न्यायायिक जांच होगी.

जांच पूरी होने तक तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे. प्रशासन ने किसानों को जांच पूरी करने के लिए एक महीने का वक्त दिया है और हाई कोर्ट के रिटायर जज से इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी. इसके अलावा प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसान के परिवार को डीसी रेट पर नौकरी देने की बात भी हुई है.

क्या है पूरा मामला-

दरअसल बीती रात 28 अगस्त को करनाल में हरियाणा बीजेपी की बैठक हुई थी. इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ समेत कई बड़े नेता शामिल हुए थे. इस बैठक का विरोध करते हुए किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया था. 28 अगस्त की सुबह जैसे ही बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ की गाड़ी टोल प्लाजा पहुंची तो कुछ किसानों ने इस दौरान धनखड़ की गाड़ी पर डंडे बरसाने शुरू कर दिए.

बाद किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. वहीं किसानों की तरफ से पत्थरबाजी की गई और लाठीचार्ज के दौरान कई किसान घायल हो गए.पुलिस द्वारा कई किसानों को हिरासत में भी लिया गया था.

हरियाणा के एडीजीपी (कानून व्यवस्था) नवदीप सिंह विर्क ने लाठीचार्ज को लेकर कहा था कि दोपहर 12 बजे कुछ प्रदर्शनकारी किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया और करनाल शहर की ओर मार्च करने की कोशिश की. रोकने पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया. पुलिस ने उन्हें भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया. इस दौरान 4 किसान और 10 पुलिसकर्मी घायल हुए.

वहीं इसी बीच करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो भी सामने आया जिसमें वे पुलिसवालों को किसानों का सिर फोड़ने का आदेश दे रहे हैं 'एसडीएम ने कहा कि मेरा आदेश सिंपल है. जो भी हो इससे बाहर कोई भी नहीं बाहर जायेगा' . मैं स्पष्ट कर देता हूं. सिर फोड़ देना. नहीं जायेगा. मैं ड्यूटी मजिस्ट्रेट हूं. लिखित में दे रहा हूं. सीधे लट्ठ मारो. कोई डाउट (पुलिस वाले कहते हैं..नहीं सर). मारोगे? (पुलिस वाले कहते हैं...यस सर). कोई जाएगा इधर से (पुलिस वाले कहते हैं...नहीं सर). सीधे उठा उठाकर मारना. कोई डाउट नहीं है. कोई डायरेक्शन की जरूरत नहीं है. ये रास्ता हम किसी भी हालत में ब्रीच नहीं होने देंगे. हमारे पास पर्याप्त फोर्स है.'

किसान संगठनों ने लगाया जाम

किसानों पर लाठीचार्ज के बाद किसान संगठनों ने पूरे हरियाणा में जाम लगा दिया था. इसके बाद किसानों और सरकार के बीच में गतिरोध बढ़ता चला गया. किसान जहां लाठीचार्ज के लिए सरकार को दोष देते रहे तो वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी किसानों को स्पष्ट कहा कि अगर पत्थरबाजी करोगे और हाईवे रोकेगे तो पीटे जाओगे. सरकारी कामकाज में बाधा डालना लोकतंत्र के खिलाफ है. अगर किसान विरोध करना चाहते थे तो उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए था. नेशनल हाईवे जाम करते हैं और पुलिस पर पथराव करते हैं, तो पुलिस भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाएगी.

विपक्ष ने केंद्र सरकार का किया घेराव

इसके बाद विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया था. पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा समेत कई विपक्षी नेताओं ने लाठीचार्ज के लिए सरकार की आलोचना की थी. इसी बीच घायल हुए किसानों में से एक किसान की रविवार 29 अगस्त को मौत हो गई. किसान की मौत के बाद आंदोलन और तेज हो गया. इसके बाद किसानों ने सरकार के सामने तीन मांगें रखी हैं.

पहली मांग है

एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज में गलत किया है इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो.

दूसरी मांग है

जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को ₹25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए.

तीसरी मांग है

पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था.

शनिवार की सुबह हुई और किसान बातचीत के लिए प्रशासन के पास पहुंचे. बैठक के बाद किसान नेताओं और करनाल प्रशासन के बीच सहमति बन गई. जिसके बाद किसानों का धरना खत्म हो गया है.

किसान नेता गुरनाम चढूनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि टोल पर हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाई जाएगी. तब तक तत्कालीन एसडीएम आयषी सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे. ये जांच 1 महीने में पूरी कर दी जाएगी. दूसरा मृतक किसान सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा और डीसी रेट की दो नौकरी दी जाएंगी. दो नौकरी योग्यता के आधार पर एक सप्ताह में दे दी जाएगी, और घायल किसानों को भी 2-2 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा.

चंडीगढ़ : हरियाणा के करनाल लघु सचिवालय पर 5 दिनों तक चला किसानों का धरना (karnal farmer protest) आज को खत्म हो गया. शनिवार को जिला प्रशासन और किसान नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है. जिसके बाद किसानों का धरना खत्म (Farmers Protest End) हो गया है. किसान नेता गुरनाम चढूनी (gurnam chaduni) ने बताया कि लाठीचार्ज मामले की न्यायायिक जांच होगी.

जांच पूरी होने तक तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे. प्रशासन ने किसानों को जांच पूरी करने के लिए एक महीने का वक्त दिया है और हाई कोर्ट के रिटायर जज से इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी. इसके अलावा प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसान के परिवार को डीसी रेट पर नौकरी देने की बात भी हुई है.

क्या है पूरा मामला-

दरअसल बीती रात 28 अगस्त को करनाल में हरियाणा बीजेपी की बैठक हुई थी. इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ समेत कई बड़े नेता शामिल हुए थे. इस बैठक का विरोध करते हुए किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया था. 28 अगस्त की सुबह जैसे ही बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ की गाड़ी टोल प्लाजा पहुंची तो कुछ किसानों ने इस दौरान धनखड़ की गाड़ी पर डंडे बरसाने शुरू कर दिए.

बाद किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. वहीं किसानों की तरफ से पत्थरबाजी की गई और लाठीचार्ज के दौरान कई किसान घायल हो गए.पुलिस द्वारा कई किसानों को हिरासत में भी लिया गया था.

हरियाणा के एडीजीपी (कानून व्यवस्था) नवदीप सिंह विर्क ने लाठीचार्ज को लेकर कहा था कि दोपहर 12 बजे कुछ प्रदर्शनकारी किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया और करनाल शहर की ओर मार्च करने की कोशिश की. रोकने पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया. पुलिस ने उन्हें भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया. इस दौरान 4 किसान और 10 पुलिसकर्मी घायल हुए.

वहीं इसी बीच करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो भी सामने आया जिसमें वे पुलिसवालों को किसानों का सिर फोड़ने का आदेश दे रहे हैं 'एसडीएम ने कहा कि मेरा आदेश सिंपल है. जो भी हो इससे बाहर कोई भी नहीं बाहर जायेगा' . मैं स्पष्ट कर देता हूं. सिर फोड़ देना. नहीं जायेगा. मैं ड्यूटी मजिस्ट्रेट हूं. लिखित में दे रहा हूं. सीधे लट्ठ मारो. कोई डाउट (पुलिस वाले कहते हैं..नहीं सर). मारोगे? (पुलिस वाले कहते हैं...यस सर). कोई जाएगा इधर से (पुलिस वाले कहते हैं...नहीं सर). सीधे उठा उठाकर मारना. कोई डाउट नहीं है. कोई डायरेक्शन की जरूरत नहीं है. ये रास्ता हम किसी भी हालत में ब्रीच नहीं होने देंगे. हमारे पास पर्याप्त फोर्स है.'

किसान संगठनों ने लगाया जाम

किसानों पर लाठीचार्ज के बाद किसान संगठनों ने पूरे हरियाणा में जाम लगा दिया था. इसके बाद किसानों और सरकार के बीच में गतिरोध बढ़ता चला गया. किसान जहां लाठीचार्ज के लिए सरकार को दोष देते रहे तो वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी किसानों को स्पष्ट कहा कि अगर पत्थरबाजी करोगे और हाईवे रोकेगे तो पीटे जाओगे. सरकारी कामकाज में बाधा डालना लोकतंत्र के खिलाफ है. अगर किसान विरोध करना चाहते थे तो उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए था. नेशनल हाईवे जाम करते हैं और पुलिस पर पथराव करते हैं, तो पुलिस भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाएगी.

विपक्ष ने केंद्र सरकार का किया घेराव

इसके बाद विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया था. पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा समेत कई विपक्षी नेताओं ने लाठीचार्ज के लिए सरकार की आलोचना की थी. इसी बीच घायल हुए किसानों में से एक किसान की रविवार 29 अगस्त को मौत हो गई. किसान की मौत के बाद आंदोलन और तेज हो गया. इसके बाद किसानों ने सरकार के सामने तीन मांगें रखी हैं.

पहली मांग है

एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज में गलत किया है इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो.

दूसरी मांग है

जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को ₹25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए.

तीसरी मांग है

पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था.

शनिवार की सुबह हुई और किसान बातचीत के लिए प्रशासन के पास पहुंचे. बैठक के बाद किसान नेताओं और करनाल प्रशासन के बीच सहमति बन गई. जिसके बाद किसानों का धरना खत्म हो गया है.

किसान नेता गुरनाम चढूनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि टोल पर हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाई जाएगी. तब तक तत्कालीन एसडीएम आयषी सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे. ये जांच 1 महीने में पूरी कर दी जाएगी. दूसरा मृतक किसान सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा और डीसी रेट की दो नौकरी दी जाएंगी. दो नौकरी योग्यता के आधार पर एक सप्ताह में दे दी जाएगी, और घायल किसानों को भी 2-2 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा.

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