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संघर्षों ने दुलारी देवी को बनाया 'पद्मश्री', रंगों से रचा इतिहास

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Published : Feb 8, 2021, 10:34 PM IST

बिहार की दुलारी देवी को मिथिला पेंटिंग की कचनी शैली रेखा चित्र में महारथ हासिल है. वर्ष 1999 में ललित कला अकादमी से और वर्ष 2012-13 में उद्योग विभाग द्वारा सरकार का प्रतिष्ठित राज्य पुरस्कार दुलारी देवी को मिला. अब वर्ष 2021 में भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.

दुलारी देवी
दुलारी देवी

पटना : यदि हौसले बुलंद हों और कुछ करने का जज्बा हो तो आप जरूर सफल होते हैं. 12 साल की उम्र में शादी, अलग-अलग घरों में काम करने वाली दुलारी देवी ने खुद नहीं सोचा था कि उनका संघर्ष उन्हें पद्मश्री दिलाएगा.

बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की रहने वाली दुलारी देवी का जन्म अभावों और गरीबी के बीच हुआ. राजनगर प्रखंड की दुलारी बेहद ही गरीब मल्लाह परिवार में जन्मीं थीं. माता-पिता ने 12 साल की उम्र में ही इनका विवाह कर दिया. सात जन्मों के बजाय दुलारी सात साल में ही ससुराल से मायके वापस आ गईं.

रंगों से रचा इतिहास

दुलारी देवी ने बताया कि केंद्र सरकार से फोन आया कि उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया गया है और इस बात की उन्हें खुशी है. इसके बाद से ही फोन आना शुरू हो गया. देश और विदेश में रहने वाले उनके छात्रों ने उन्हें फोन पर बधाई देना शुरू किया.

दुलारी देवी ने बिहार और देश की महिलाओं को यह संदेश दिया है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. बस काम लगन से करना चाहिए, सफलता जरूर मिलेगी.

उपमुख्यमंत्री से दुलारी देवी को मिला सम्मान
उपमुख्यमंत्री से दुलारी देवी को मिला सम्मान

संघर्षों से भरा रहा दुलारी का जीवन
मायके से ही दुलारी देवी ने संघर्ष शुरू किया. घरों में झाड़ू-पोंछा लगाकर कुछ आमदनी हो जाती थी, दुलारी का जीवन चल रहा था, लेकिन नसीब में कुछ और ही मंजूर था. हाथों में पोंछे की जगह 'ब्रश' ने ले ली. इसके बाद मधुबनी पेंटिंग बनाने का जो सिलसिला दुलारी देवी ने शुरू किया वो आज तक नहीं रुका. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी दुलारी की तारीफ की थी.

संघर्षों ने दुलारी देवी को बनाया पद्मश्री
संघर्षों ने दुलारी देवी को बनाया पद्मश्री

पढ़ें- लेखन कला वर्कशीट से छात्रों को होगा शब्दों का बेहतर ज्ञान

दुलारी देवी को मिथिला पेंटिंग की कचनी शैली रेखा चित्र में महारथ हासिल है. वर्ष 1999 में ललित कला अकादमी से और वर्ष 2012-13 में उद्योग विभाग द्वारा सरकार का प्रतिष्ठित राज्य पुरस्कार दुलारी देवी को मिला. इसके बाद उनका उत्साह और बढ़ गया.

दुलारी देवी की पेंटिंग
दुलारी देवी की पेंटिंग

मिथिला के बाद धीरे-धीरे बिहार, पंजाब, हरियाणा, केरल, चेन्नई और कोलकाता में मिथिला पेंटिंग पर आयोजित कार्यशाला में दुलारी देवी शामिल होने लगीं. धीरे-धीरे बिहार के कई विशेष स्थलों पर मंदिर की दीवारों पर दुलारी देवी द्वारा मिथिला पेंटिंग बनाई गई.

12000 से अधिक पेंटिंग बना चुकीं हैं दुलारी देवी
पटना स्थित बिहार संग्रहालय में भी कमलेश्वरी कमला नदी पूजा पर दुलारी देवी द्वारा बनाई गई पेंटिंग को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है. आज के समय में विभिन्न विषयों पर लगभग 12,000 से अधिक पेंटिंग दुलारी देवी बना चुकी हैं. अपनी कला के बूते ही दुलारी देवी हर महीने करीब 30 से 35 हजार रुपये कमा लेतीं हैं. आज के समय में सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश और विदेश में लोग उनकी पेंटिंग को हाथों-हाथ ले जाते हैं.

पटना : यदि हौसले बुलंद हों और कुछ करने का जज्बा हो तो आप जरूर सफल होते हैं. 12 साल की उम्र में शादी, अलग-अलग घरों में काम करने वाली दुलारी देवी ने खुद नहीं सोचा था कि उनका संघर्ष उन्हें पद्मश्री दिलाएगा.

बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की रहने वाली दुलारी देवी का जन्म अभावों और गरीबी के बीच हुआ. राजनगर प्रखंड की दुलारी बेहद ही गरीब मल्लाह परिवार में जन्मीं थीं. माता-पिता ने 12 साल की उम्र में ही इनका विवाह कर दिया. सात जन्मों के बजाय दुलारी सात साल में ही ससुराल से मायके वापस आ गईं.

रंगों से रचा इतिहास

दुलारी देवी ने बताया कि केंद्र सरकार से फोन आया कि उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया गया है और इस बात की उन्हें खुशी है. इसके बाद से ही फोन आना शुरू हो गया. देश और विदेश में रहने वाले उनके छात्रों ने उन्हें फोन पर बधाई देना शुरू किया.

दुलारी देवी ने बिहार और देश की महिलाओं को यह संदेश दिया है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. बस काम लगन से करना चाहिए, सफलता जरूर मिलेगी.

उपमुख्यमंत्री से दुलारी देवी को मिला सम्मान
उपमुख्यमंत्री से दुलारी देवी को मिला सम्मान

संघर्षों से भरा रहा दुलारी का जीवन
मायके से ही दुलारी देवी ने संघर्ष शुरू किया. घरों में झाड़ू-पोंछा लगाकर कुछ आमदनी हो जाती थी, दुलारी का जीवन चल रहा था, लेकिन नसीब में कुछ और ही मंजूर था. हाथों में पोंछे की जगह 'ब्रश' ने ले ली. इसके बाद मधुबनी पेंटिंग बनाने का जो सिलसिला दुलारी देवी ने शुरू किया वो आज तक नहीं रुका. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी दुलारी की तारीफ की थी.

संघर्षों ने दुलारी देवी को बनाया पद्मश्री
संघर्षों ने दुलारी देवी को बनाया पद्मश्री

पढ़ें- लेखन कला वर्कशीट से छात्रों को होगा शब्दों का बेहतर ज्ञान

दुलारी देवी को मिथिला पेंटिंग की कचनी शैली रेखा चित्र में महारथ हासिल है. वर्ष 1999 में ललित कला अकादमी से और वर्ष 2012-13 में उद्योग विभाग द्वारा सरकार का प्रतिष्ठित राज्य पुरस्कार दुलारी देवी को मिला. इसके बाद उनका उत्साह और बढ़ गया.

दुलारी देवी की पेंटिंग
दुलारी देवी की पेंटिंग

मिथिला के बाद धीरे-धीरे बिहार, पंजाब, हरियाणा, केरल, चेन्नई और कोलकाता में मिथिला पेंटिंग पर आयोजित कार्यशाला में दुलारी देवी शामिल होने लगीं. धीरे-धीरे बिहार के कई विशेष स्थलों पर मंदिर की दीवारों पर दुलारी देवी द्वारा मिथिला पेंटिंग बनाई गई.

12000 से अधिक पेंटिंग बना चुकीं हैं दुलारी देवी
पटना स्थित बिहार संग्रहालय में भी कमलेश्वरी कमला नदी पूजा पर दुलारी देवी द्वारा बनाई गई पेंटिंग को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है. आज के समय में विभिन्न विषयों पर लगभग 12,000 से अधिक पेंटिंग दुलारी देवी बना चुकी हैं. अपनी कला के बूते ही दुलारी देवी हर महीने करीब 30 से 35 हजार रुपये कमा लेतीं हैं. आज के समय में सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश और विदेश में लोग उनकी पेंटिंग को हाथों-हाथ ले जाते हैं.

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