कोच्चि: मलयालम अखबार के एक पत्रकार ने ऑनलाइन चैनल के संपादक के खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले के संबंध में पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाते हुए केरल उच्च न्यायालय का रुख किया है. पत्रकार ने दावा किया है कि तीन जुलाई को पुलिस अधिकारियों ने उनके घर पर छापा मारा, तलाशी ली और एससी/एसटी मामले में ‘‘आरोपी’’ शजन स्कारिया के बारे में पूछा.
पत्रकार ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनके घर में ‘‘आतंक’’ का माहौल बनाने के अलावा, पुलिस ने बाद में उनका मोबाइल भी जब्त कर लिया, जो उनकी आजीविका के लिए बेहद जरूरी है. उन्होंने अपना मोबाइल फोन वापस करने के लिए अदालत से अंतरिम निर्देश देने का अनुरोध किया है.
पत्रकार ने वकील जयसूर्या भारतन के माध्यम से दायर अपनी याचिका में यह भी दावा किया है कि उनके घर की तलाशी अनधिकृत थी क्योंकि उन्हें पूर्व में कोई नोटिस नहीं दिया गया था और न ही अधिकारियों के पास कोई वारंट था. पत्रकार ने यह भी दावा किया कि वह एससी/एसटी अधिनियम के तहत मामले में आरोपी नहीं हैं और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि आरोपी स्करिया के साथ उनका एकमात्र संबंध कभी-कभार समाचार साझा करना था जिसके लिए पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता था.
पत्रकार ने अपनी याचिका में अदालत से पुलिस को निर्देश देने का आग्रह किया है कि वह उन्हें परेशान न करे, न ही उनके घर की तलाशी ले और न ही उन्हें थाने बुलाए. उन्होंने अपने घर पर की गई कथित अवैध तलाशी के लिए पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है. उच्च न्यायालय इस मामले पर 10 जुलाई को सुनवाई कर सकता है.
सत्तारूढ़ वाम मोर्चे के एक विधायक द्वारा एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने ऑनलाइन समाचार चैनल ‘मरुनादान मलयाली’ के संपादक शजन स्करिया का पता लगाने के लिए एक जांच के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की.
केरल उच्च न्यायालय द्वारा कुन्नाथुनाड निर्वाचन क्षेत्र के विधायक पी वी श्रीनिजिन द्वारा एलमक्करा थाने में दर्ज कराई गई शिकायत मामले में स्करिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के कुछ दिनों बाद पुलिस ने ऑनलाइन चैनल के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी.
विधायक श्रीनिजिन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि ऑनलाइन मीडिया चैनल ने जानबूझकर फर्जी खबरें फैलाकर उन्हें बदनाम किया है. इसके बाद स्करिया ने गिरफ्तारी से संरक्षण का अनुरोध करते हुए विशेष अदालत का रुख किया था. विशेष अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी. स्करिया ने उच्च न्यायालय का रुख किया लेकिन उसने सत्र अदालत के आदेश को बरकरार रखा.
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