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सरकार के साथ अगली वार्ता विफल होने पर सख्त कदम उठाएंगे : किसान संगठन

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Published : Jan 1, 2021, 10:54 PM IST

तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों का प्रदर्शन कई दिनों से जारी है. सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अबतक कोई हल नहीं निकल सका है. अगली वार्ता को लेकर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सरकार को चेतावनी दी और कहा कि यदि मांगे पूरी नहीं होंगी तो हरियाणा में सभी मॉल और पेट्रोल पंप बंद करना शुरू कर देंगे.

स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव
स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव

नई दिल्ली : केंद्र के साथ अगले दौर की बातचीत से पहले अपने तेवर सख्त करते हुए किसान संगठनों ने शुक्रवार को चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि अगर सरकार चार जनवरी की बैठक में तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने की उनकी मुख्य मांगों को हल करने में नाकाम रहती है तो, वे हरियाणा में सभी मॉल और पेट्रोल पंप बंद करना शुरू कर देंगे.

सिंघु बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार के साथ अब तक हुई बैठकों में किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों में से केवल पांच प्रतिशत पर चर्चा हुई है. उन्होंने अपनी मुख्य मांगों के पूरा नहीं होने पर कदमों की चेतावनी दी.

किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सरकार को चेतावनी दी

गणतंत्र दिवस समारोह से कुछ दिन पहले की गयी घोषणा में मुख्य मांगों को पूरा नहीं किए जाने पर कृषक संगठनों ने एक महीने में कई विरोध कार्यक्रमों का जिक्र किया. किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अगर केंद्र सरकार सोचती है कि किसानों का विरोध शाहीन बाग की तरह हो जाएगा, तो यह गलत है. उन्होंने कहा कि वे (सरकार) हमें इस जगह से वैसे नहीं हटा सकते हैं, जैसा उन्होंने शाहीन बाग में किया था.

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने कई महीनों तक शाहीन बाग में डेरा डाला था. बाद में, दिल्ली पुलिस ने पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में लोगों को वहां से हटा दिया था.

किसान नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर सरकार चार जनवरी को उनके पक्ष में फैसला नहीं लेती है तो वे कड़े कदम उठाएंगे. स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी जैसे दो मुख्य मुद्दों पर सरकार एक इंच भी नहीं बढ़ी है.

पढ़ें- मांगें पूरी न होने पर छह जनवरी को KMP राजमार्ग पर मार्च : संयुक्त किसान मोर्चा

उन्होंने दावा किया कि सरकार ने एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के मुद्दे पर सैद्धांतिक रूप से प्रतिबद्धता जताने से इनकार किया है. अगले कदम का जिक्र करते हुए यादव ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ बातचीत जारी रहेगी और वहीं किसान संगठन एक साथ विरोध को तेज करेंगे और इसे देश के हर कोने में ले जाएंगे.

एक अन्य किसान नेता विकास ने संवाददाताओं से कहा कि अगर सरकार के साथ चार जनवरी की बैठक में गतिरोध दूर नहीं होता है तो, हम हरियाणा में सभी मॉल, पेट्रोल पंपों को बंद करने की तारीखों की घोषणा करेंगे.

संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में कई निर्णय लिए गए. दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 40 किसान यूनियन संयुक्त किसान मोर्चे के तहत आंदोलन कर रही हैं.

किसान यूनियनों के अनुसार यदि चार जनवरी की वार्ता के परिणाम संतोषजनक नहीं होते हैं, तो प्रदर्शन स्थल से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर छह जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा. इसके अलावा उन किसानों से राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ने का आह्वान किया जाएगा जो, हरियाणा-राजस्थान सीमा पर शाहजहांपुर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसान नेताओं ने कहा कि प्रदर्शन के पंजाब तक सीमित रहने के सरकार के कथित दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए छह जनवरी से 20 जनवरी तक देशभर में रैलियां, धरने, और संवाददाता सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा.

पढ़ें- कृषि मंत्री को उम्मीद, 4 जनवरी की बैठक से मिलेंगे सकारात्मक परिणाम

किसान नेताओं ने कहा कि 18 जनवरी को महिला दिवस मनाया जाएगा और 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर जुर्माने को लेकर किसानों की चिंताओं के हल के लिए कुछ सहमति बनी लेकिन, तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के मुद्दों पर गतिरोध कायम रहा.

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसानों के 41-सदस्यीय प्रतिनिधि समूह और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चार विषयों में से दो मुद्दों पर पारस्परिक सहमति के बाद 50 प्रतिशत समाधान हो गया है और शेष दो मुद्दों पर चार जनवरी को दोपहर दो बजे चर्चा होगी.

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं.

सरकार का कहना है कि नए कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था ‘कमजोर’ होगी तथा किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे.

नई दिल्ली : केंद्र के साथ अगले दौर की बातचीत से पहले अपने तेवर सख्त करते हुए किसान संगठनों ने शुक्रवार को चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि अगर सरकार चार जनवरी की बैठक में तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने की उनकी मुख्य मांगों को हल करने में नाकाम रहती है तो, वे हरियाणा में सभी मॉल और पेट्रोल पंप बंद करना शुरू कर देंगे.

सिंघु बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार के साथ अब तक हुई बैठकों में किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों में से केवल पांच प्रतिशत पर चर्चा हुई है. उन्होंने अपनी मुख्य मांगों के पूरा नहीं होने पर कदमों की चेतावनी दी.

किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सरकार को चेतावनी दी

गणतंत्र दिवस समारोह से कुछ दिन पहले की गयी घोषणा में मुख्य मांगों को पूरा नहीं किए जाने पर कृषक संगठनों ने एक महीने में कई विरोध कार्यक्रमों का जिक्र किया. किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अगर केंद्र सरकार सोचती है कि किसानों का विरोध शाहीन बाग की तरह हो जाएगा, तो यह गलत है. उन्होंने कहा कि वे (सरकार) हमें इस जगह से वैसे नहीं हटा सकते हैं, जैसा उन्होंने शाहीन बाग में किया था.

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने कई महीनों तक शाहीन बाग में डेरा डाला था. बाद में, दिल्ली पुलिस ने पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में लोगों को वहां से हटा दिया था.

किसान नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर सरकार चार जनवरी को उनके पक्ष में फैसला नहीं लेती है तो वे कड़े कदम उठाएंगे. स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी जैसे दो मुख्य मुद्दों पर सरकार एक इंच भी नहीं बढ़ी है.

पढ़ें- मांगें पूरी न होने पर छह जनवरी को KMP राजमार्ग पर मार्च : संयुक्त किसान मोर्चा

उन्होंने दावा किया कि सरकार ने एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के मुद्दे पर सैद्धांतिक रूप से प्रतिबद्धता जताने से इनकार किया है. अगले कदम का जिक्र करते हुए यादव ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ बातचीत जारी रहेगी और वहीं किसान संगठन एक साथ विरोध को तेज करेंगे और इसे देश के हर कोने में ले जाएंगे.

एक अन्य किसान नेता विकास ने संवाददाताओं से कहा कि अगर सरकार के साथ चार जनवरी की बैठक में गतिरोध दूर नहीं होता है तो, हम हरियाणा में सभी मॉल, पेट्रोल पंपों को बंद करने की तारीखों की घोषणा करेंगे.

संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में कई निर्णय लिए गए. दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 40 किसान यूनियन संयुक्त किसान मोर्चे के तहत आंदोलन कर रही हैं.

किसान यूनियनों के अनुसार यदि चार जनवरी की वार्ता के परिणाम संतोषजनक नहीं होते हैं, तो प्रदर्शन स्थल से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर छह जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा. इसके अलावा उन किसानों से राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ने का आह्वान किया जाएगा जो, हरियाणा-राजस्थान सीमा पर शाहजहांपुर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसान नेताओं ने कहा कि प्रदर्शन के पंजाब तक सीमित रहने के सरकार के कथित दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए छह जनवरी से 20 जनवरी तक देशभर में रैलियां, धरने, और संवाददाता सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा.

पढ़ें- कृषि मंत्री को उम्मीद, 4 जनवरी की बैठक से मिलेंगे सकारात्मक परिणाम

किसान नेताओं ने कहा कि 18 जनवरी को महिला दिवस मनाया जाएगा और 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर जुर्माने को लेकर किसानों की चिंताओं के हल के लिए कुछ सहमति बनी लेकिन, तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के मुद्दों पर गतिरोध कायम रहा.

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसानों के 41-सदस्यीय प्रतिनिधि समूह और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चार विषयों में से दो मुद्दों पर पारस्परिक सहमति के बाद 50 प्रतिशत समाधान हो गया है और शेष दो मुद्दों पर चार जनवरी को दोपहर दो बजे चर्चा होगी.

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं.

सरकार का कहना है कि नए कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था ‘कमजोर’ होगी तथा किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे.

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