जोधपुर. मथुरादास माथुर अस्पताल के शिशु रोग विभाग में शुरू हुई पीडियाट्रिक कैथ लैब में गुरुवार को एक 9 दिन के नवजात की कार्डियक सर्जरी की गई. अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने बताया कि एम्स में 9 दिन का नवजात शिशु ट्रांस पोजीशन ऑफ ग्रेट वेसल्स (बड़ी धमनी का उल्टा होना) बीमारी से ग्रसित था. उसका ऑक्सीजन लेवल 40 से 45 परसेंट था. एम्स के डॉक्टर्स एमडीएम अस्पताल में डॉ. जेपी सोनी से संपर्क किया. बच्चे को ट्रांसपोर्ट इनक्यूबेटर से एनआईसीयू में भर्ती करके एमडीएम कैथ लैब में BAS Procedure द्वारा एट्रियल सेप्टम को चौड़ा किया गया.
प्रोसीजर के बाद बच्चे का ऑक्सीजन लेवल 80 से 82 परसेंट हो गया. ऑपरेशन के बाद बच्चे को स्टेबलाइज कर वापस AIIMS NICU में भिजवा दिया गया. अब नवजात पहले से बेहतर है. मेडिकल कॉलेज के कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दिलीप कच्छवाहा, पीडियाट्रिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष पारख और पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी टीम को बधाई दी. कॉलेज प्रवक्ता डॉ. जयराम रावतानी बताया कि यह ऑपरेशन इमरजेंसी में मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत निशुल्क किया गया है.
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ऑक्सीजन की कमी से नीला पड़ जाता है शरीर : पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी डिवीजन के डॉक्टर विकास आर्य ने बताया कि ट्रांस पोजीशन ऑफ ग्रेट वेसल्स नामक बीमारी में जन्म के बाद बच्चे को नीले पड़ने की शिकायत होती है, क्योंकि शरीर एवं फेफड़ों को खून ले जाने वाली नसें आपस में बदल जाती हैं. ऐसे में अगर एट्रियल सेप्टल में छेद अगर छोटा हो तो बच्चे का ऑक्सीजन लेवल काफी कम होता है एवं बच्चा ऑक्सीजन की कमी से मल्टी ऑर्गन फैलियर में चला जाता है. ऐसे में पैलिएटिव इंटरवेंशन विधि से बैलून Atrial Septostomy प्रोसीजर (बैलून द्वारा एट्रियल सेप्टम को चौडा) किया जाता है.