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कान्हा के ब्रज में पक्षियों का बसेरा, अठखेलियों से गुलजार जोधपुर झाल

आगरा-मथुरा की सीमा पर प्रवासी पक्षियों की शरणस्थली जोधपुर झाल अब केवल प्रवासी पक्षियों की शरणस्थली ही नही बल्कि स्थानीय प्रवासी व आवासीय पक्षियों की प्रजनन स्थली बन गई है. यहां पर जलीय व स्थलीय पक्षी अपना कुनबा बढ़ाने को लेकर घरौंदे बना रहे हैं. यह खुलासा बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (बीआरडीएस) की रिपोर्ट में हुआ है. पढ़ें रिपोर्ट...

कान्हा
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Published : Jul 14, 2021, 11:08 AM IST

आगरा : कान्हा (kanha) और ताज की नगरी (city ​​of taj) के पक्षी प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर (good news for bird lovers) है. आगरा-मथुरा की सीमा (agra mathura border) पर प्रवासी पक्षियों की शरणस्थली जोधपुर झाल (Jodhpur Jhal) अब स्थानीय प्रवासी पक्षियों का प्रजनन केंद्र (breeding center for migratory birds) भी बन गया है. यहां पर जलीय व स्थलीय पक्षी अपना कुनबा बढ़ाने को लेकर घरौंदे बना रहे हैं. यह खुलासा जोधपुर झाल की जैव विविधता का अध्ययन कर रही संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (BRDS) की रिपोर्ट में हुआ है.

देखें रिपोर्ट.

रिपोर्ट के मुताबिक, जोधपुर झाल स्थानीय प्रवासी पक्षियों के कलवर से गुलजार है. यहां पर जलीय पक्षी फिजेन्ट टेल्ड जेकाना के 12 जोड़े प्रजनन कर रहे हैं, तो वहीं बया बीवर की चहचहाहट भी कानों को सुकून देती है. बीवर की कोलोनियल नेस्टिंग हो रही है.

आगरा से 30 किलोमीटर दूर मथुरा बाॅर्डर पर स्थित जोधपुर झाल स्थानीय प्रवासी स्थलीय और जलीय पक्षियों के कलरव से गुलजार हो रही है. बीआरडीएस के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, किसी भी वेटलैंड की स्थिति के आकलन के लिए प्रजनन स्थल बनना एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है.

पढ़ें- ईधन की बढ़ती कीमतों से पर्यटन क्षेत्र प्रभावित

पक्षियों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल में घोंसला निर्माण की सामग्री, अंडो व चूजों की सुरक्षा, भोजन की उपलब्धता और मानव का हस्तक्षेप का अभाव होना मुख्य कारक होते हैं. पक्षी अपने प्रजनन स्थल में यह सब कारक देखते हैं. इसलिए जोधपुर झाल का हेविटाट जलीय पक्षियों का प्रजनन स्थल बन रहा है. यहां पर बारिश के पानी के साथ ही सिंचाई विभाग ने खूब पानी छोड़ा है, जिससे पक्षियों को प्रजनन के अधिक अवसर मिल रहे हैं.

फिजेन्ट टेल्ड जेकाना के अनुकूल हेविटाट
बीआरडीएस के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, जोधपुर झाल तमाम पक्षियों के प्रजनन के लिए बेहतर हेविटाट बन रही है. यहां पर वर्तमान में जलीय पक्षियों में फिजेन्ट टेल्ड जेकाना के 12 जोड़े प्रजनन कर रहे हैं. बीवर अपने अनोखे घोंसले बनाने के लिए प्रसिद्ध है.

हाल ही में जोधपुर झाल पर बीवर की तीन प्रजातियां हैं, जिनमें बया बीवर, ब्लैक ब्रस्टेड बीवर और स्ट्रीक्ड बीवर हैं. इन तीनों प्रजातियों का प्रजनन काल मई से जून का माह होता है. यानी मानसून से पहले यह प्रजातियां प्रजनन कर लेती हैं. जोधपुर झाल पर बीवर की कोलोनियल नेस्टिंग हो रही है. इसके साथ एक दर्जन से ज्यादा स्थानीय प्रवासी जलीय और स्थलीय पक्षी यहां पर प्रजनन कर रहे हैं.

स्थलीय पक्षी भी बढ़ा रहा कुनबा
बीआरडीएस के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, जलीय पक्षियों के अलावा जोधपुर झाल पर स्थलीय पक्षियों की कई प्रजातियां प्रजनन कर रही हैं. जिमसें गोल्डन ओरियोल, बूली-नेक्ड स्टाॅर्क, रेड मुनिया, सिल्वर विल मुनिया, स्केली ब्रस्टिड मुनिया, ट्राइकलर मुनिया, ग्रीन बी ईटर, इंडियन रोलर, ग्रे होर्नबिल, काॅपर स्मिथ बारबेट, ब्लैक फ्रेंकलिन, ग्रे फ्रेंकलिन, स्ट्रीक्ड बेबलर, लार्ज ग्रे बैबलर, ब्लैक ड्रोगों, स्पोटिड आउल, लोंग टेल्ड श्राइक, इंडियन पैराकीट, पाइड बुशचैट, साइबेरियन स्टोन चैट, इंडियन पीफाॅल, टेलर बर्ड, प्लेन प्रीनिया, ऐशी प्रीनिया, क्रिस्टिड लार्क, पैडीफील्ड पिपिट शामिल हैं. जो जोधपुर झाल पर प्रजनन करते हैं.

पढ़ें- देशभर में 2009 से अब तक बने 22 मेगा फूड पार्क, 42 हुए थे स्वीकृत

यह पक्षी कर रहे प्रजनन
लेशर विशलिंग डक, नाब-बिल्ड डक, स्पाॅट विल्ड डक, पर्पल स्वैम्प हैन, लिटिल ग्रीव, लिटिल रिंग्ड प्लोवर, केन्टिश प्लोवर, ब्रोंज बिंग्ड जेकाना, यूरेशियन स्पून-बिल्ड डक, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, सारस क्रेन, काॅमन मूरहैन, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हैन, रेड वेटल्ड लेपविंग और जैकोबिन कूको.

सारस क्रेन कर रहा नेस्टिंग और ब्रीडिंग
रिसर्च स्काॅलर हिमांशी सागर का कहना है कि, मैं सारस क्रेन पर रिसर्च कर रही हूं. जोधपुर झाल पर इस समय सारस क्रेन की नेस्टिंग और ब्रीडिंग पर काम कर रही हूं. यहां पर चार स्थानों पर ब्रीडिंग और नेस्टिंग हो रही है. एक साल से हम इन्हें माॅनीटरिंग कर रहे हैं. यह सारस क्रेन की नेस्टिंग और ब्रीडिंग के लिए बहुत अच्छी जगह है.

बीवर की बना पसंद
रिसर्च स्काॅलर निधि यादव का कहना है कि जोधपुर झाल पर हम एक रिसर्च पेपर तैयार कर रहे हैं. यहां पर बीवर की तीन प्रजाजियां पाई जाती हैं. जो बया बीवर, ब्लैक ब्रस्टेड बीवर और स्ट्रीक्ड बीवर हैं. हम नेस्टिंग पर काम कर रहे हैं. रिसर्च स्काॅलर शम्मी सैय्यद का कहना है कि, जोधपुर झाल पर बया बीयर के 400 से ज्यादा घोंसले हैं. यह बीवर के रहने और प्रजनन के लिए बहुत अच्छा स्थान है.

आगरा : कान्हा (kanha) और ताज की नगरी (city ​​of taj) के पक्षी प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर (good news for bird lovers) है. आगरा-मथुरा की सीमा (agra mathura border) पर प्रवासी पक्षियों की शरणस्थली जोधपुर झाल (Jodhpur Jhal) अब स्थानीय प्रवासी पक्षियों का प्रजनन केंद्र (breeding center for migratory birds) भी बन गया है. यहां पर जलीय व स्थलीय पक्षी अपना कुनबा बढ़ाने को लेकर घरौंदे बना रहे हैं. यह खुलासा जोधपुर झाल की जैव विविधता का अध्ययन कर रही संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (BRDS) की रिपोर्ट में हुआ है.

देखें रिपोर्ट.

रिपोर्ट के मुताबिक, जोधपुर झाल स्थानीय प्रवासी पक्षियों के कलवर से गुलजार है. यहां पर जलीय पक्षी फिजेन्ट टेल्ड जेकाना के 12 जोड़े प्रजनन कर रहे हैं, तो वहीं बया बीवर की चहचहाहट भी कानों को सुकून देती है. बीवर की कोलोनियल नेस्टिंग हो रही है.

आगरा से 30 किलोमीटर दूर मथुरा बाॅर्डर पर स्थित जोधपुर झाल स्थानीय प्रवासी स्थलीय और जलीय पक्षियों के कलरव से गुलजार हो रही है. बीआरडीएस के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, किसी भी वेटलैंड की स्थिति के आकलन के लिए प्रजनन स्थल बनना एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है.

पढ़ें- ईधन की बढ़ती कीमतों से पर्यटन क्षेत्र प्रभावित

पक्षियों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल में घोंसला निर्माण की सामग्री, अंडो व चूजों की सुरक्षा, भोजन की उपलब्धता और मानव का हस्तक्षेप का अभाव होना मुख्य कारक होते हैं. पक्षी अपने प्रजनन स्थल में यह सब कारक देखते हैं. इसलिए जोधपुर झाल का हेविटाट जलीय पक्षियों का प्रजनन स्थल बन रहा है. यहां पर बारिश के पानी के साथ ही सिंचाई विभाग ने खूब पानी छोड़ा है, जिससे पक्षियों को प्रजनन के अधिक अवसर मिल रहे हैं.

फिजेन्ट टेल्ड जेकाना के अनुकूल हेविटाट
बीआरडीएस के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, जोधपुर झाल तमाम पक्षियों के प्रजनन के लिए बेहतर हेविटाट बन रही है. यहां पर वर्तमान में जलीय पक्षियों में फिजेन्ट टेल्ड जेकाना के 12 जोड़े प्रजनन कर रहे हैं. बीवर अपने अनोखे घोंसले बनाने के लिए प्रसिद्ध है.

हाल ही में जोधपुर झाल पर बीवर की तीन प्रजातियां हैं, जिनमें बया बीवर, ब्लैक ब्रस्टेड बीवर और स्ट्रीक्ड बीवर हैं. इन तीनों प्रजातियों का प्रजनन काल मई से जून का माह होता है. यानी मानसून से पहले यह प्रजातियां प्रजनन कर लेती हैं. जोधपुर झाल पर बीवर की कोलोनियल नेस्टिंग हो रही है. इसके साथ एक दर्जन से ज्यादा स्थानीय प्रवासी जलीय और स्थलीय पक्षी यहां पर प्रजनन कर रहे हैं.

स्थलीय पक्षी भी बढ़ा रहा कुनबा
बीआरडीएस के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, जलीय पक्षियों के अलावा जोधपुर झाल पर स्थलीय पक्षियों की कई प्रजातियां प्रजनन कर रही हैं. जिमसें गोल्डन ओरियोल, बूली-नेक्ड स्टाॅर्क, रेड मुनिया, सिल्वर विल मुनिया, स्केली ब्रस्टिड मुनिया, ट्राइकलर मुनिया, ग्रीन बी ईटर, इंडियन रोलर, ग्रे होर्नबिल, काॅपर स्मिथ बारबेट, ब्लैक फ्रेंकलिन, ग्रे फ्रेंकलिन, स्ट्रीक्ड बेबलर, लार्ज ग्रे बैबलर, ब्लैक ड्रोगों, स्पोटिड आउल, लोंग टेल्ड श्राइक, इंडियन पैराकीट, पाइड बुशचैट, साइबेरियन स्टोन चैट, इंडियन पीफाॅल, टेलर बर्ड, प्लेन प्रीनिया, ऐशी प्रीनिया, क्रिस्टिड लार्क, पैडीफील्ड पिपिट शामिल हैं. जो जोधपुर झाल पर प्रजनन करते हैं.

पढ़ें- देशभर में 2009 से अब तक बने 22 मेगा फूड पार्क, 42 हुए थे स्वीकृत

यह पक्षी कर रहे प्रजनन
लेशर विशलिंग डक, नाब-बिल्ड डक, स्पाॅट विल्ड डक, पर्पल स्वैम्प हैन, लिटिल ग्रीव, लिटिल रिंग्ड प्लोवर, केन्टिश प्लोवर, ब्रोंज बिंग्ड जेकाना, यूरेशियन स्पून-बिल्ड डक, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, सारस क्रेन, काॅमन मूरहैन, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हैन, रेड वेटल्ड लेपविंग और जैकोबिन कूको.

सारस क्रेन कर रहा नेस्टिंग और ब्रीडिंग
रिसर्च स्काॅलर हिमांशी सागर का कहना है कि, मैं सारस क्रेन पर रिसर्च कर रही हूं. जोधपुर झाल पर इस समय सारस क्रेन की नेस्टिंग और ब्रीडिंग पर काम कर रही हूं. यहां पर चार स्थानों पर ब्रीडिंग और नेस्टिंग हो रही है. एक साल से हम इन्हें माॅनीटरिंग कर रहे हैं. यह सारस क्रेन की नेस्टिंग और ब्रीडिंग के लिए बहुत अच्छी जगह है.

बीवर की बना पसंद
रिसर्च स्काॅलर निधि यादव का कहना है कि जोधपुर झाल पर हम एक रिसर्च पेपर तैयार कर रहे हैं. यहां पर बीवर की तीन प्रजाजियां पाई जाती हैं. जो बया बीवर, ब्लैक ब्रस्टेड बीवर और स्ट्रीक्ड बीवर हैं. हम नेस्टिंग पर काम कर रहे हैं. रिसर्च स्काॅलर शम्मी सैय्यद का कहना है कि, जोधपुर झाल पर बया बीयर के 400 से ज्यादा घोंसले हैं. यह बीवर के रहने और प्रजनन के लिए बहुत अच्छा स्थान है.

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