श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के लावापोरा क्षेत्र में हुई मुठभेड़ का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मुठभेड़ में मारे गए युवकों के परिजनों द्वारा विरोध प्रदर्शन के लिए बाद मुठभेड़ की निष्पक्ष जांच की मांग उठ रही है. इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (कश्मीर) ने लावापोरा मुठभेड़ मामले में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
गौरतलब है कि बीते 30 दिसंबर को श्रीनगर के लावापोरा क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया था. पुलिस ने दावा किया था कि तीनों युवक आतंकवादी थे. लेकिन युवकों के परिजनों ने पुलिस के दावों को खारिज करते हुए अपने बेटों को निर्दोष बताया है.
बार एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा है, 'छात्रों की हत्या से न सिर्फ कश्मीर को सदमा पहुंचा है, बल्कि अधिवक्ता समुदाय को भी उतना ही धक्का लगा है. यह जानना काफी दर्दनाक है कि मुठभेड़ में मारे गए युवकों का आतंकवाद से कोई नाता नहीं था, न ही वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए थे. उनके परिवारों के बयान के अनुसार वे निर्दोष छात्र थे.'
कथित मुठभेड़ की जांच की मांग करते हुए बयान में कहा गया है, 'बार एसोसिएशन ने इस मामले में हाई कोर्ट के एक वर्तमान जज की निगरानी में उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है ताकि वास्तविकता और तथ्यों को जनता के सामने लाया जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए.'
साथ ही बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित किया है कि एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल मारे गए युवकों के घर का दौरा कर उनके परिवारों से मुलाकात करेगा.
इससे पहले, एसोसिएशन ने अधिवक्ता नजीर अहमद रोंगा की अध्यक्षता में अपने कार्यकारी सदस्यों की एक आपात बैठक बुलाई थी. बैठक के दौरान, अन्य मुद्दों के बीच लावापोरा मुठभेड़ मामले पर चर्चा की गई.
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गौरतलब है कि सोमवार को मुठभेड़ मारे गए तीन युवकों के परिवार के सदस्यों ने लगातार छठे दिन श्रीनगर की प्रेस कॉलोनी में विरोध प्रदर्शन किया था और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से शवों को सौंपने की मांग की. इस दौरान परिजनों ने दावा किया कि मारे गए युवकों का आतंकवाद से कोई जुड़ाव नहीं था.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने भी सोमवार को ट्वीट कर मुठभेड़ में मारे गए युवकों के शवों को उनके परिवारों को सौंपने की मांग की थी.