श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर सरकार ने सोमवार को जमीन जायदाद के क्षेत्र में निवेश करने वाले निवेशकों (Real Estate Investors) के साथ करीब 19,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव वाले 39 समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए. इससे देश के रियल एस्टेट निवेशकों के लिए केंद्र शासित प्रदेश में निवेश के रास्ते खुल गए हैं. ये समझौते आवास, होटल और वाणिज्यिक परियोजनाओं के विकास के लिए हैं.
उद्योग संगठन नारेडको ने कहा कि हीरानंदानी समूह, सिग्नेचर ग्लोबल, एनबीसीसी और रहेजा डेवनपर्स समेत कई कंपनियों ने 18,900 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव वाले समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये. अन्य रियल एस्टेट कंपनियों में सम्यक ग्रुप, रौनक ग्रुप, गोयल गंगा, जीएचपी ग्रुप और श्री नमन ग्रुप ने आवासीय परियोजनाओं के लिए शुरुआती समझौतों पर हस्ताक्षर किए. वहीं होटल परियोजना के लिए शैले होटल्स ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.
उद्योग और वाणिज्य विभाग ने हल्दीराम समूह के साथ जम्मू-कश्मीर में इकाई लगाने को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किये.
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू में आयोजित रियल एस्टेट शिखर सम्मेलन में समझौता ज्ञापनों पर हुए हस्ताक्षर को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह केंद्र शासित प्रदेश में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. सिन्हा ने कहा कि इन समझौतों से जम्मू-कश्मीर में रोजगार सृजन में मदद मिलेगी. उन्होंने घोषणा की कि इसी प्रकार का रियल एस्टेट सम्मेलन अगले साल 21-22 मई को श्रीनगर में होगा.
विपक्षी दलों के विकास के नाम पर स्थानीय लोगों की जमीन हड़पने के आरोपों के बारे में सिन्हा ने कहा कि यह डर पैदा करने और लोगों को भड़काने का प्रयास है. उन्होंने कहा कि इससे जनसंख्या संबंधी कोई परिवर्तन नहीं होगा.
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सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिन्हा ने कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अन्य राज्यों की तरह सुविधाओं और विकास का लाभ मिले. उन्होंने कहा कि लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है और बेरोजगारी तथा विकास न होने के पीछे अन्य कारणों के अलावा यह भी एक वजह है. सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में प्रतिभा और क्षमता की कोई कमी नहीं है और वह दिन दूर नहीं जब केंद्र शासित प्रदेश अन्य राज्यों के बराबर होगा.