हैदराबाद : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भले ही कोरोना महामारी के कारण मानवता त्रस्त है, लेकिन कोविड-19 के दौर में कार्मिक विभाग के कर्मचारियों की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि जहां तक केन्द्रीय सचिवालय की दक्षता की बात है, सरकार का लक्ष्य 'ऑनलाइन' माध्यमों का अधिक बेहतर तरीके से उपयोग कर, किसी 'फाइल' के विभिन्न स्तरों से गुजरने की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करना है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 21वीं सदी की डिजिटल क्रांति (21st century's digital revolution) का नेतृत्व कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में डेटा पावरहाउस के रूप में उभरा है. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डेटा संरक्षण के लिए विधायी और अन्य उपायों के माध्यम से प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है.
महामारी के बाद की दुनिया में भारत के टेकेड डिजिटल गवर्नेंस (techade digital governance) के विषय पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, डिजिटल इंडिया ने लाखों लोगों, विशेष रूप से देश में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए सेवाओं तक आसान पहुंच में मदद की है.
'ई-शासन' पर 24वें राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कई बार शारीरिक उपस्थिति केवल 25 प्रतिशत होने के बावजूद कर्मचारियों की कार्यक्षमता पहले (जब कोविड-19 का प्रकोप नहीं था) जितनी ही रही.
शुक्रवार को जितेंद्र सिंह ने कहा, 'इसलिए, कोविड-19 जो एक अभिशाप के रूप में आया था, उसके कुछ सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले...वैश्विक महामारी की शुरूआत हुए दो साल हो गए हैं...इस दौरान कम से कम कार्मिक विभाग का काम एक दिन भी प्रभावित नहीं हुआ. अन्य मंत्रालयों में भी यही स्थिति रही होगी…हम पहले (जब कोविड-19 का प्रकोप नहीं था) की तुलना में अधिक काम कर रहे हैं.'
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इस बीच, तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी एवं उद्योग मंत्री के.टी. रामाराव ने सिंह से हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी निवेश क्षेत्र (आईटीआईआर) परियोजना की स्थापना के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया, जिसकी परिकल्पना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के शासनकाल में तैयार की गई थी और बाद में मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने उसे (प्रस्ताव को) रद्द कर दिया था.