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महज 19 साल की उम्र में ओलंपिक में 'दंगल' करेगी हरियाणा की ये छोरी

टोक्यो ओलंपिक 2021 (Tokyo Olympic 2021) में देश को हरियाणा के जींद जिले की पहलवान अंशु मलिक से काफी उम्मीदें हैं. देशवासी अंशु मलिक से गोल्ड मेडल (gold medal) की आस लगाए बैठे हैं. वहीं, अंशु भी रात दिन एक कर देशवासियों का ये सपना पूरा करने की कोशिश में जुटी हुई हैं.

हरियाणा की छोरी
हरियाणा की छोरी
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Published : Jun 17, 2021, 7:28 AM IST

जींद (हरियाणा) : चीते सी चपल फुर्ती, बाज सी तेज नजर, मजबूत पकड़ और सामने वाले के लिए खौफ का दूसरा नाम है अंशु मलिक (wrestler anshu malik). हरियाणा के जींद जिले के छोटे से गांव निडानी से दंगल की शुरुआत करने वाली धाकड़ छोरी अब टोक्यो ओलंपिक का टिकट (Tokyo Olympic 2021) लेकर पोलैंड में प्रैक्टिस कर रही हैं.

ओलंपिक में 'दंगल' करेगी हरियाणा की ये छोरी

बता दें कि जींद जिले के निडानी गांव में भारतीय महिला पहलवानी का चमकता सितारा हैं अंशु मलिक. उन्होंने दो साल पहले जूनियर वर्ग में होते हुए भी सीनियर नेशनल खेला और गोल्ड मेडल (gold medal) झटका. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक के बाद एक जीत दर्ज करते हुए 57 किलो भार वर्ग में देश की नंबर वन पहलवान भी बन चुकी हैं.

पहलवान अंशु मलिक
पहलवान अंशु मलिक

दादी से मिली खेलने की प्रेरणा
अंशु मलिक की मां मंजू मलिक ने बताया कि अंशु को खेल की प्रेरणा उनकी दादी से मिली है. दादी से प्रेरणा मिलने के बाद अंशु ने 2013 से खेल शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने लगातार मेडल हासिल किए. अंशु की मां ने कहा, परिवार के सभी लोग अंशु को बेटे की तरह ही ध्यान रखते हैं और खूब लाड़ करते हैं.

पढ़ें- 12 साल की उम्र में लिखी 82 कविताएं, किताब के रूप में हुई प्रकाशित

घंटों मेहनत करती हैं अंशु
मंजू मलिक ने बताया कि जब अंशु गांव में रहती है तो वो चार घंटे सुबह और चार घंटे शाम को प्रैक्टिस करती हैं. इस बार उन्हें पूरी उम्मीद है कि अंशु मेडल लेकर आएगी और देश का नाम रौशन करेगीं. बता दें कि एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड और विश्व कप में सिल्वर जीतने वाली अंशु मलिक को पहलवानी विरासत में मिली है. उनके ताऊ नेशनल लेवल के पहलवान थे और पिता भी पहलवान ही हैं. उन्होंने ही अंशु मलिक को शुरुआती दांव-पेंच सिखाए थे.

अंशु मलिक के पिता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि उनकी बेटी ग्राउंड पोजीशन में थोड़ी कमजोर है, जिस पर अंशु ने काफी मेहनत भी की है. इसके अलावा पेंडिंग में उनकी बेटी काफी मजबूत है.

इसके साथ ही अंशु मलिक के पिता ने ये भी बताया कि अंशु ने पहलवानी की शुरुआत 2016 में सीबीएसएम स्पोर्ट्स कॉलेज से की थी. वैसे 2016 भी अंशु के लिए खासा अच्छा साबित हुआ, लेकिन नाम अंशु को 2017 में मिला, जब वो वर्ल्ड चैंपियन बनी थी.

पढ़ें- पुणे के साेहम ने उपग्रह लॉन्च कर बनाया विश्व रिकॉर्ड

पूरे देश को है मेडल की आस
टोक्यो में 23 जुलाई से आठ अगस्त तक ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जाएगा. अंशु मलिक जब अखाड़े में उतरेंगी तो पूरे देश को उनसे गोल्ड मेडल की आस रहेगी. अंशु को भी देश की उम्मीदों का बखूबी अंदाजा है. यही वजह है कि वो दिन रात जी तोड़ मेहनत कर रही हैं और आप बस दुआ कीजिए.

जींद (हरियाणा) : चीते सी चपल फुर्ती, बाज सी तेज नजर, मजबूत पकड़ और सामने वाले के लिए खौफ का दूसरा नाम है अंशु मलिक (wrestler anshu malik). हरियाणा के जींद जिले के छोटे से गांव निडानी से दंगल की शुरुआत करने वाली धाकड़ छोरी अब टोक्यो ओलंपिक का टिकट (Tokyo Olympic 2021) लेकर पोलैंड में प्रैक्टिस कर रही हैं.

ओलंपिक में 'दंगल' करेगी हरियाणा की ये छोरी

बता दें कि जींद जिले के निडानी गांव में भारतीय महिला पहलवानी का चमकता सितारा हैं अंशु मलिक. उन्होंने दो साल पहले जूनियर वर्ग में होते हुए भी सीनियर नेशनल खेला और गोल्ड मेडल (gold medal) झटका. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक के बाद एक जीत दर्ज करते हुए 57 किलो भार वर्ग में देश की नंबर वन पहलवान भी बन चुकी हैं.

पहलवान अंशु मलिक
पहलवान अंशु मलिक

दादी से मिली खेलने की प्रेरणा
अंशु मलिक की मां मंजू मलिक ने बताया कि अंशु को खेल की प्रेरणा उनकी दादी से मिली है. दादी से प्रेरणा मिलने के बाद अंशु ने 2013 से खेल शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने लगातार मेडल हासिल किए. अंशु की मां ने कहा, परिवार के सभी लोग अंशु को बेटे की तरह ही ध्यान रखते हैं और खूब लाड़ करते हैं.

पढ़ें- 12 साल की उम्र में लिखी 82 कविताएं, किताब के रूप में हुई प्रकाशित

घंटों मेहनत करती हैं अंशु
मंजू मलिक ने बताया कि जब अंशु गांव में रहती है तो वो चार घंटे सुबह और चार घंटे शाम को प्रैक्टिस करती हैं. इस बार उन्हें पूरी उम्मीद है कि अंशु मेडल लेकर आएगी और देश का नाम रौशन करेगीं. बता दें कि एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड और विश्व कप में सिल्वर जीतने वाली अंशु मलिक को पहलवानी विरासत में मिली है. उनके ताऊ नेशनल लेवल के पहलवान थे और पिता भी पहलवान ही हैं. उन्होंने ही अंशु मलिक को शुरुआती दांव-पेंच सिखाए थे.

अंशु मलिक के पिता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि उनकी बेटी ग्राउंड पोजीशन में थोड़ी कमजोर है, जिस पर अंशु ने काफी मेहनत भी की है. इसके अलावा पेंडिंग में उनकी बेटी काफी मजबूत है.

इसके साथ ही अंशु मलिक के पिता ने ये भी बताया कि अंशु ने पहलवानी की शुरुआत 2016 में सीबीएसएम स्पोर्ट्स कॉलेज से की थी. वैसे 2016 भी अंशु के लिए खासा अच्छा साबित हुआ, लेकिन नाम अंशु को 2017 में मिला, जब वो वर्ल्ड चैंपियन बनी थी.

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पूरे देश को है मेडल की आस
टोक्यो में 23 जुलाई से आठ अगस्त तक ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जाएगा. अंशु मलिक जब अखाड़े में उतरेंगी तो पूरे देश को उनसे गोल्ड मेडल की आस रहेगी. अंशु को भी देश की उम्मीदों का बखूबी अंदाजा है. यही वजह है कि वो दिन रात जी तोड़ मेहनत कर रही हैं और आप बस दुआ कीजिए.

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