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अफ्रीकी देशों में खूब पसंद किया जा रहा झारखंड का चावल, मिल रहे बड़े-बड़े ऑर्डर

झारखंड में उत्पादित धान से बना चावल विदेशों खास तौर पर अफ्रीकी देशों में खूब पसंद (Rice of Jharkhand) किया जा रहा है. पिछले तीन-चार वर्षों में हजारीबाग धान की बड़ी मंडी के रूप में विकसित हुआ है. धान के बढ़ते कारोबार को देखते हुए सैकड़ों किसानों ने कृषि मंत्रालय के पोर्टल पर ई-नाम पर खुद को रजिस्टर्ड कराया है. ई-नाम के जरिए फसल की खरीदारी से किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि उन्हें कीमत का भुगतान तुरंत हो जाता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
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Published : Dec 29, 2021, 3:42 PM IST

रांची : अफ्रीकी देश अब झारखंड के चावल (Rice of Jharkhand) के बड़े खरीदार बन रहे हैं. झारखंड के किसान उत्पादक संगठनों को इन देशों से लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं. हाल में रांची स्थित ऑल सीजन फॉर्म फ्रेश को 2200 मिट्रिक टन चावल की सप्लाई का ऑर्डर प्राप्त हुआ है. कृषि मंत्रालय के पोर्टल 'ई-नाम' के जरिए भी झारखंड के किसानों से बड़े पैमाने पर धान खरीदा जा रहा है और आंध्र प्रदेश के मीलों में तैयार किया जा रहा चावल विदेशों में निर्यात किया जा रहा है.

रांची स्थित बाजार समिति के अधिकारी अभिषेक आनंद ने बताया कि विदेशों से आईआर-64 क्वालिटी के चावल के एक्सपोर्ट करने का अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर रांची स्थित ऑल सीजन फॉर्म फ्रेश को मिला है. जल्द ही 80 कंटेनर चावल हल्दिया, परादीप और विशाखापत्तनम स्थित बंदरगाहों के जरिए दुबई और अफ्रीकी देशों में चावल की आपूर्ति की जायेगी.

झारखंड के हजारीबाग के किसानों को भी आंध्र प्रदेश के राइस मिलों से धान सप्लाई का ऑर्डर मिला है. बाहर से आये व्यापारी और एक्सपोर्टर्स भी स्थानीय किसानों से धान खरीद रहे हैं. यहां उत्पादित धान से बना चावल विदेशों खास तौर पर अफ्रीकी देशों में खूब पसंद किया जा रहा है. पिछले तीन-चार वर्षों में हजारीबाग धान की बड़ी मंडी के रूप में विकसित हुआ है. धान के बढ़ते कारोबार को देखते हुए सैकड़ों किसानों ने कृषि मंत्रालय के पोर्टल पर ई-नाम पर खुद को रजिस्टर्ड कराया है. ई-नाम के जरिए फसल की खरीदारी से किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि उन्हें कीमत का भुगतान तुरंत हो जाता है.

हजारीबाग में धान बिक्री के कारोबार से जुड़े एक व्यापारी बताते हैं कि इस वर्ष हजारीबाग से लगभग 25 करोड़ रुपये मूल्य का धान एक्सपोर्टर्स द्वारा खरीदे जाने की उम्मीद है. किसानों को इससे उपज की कीमत भी पहले की तुलना में ज्यादा मिल पा रही है.

ई-नाम पोर्टल पर धान और अन्य फसलों की बिक्री के लिए बीडिंग का ऑप्शन है. बीडिंग में देशभर के व्यापारी बोली लगाते हैं. किसान सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले खरीदारों को अपनी फसल बेचते हैं. फसल किसानों के खेत-खलिहानों से उठाकर उन्हें खरीदारों तक पहुंचाने में बाजार समिति की भूमिका होती है.

बता दें कि झारखंड के किसानों द्वारा उत्पादित की जाने वाली सब्जियां भी कुवैत, ओमान, दुबई और सउदी अरब सहित कई देशों में भेजे जाने का सिलसिला कुछ महीने पहले शुरू हुआ है. आगामी जनवरी रांची के किसानों द्वारा उत्पादित कद्दू, सहजन, भिंडी, करेला, मटर, फ्रेंच बीन, अदरक, कटहल, कच्चू, कच्चा केला और गोभी आदि सब्जियों की बड़ी खेप विदेश एक्सपोर्ट की जायेगी. झारखंड में प्रति वर्ष करीब 40 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होता है. सब्जियां विदेश भेजे जाने से किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलने लगा है.

ये भी पढ़ें : पाम तेल उत्पादन में अगुवा बन सकता है तेलंगाना : केंद्रीय कृषि मंत्री

रांची : अफ्रीकी देश अब झारखंड के चावल (Rice of Jharkhand) के बड़े खरीदार बन रहे हैं. झारखंड के किसान उत्पादक संगठनों को इन देशों से लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं. हाल में रांची स्थित ऑल सीजन फॉर्म फ्रेश को 2200 मिट्रिक टन चावल की सप्लाई का ऑर्डर प्राप्त हुआ है. कृषि मंत्रालय के पोर्टल 'ई-नाम' के जरिए भी झारखंड के किसानों से बड़े पैमाने पर धान खरीदा जा रहा है और आंध्र प्रदेश के मीलों में तैयार किया जा रहा चावल विदेशों में निर्यात किया जा रहा है.

रांची स्थित बाजार समिति के अधिकारी अभिषेक आनंद ने बताया कि विदेशों से आईआर-64 क्वालिटी के चावल के एक्सपोर्ट करने का अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर रांची स्थित ऑल सीजन फॉर्म फ्रेश को मिला है. जल्द ही 80 कंटेनर चावल हल्दिया, परादीप और विशाखापत्तनम स्थित बंदरगाहों के जरिए दुबई और अफ्रीकी देशों में चावल की आपूर्ति की जायेगी.

झारखंड के हजारीबाग के किसानों को भी आंध्र प्रदेश के राइस मिलों से धान सप्लाई का ऑर्डर मिला है. बाहर से आये व्यापारी और एक्सपोर्टर्स भी स्थानीय किसानों से धान खरीद रहे हैं. यहां उत्पादित धान से बना चावल विदेशों खास तौर पर अफ्रीकी देशों में खूब पसंद किया जा रहा है. पिछले तीन-चार वर्षों में हजारीबाग धान की बड़ी मंडी के रूप में विकसित हुआ है. धान के बढ़ते कारोबार को देखते हुए सैकड़ों किसानों ने कृषि मंत्रालय के पोर्टल पर ई-नाम पर खुद को रजिस्टर्ड कराया है. ई-नाम के जरिए फसल की खरीदारी से किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि उन्हें कीमत का भुगतान तुरंत हो जाता है.

हजारीबाग में धान बिक्री के कारोबार से जुड़े एक व्यापारी बताते हैं कि इस वर्ष हजारीबाग से लगभग 25 करोड़ रुपये मूल्य का धान एक्सपोर्टर्स द्वारा खरीदे जाने की उम्मीद है. किसानों को इससे उपज की कीमत भी पहले की तुलना में ज्यादा मिल पा रही है.

ई-नाम पोर्टल पर धान और अन्य फसलों की बिक्री के लिए बीडिंग का ऑप्शन है. बीडिंग में देशभर के व्यापारी बोली लगाते हैं. किसान सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले खरीदारों को अपनी फसल बेचते हैं. फसल किसानों के खेत-खलिहानों से उठाकर उन्हें खरीदारों तक पहुंचाने में बाजार समिति की भूमिका होती है.

बता दें कि झारखंड के किसानों द्वारा उत्पादित की जाने वाली सब्जियां भी कुवैत, ओमान, दुबई और सउदी अरब सहित कई देशों में भेजे जाने का सिलसिला कुछ महीने पहले शुरू हुआ है. आगामी जनवरी रांची के किसानों द्वारा उत्पादित कद्दू, सहजन, भिंडी, करेला, मटर, फ्रेंच बीन, अदरक, कटहल, कच्चू, कच्चा केला और गोभी आदि सब्जियों की बड़ी खेप विदेश एक्सपोर्ट की जायेगी. झारखंड में प्रति वर्ष करीब 40 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होता है. सब्जियां विदेश भेजे जाने से किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलने लगा है.

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