रांचीः हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में दायर अवमानना वाद की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई (Hearing of contempt case in Supreme Court). मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को अब तक नियुक्त हुए अभ्यर्थियों के अंतिम कट ऑफ को आधार मानकर इस केस के सभी पिटिशनर की मेधा सूची तैयार करने का निर्देश दिया है.
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह अदालत में पेश हुए (Jharkhand Chief Secretary appeared in Supreme Court). सरकार की ओर से जाने माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा. वहीं प्रार्थी सोनी कुमारी की ओर से अधिवक्ता ललित कुमार ने पक्ष रखा. मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को तय की गई है. सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई की जानकारी देते हुए अधिवक्ता ललित कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद जेएसएससी द्वारा मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी. जिसमें इस केस में प्रार्थी बने करीब 450 अभ्यर्थियों के मेरिट की गणना की जाएगी, जिसके बाद नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सोनी कुमारी एवं अन्य द्वारा दाखिल कंटैम्प्ट केस पर पिछली सुनवाई के दौरान सख्त रुख दिखाते हुए मुख्य सचिव को अगली सुनवाई यानी 2 दिसंबर को सशरीर उपस्थित होने को कहा था.
सोनी कुमारी एवं अन्य ने दाखिल किया है अवमाननावादः सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्प्ट केस के माध्यम से सोनी कुमारी ने कहा है कि 2 अगस्त को दिये गए सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और राज्य सरकार द्वारा अवहेलना किया जा रहा है. जिसके खिलाफ प्रार्थी सोनी कुमारी ने झारखंड के मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, कार्मिक सचिव और जेएसएससी सचिव के खिलाफ अवमानना वाद दाखिल किया था. प्रार्थी का मानना है कि जेएसएससी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रिजल्ट प्रकाशित नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस परीक्षा के लिए प्रकाशित अंतिम कट ऑफ को आधार मानते हुए स्टेट लेवल रिजल्ट प्रकाशित कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था, मगर जेएसएससी ने इसे नजरअंदाज कर मनमाने ढंग से रिजल्ट जारी करना शुरू किया. सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद जेएसएससी ने हाल ही में कॉउसिलिंग के लिए लिस्ट जारी करना शुरू किया था. जिसके बाद मेरिट लिस्ट को लेकर विवाद गहराने लगा और एक फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया.
क्या है पूरा मामलाः 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया. हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.