नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार जेडीयू को उम्मीद से काफी कम सीटें मिली हैं. वहीं, बीजेपी ने जेडीयू से काफी ज्यादा सीटें जीती हैं. ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो बनेंगे, लेकिन इस बार बीजेपी हावी रहेगी. सूत्रों से खबर मिली है कि बीजेपी अपने नियम और शर्तों के अनुसार ही आगे बढ़ेगी और साथ ही साथ पिछली बार से ज्यादा मंत्रालय भी मिलेंगे.
इस बार कुछ अलग देखने को मिलेगा
यह तो सब जानते हैं कि हमेशा से बीजेपी और जेडीयू के बीच छोटे और बड़े भाई का नाता रहा है, लेकिन इस बार कुछ अलग देखने को मिलेगा. जहां हर बार जेडीयू ज्यादा सीटें लेकर अपनी शर्तें मनवाने में कामयाब रहती थी और फुटफ्रंट पर हमेशा से नीतीश कुमार रहते थे, लेकिन इस बार सीटों के आंकड़े देखते हुए परिस्थितियां कुछ बदली हुई नजर आ रही है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच आत्ममंथन चल रहा है और पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि 283 सीटों वाली विधानसभा में इस बार भारतीय जनता पार्टी के ज्यादा प्रतिनिधि होने की वजह से उन्हें मंत्रिमंडल में भी ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए.
जेडीयू बना बड़ा से छोटा भाई
सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार दीपावली के बाद पदभार ग्रहण करेंगे और 246 में से 74 सीटें जीतने वाली बीजेपी अपनी सारी शर्तें मनवाने की स्थिति में होगी. बीजेपी से लगभग आधी मात्र 43 सीटें पाकर इस बार के गठबंधन में जेडीयू बड़े भाई से छोटे भाई की स्थिति में आ गई है. 2015 में जेडीयू को 71 सीटें मिली थी तब उस समय भाजपा को नीतीश कुमार की सारी शर्ते माननी पड़ी थीं. इस बीच भाजपा मुख्यालय से लेकर बिहार की राजधानी पटना तक में भाजपा नेताओं के बीच बैठकों का दौर जारी है. इस बार की सरकार में कैसे भारतीय जनता पार्टी को ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व मिले और किन-किन चेहरों को शामिल किया जाए इस बात को लेकर स्थानीय पर भी और मुख्यालय के स्तर पर भी लगातार बातचीत चल रही है. हालांकि, दीपावली के बाद संभावना है कि नए मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार पदभार ग्रहण करें.
बीजेपी ने हमेशा से किया जेडीयू का सम्मान
नाम ना लेने की शर्त पर बीजेपी के एक राष्ट्रीय महासचिव ने ईटीवी भारत को बताया कि राजनीति और गठबंधन में पार्टी हमेशा छोटे और बड़े भाई का लिहाज करती है और जब जेडीयू के पास ज्यादा सीटें थी, तो बीजेपी ने हमेशा से उनका सम्मान किया और उनकी शर्तों के अनुसार ही काम किया. उम्मीद है इस बार जब जेडीयू की सीटें बीजेपी से लगभग आधी हैं नीतीश कुमार परिस्थितियों को समझते हुए भाजपा के विधायकों को ज्यादा से ज्यादा नेतृत्व प्रदान करने पर तैयार हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि इन बातों को लेकर गठबंधन में किसी भी तरह का कोई मतभेद नहीं है, भले ही कुछ स्थानीय भाजपा नेता भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री की मांग कर रहे हैं, मगर यह विशुद्ध रूप से उनके निजी विचार हैं. पार्टी इस बारे में कोई दूसरा विचार नहीं रखती और पार्टी ने पहले से ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया था और आगे भी वही मुख्यमंत्री रहेंगे.
प्रमुख मंत्रालय लेने की करेगी कोशिश
पार्टी सूत्रों की मानें, तो भारतीय जनता पार्टी इस बार पिछली बार से ज्यादा मंत्रालय और प्रमुख मंत्रालय लेने की कोशिश करेगी. इसके साथ ही पार्टी इस बात का भी ख्याल रखेगी कि गठबंधन को लेकर जनता के बीच कोई गलत मैसेज ना जाए, क्योंकि आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल, आसाम, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी चुनाव होने हैं. भारतीय जनता पार्टी यह कतई नहीं चाहती कि अलग-अलग राजनीतिक दलों और लोगों के बीच यह संदेश जाए कि भारतीय जनता पार्टी जीत के बाद अपने गठबंधन की राजनीतिक धर्म नहीं निभा रही. हाल में ही बीजेपी के पुराने गठबंधन के दोस्त अकाली दल और उससे पहले शिवसेना भी अलग हो चुकी है और बीजेपी ऐसी परिस्थिति में किसी हाल में भी यह नहीं चाहती कि जेडीयू के साथ किसी भी तरह का मतभेद उत्पन्न हो.
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बीजेपी के सीएम की उठी थी मांग
यही वजह है कि मंगलवार को जैसे ही भारतीय जनता पार्टी के एससी मोर्चा बिहार के अध्यक्ष अजीत कुमार चौधरी ने यह मांग उठाई कि बीजेपी की ज्यादा सीटें होने की वजह से अब भारतीय जनता पार्टी के किसी उम्मीदवार को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए, इसके तुरंत बाद ही भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इस बात का खंडन कर दिया और साथ ही यह कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने शुरू से ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बताया है और इस बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे. पिछले कैबिनेट में भारतीय जनता पार्टी के 12 मंत्री थे, जबकि जेडीयू के 17 मंत्री थे. भाजपा के एक उपमुख्यमंत्री थे. हालांकि, वित्त मंत्रालय, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, कृषि मंत्रालय, रोड कंस्ट्रक्शन, स्वास्थ्य मंत्रालय और राजस्व मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग भाजपा के पास ही थे और भारतीय जनता पार्टी इन तमाम महत्वपूर्ण विभागों के साथ-साथ कुछ और महत्वपूर्ण विभाग इस बार अपने खाते में ले सकती है.