नई दिल्ली : कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर जनता दल (सेक्युलर) और भाजपा के बीच गठबंधन को कर्नाटक में झटका लगा है. क्योंकि समझौते की घोषणा के कुछ ही दिनों के भीतर कई मुस्लिम नेताओं ने क्षेत्रीय पार्टी छोड़ दी. कांग्रेस ने दावा किया कि समझौते का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने जमीनी काम शुरू कर दिया है.
इस संबंध में कर्नाटक प्रभारी और एआईसीसी सचिव अभिषेक दत्त ने बताया कि जद-एस और भाजपा के बीच गठबंधन के होने के कुछ ही दिनों के अंदर ही क्षेत्रीय पार्टी को नुकसान हुआ है. इसी वजह से कई मुस्लिम नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. इस गठबंधन का कांग्रेस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
कांग्रेस नेताओं के मुताबिक गठबंधन की आधिकारिक घोषणा होने के कुछ ही दिनों के भीतर महासचिव और शिमोगा इकाई के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष शफीउल्लाह और मीडिया प्रवक्ता सहित दर्जनों जद-एस मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था. वहीं देवदुर्गा विधानसभा सीट से जद-एस विधायक करेम्मा नायक ने गठबंधन पर निशाना साधते हुए भाजपा को आदिवासी विरोधी पार्टी करार दिया. बताया जाता है कि तुमकुर ग्रामीण से जद-एस के पूर्व विधायक गौरी शंकर के इस्तीफा देने के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.
वहीं राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रकाश राठौड़ ने कहा कि मुस्लिम नेता जद-एस को छोड़ रहे हैं, जिसने हताशा में भाजपा से हाथ मिला लिया था. उन्होंने कहा कि हाल के विधानसभा चुनावों में जद-एस का वोट शेयर कम हो गया था हालांकि वे भाजपा पर भरोसा करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन समझौते से दोनों में से किसी को भी मदद नहीं मिलने वाली है. वास्तव में, इससे कांग्रेस को मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि जद-एस एक अवसरवादी पार्टी है और इसमें धर्मनिरपेक्ष कुछ भी नहीं है. विधानसभा चुनावों में उनका भाजपा के साथ एक मौन समझौता था, जहां उन्होंने कई सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि हुमनाबाद सीट पर एक संयुक्त मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा किया जहां हम हार गए. गठबंधन केवल वही पुष्टि करता है जो हम हमेशा से जानते थे. कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा वंशवाद की राजनीति को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधती रही है, लेकिन अब उसने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी द्वारा संचालित जद-एस से हाथ मिला लिया है.
उन्होंने महाराष्ट्र में भी ऐसा ही किया, जहां शरद पवार की पार्टी को भ्रष्ट बताने के कुछ दिनों बाद भाजपा ने राकांपा के बागी अजित पवार से हाथ मिला लिया. राठौड़ ने कहा कि हताशा बीजेपी खेमे में भी है. वे राष्ट्रीय स्तर पर एक डूबती हुई पार्टी हैं और जद-एस की मदद नहीं कर पाएंगे. पीएम ने कर्नाटक में बड़े पैमाने पर प्रचार किया लेकिन वह बीजेपी को हार से नहीं बचा सके. 2024 में भी ऐसा ही होगा.
कांग्रेस नेता ने कहा कि 135/224 विधानसभा सीटों की अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद कांग्रेस कर्नाटक की कुल 28 लोकसभा सीटों में से कम से कम 20 सीटें जीतने को लेकर आश्वस्त है और कहा कि 2024 की लड़ाई के लिए तैयारी पहले ही शुरू हो चुकी है. पार्टी नेताओं को सीटवार पर्यवेक्षक सौंपे गए हैं और क्षेत्र सर्वेक्षण जारी है. उन्होंने कहा कि पांच चुनावी गारंटियां लागू की जा रही हैं और इनका मतदाताओं पर प्रभाव पड़ेगा. लोगों ने देखा है कि हम जो वादा करते हैं उसे पूरा करते हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि राज्य इकाई के प्रमुख और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार राज्य में लोकसभा रणनीति का नेतृत्व कर रहे हैं और जल्द ही कई भाजपा और जद-एस बागियों को कांग्रेस में शामिल कर सकते हैं.
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