नई दिल्ली : भारत में जापानी राजदूत हिरोशी सुजुकी ने श्रीलंकाई ऋण पुनर्गठन में नई दिल्ली की भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट के समय भारत ने श्रीलंका को वित्तीय सहायता की जिसने श्रीलंका की काफी मदद की. उन्होंने कहा कि जापान श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन की प्रक्रिया पर भारत की भागीदारी और दूरदर्शी दृष्टिकोण की सराहना करता है. नेटस्ट्रैट, वीआईएफ, पाथफाइंडर और सीआईआई द्वारा सह-आयोजित भारत-श्रीलंका-जापान त्रिपक्षीय सहयोग कार्यक्रम में बोलते हुए दूत ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत, जापान और श्रीलंका की भूमिका पर भी प्रकाश डाला.
जापानी दूत ने श्रीलंकाई ऋण पुनर्गठन के बारे में आगे बोलते हुए इस बात पर जोर दिया कि कैसे 'विकास के लिए पूंजी प्रबंध भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती रही है और उनका देश कैसे पारदर्शी और निष्पक्ष विकासात्मक सहायता को महत्व देता है. उन्होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में, विकास के लिए पूंजी भारी मांग है. उन्होंने कहा कि जापान पारदर्शी और निष्पक्ष विकासात्मक सहायता और विकास के लिए पूंजी प्रबंध को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है. जो अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों का पालन करता है.
कर्ज राहत के बारे में बात करते हुए दूत ने कहा कि 'कर्ज राहत के मामले में जापान अंतरराष्ट्रीय नियमों और स्थिति को महत्व देता है.' दूत ने यह भी कहा कि सभी लेनदारों के साथ एक जैसा व्यवहार करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हम पारदर्शी और न्यायसंगत ऋण पुनर्गठन को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं जहां सभी ऋणदाता संस्थाएं, ऋणदाता देश और संगठन भाग लेते हैं. सभी लेनदारों के बीच न्यायसंगत व्यवहार होता है. अगर एक देश को दूसरे देश की तुलना में तरजीह दी जाती है, तो संपूर्ण ऋण पुनर्गठन ध्वस्त हो जाएगा.
दूत ने कहा कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने यह सार्वजनिक किया है कि श्रीलंकाई सरकार कभी भी किसी भी देश के साथ दूसरों की तुलना में अधिक अनुकूल व्यवहार नहीं करेगी और जापान उस सार्वजनिक प्रतिबद्धता की अत्यधिक सराहना करता है जिसे राष्ट्रपति ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है. श्रीलंका के उच्चायुक्त मिलिंदा मोरागोडा ने भी दोनों देशों के बीच त्रिपक्षीय सहयोग की सराहना की. उन्होंने कहा कि आवश्यक निवेश की मात्रा को देखते हुए, यह एक महत्वपूर्ण पहलू बन जाता है.