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जंतर-मंतर पर भड़काऊ बयान का मामल में दिल्ली सरकार को नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट ने 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर धर्म विशेष विरोधी नारे लगाने के आरोपी प्रीत सिंह की जमानत याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया.

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Published : Sep 3, 2021, 2:31 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने जंतर मंतर पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ नारा लगाने के आरोपी प्रीत सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है.

सिंह की जमानत याचिका खारिज करने के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल के 27 अगस्त के आदेश के खिलाफ सिंह ने उच्च न्यायालय का रुख किया था. आज मामले की सुनवाई करते हुए एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने नोटिस जारी किया. जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने 15 सितंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया.

बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 28 अगस्त को प्रीत सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. एडिशनल सेशंस जज अनिल अंतिल ने कहा था कि देश का संविधान एक जगह एकत्र होकर अपनी राय रखने की स्वतंत्रता का अधिकार देता है लेकिन इस अधिकार का उपयोग प्रतिबंधों के साथ किया जाना चाहिए.

कोर्ट ने कहा था कि आरोपी प्रीत सिंह को दूसरे आरोपियों के साथ साफ-साफ देखा जा सकता है कि उसने भड़काऊ भाषण दिया.

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पिछले 11 अगस्त को वकील अश्विनी उपाध्याय को जमानत दे दी थी. दिल्ली पुलिस ने अगस्त को 9 अगस्त को अश्विनी उपाध्याय और बाकी आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ के बाद 10 अगस्त को सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था.

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 9 अगस्त को एफआईआर दर्ज किया था. बता दें कि 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर भारत जोड़ो आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था जिसमें धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक नारेबाजी की गई थी.

प्रीत सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वर्तमान मामला दिल्ली के जंतर मंतर पर कथित भड़काऊ नारेबाजी से संबंधित है. उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल ने ऐसा कोई आपत्तिजनक नारा नहीं लगाया.

उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि जेल में आरोपी की तबीयत बिगड़ रही है, जिसके आधार पर उसने शीघ्र जमानत की मांग की है.

प्रीत सिंह कथित तौर पर देश में औपनिवेशिक युग के कानूनों के खिलाफ भारत जोड़ाे आंदोलन के तहत दिल्ली में 8 अगस्त को हुई एक रैली का हिस्सा थे, जहां ये नारे लगाए गए और कैमरे में कैद हुए. रैली का आयोजन भाजपा के पूर्व प्रवक्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने किया था. उपाध्याय और पांच अन्य को बाद में वीडियो के आधार पर गिरफ्तार किया गया था

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने जंतर मंतर पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ नारा लगाने के आरोपी प्रीत सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है.

सिंह की जमानत याचिका खारिज करने के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल के 27 अगस्त के आदेश के खिलाफ सिंह ने उच्च न्यायालय का रुख किया था. आज मामले की सुनवाई करते हुए एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने नोटिस जारी किया. जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने 15 सितंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया.

बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 28 अगस्त को प्रीत सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. एडिशनल सेशंस जज अनिल अंतिल ने कहा था कि देश का संविधान एक जगह एकत्र होकर अपनी राय रखने की स्वतंत्रता का अधिकार देता है लेकिन इस अधिकार का उपयोग प्रतिबंधों के साथ किया जाना चाहिए.

कोर्ट ने कहा था कि आरोपी प्रीत सिंह को दूसरे आरोपियों के साथ साफ-साफ देखा जा सकता है कि उसने भड़काऊ भाषण दिया.

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पिछले 11 अगस्त को वकील अश्विनी उपाध्याय को जमानत दे दी थी. दिल्ली पुलिस ने अगस्त को 9 अगस्त को अश्विनी उपाध्याय और बाकी आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ के बाद 10 अगस्त को सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था.

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 9 अगस्त को एफआईआर दर्ज किया था. बता दें कि 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर भारत जोड़ो आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था जिसमें धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक नारेबाजी की गई थी.

प्रीत सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वर्तमान मामला दिल्ली के जंतर मंतर पर कथित भड़काऊ नारेबाजी से संबंधित है. उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल ने ऐसा कोई आपत्तिजनक नारा नहीं लगाया.

उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि जेल में आरोपी की तबीयत बिगड़ रही है, जिसके आधार पर उसने शीघ्र जमानत की मांग की है.

प्रीत सिंह कथित तौर पर देश में औपनिवेशिक युग के कानूनों के खिलाफ भारत जोड़ाे आंदोलन के तहत दिल्ली में 8 अगस्त को हुई एक रैली का हिस्सा थे, जहां ये नारे लगाए गए और कैमरे में कैद हुए. रैली का आयोजन भाजपा के पूर्व प्रवक्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने किया था. उपाध्याय और पांच अन्य को बाद में वीडियो के आधार पर गिरफ्तार किया गया था

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