ETV Bharat / bharat

जम्मू- कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा- शराब पर सख्त प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार को निर्देश नहीं दे सकते

जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट (jammu kashmir ladakh high court) ने कहा है कि वह केंद्र शासित प्रदेश में शराब से जुड़े बिजनेस को बंद करने और इसमें शामिल लोगों के पुनर्वास को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया.

jammu kashmir ladakh high court
जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट
author img

By

Published : Mar 23, 2023, 4:05 PM IST

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट (jammu kashmir ladakh high court) ने हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश में शराब से संबंधित व्यवसायों को बंद करने और व्यापार में शामिल लोगों के पुनर्वास की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अदालतें राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने के लिए परमादेश जारी नहीं कर सकती है.

मामले में जस्टिस संजीव कुमार (Justices Sanjeev Kumar) और जस्टिस पुनीत गुप्ता (Justices Puneet Gupta) की बेंच 27 अक्टूबर 2015 को डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए आदेश को वापस लेने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत करवानी इस्लामी सोसाइटी के द्वारा दायर किया गया था. इसके तहत जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्य में शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की मांग की गई थी.

इससे पहले डिवीजन बेंच ने 2015 में जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य में कड़े निषेध नियम लागू करने के लिए परमादेश जारी करने की कानून के तहत अनुमति नहीं थी. मामले में बेच ने कहा था कि देश के संविधान के अनुच्छेद 47 को राज्य की नीति के मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में स्थापित किया गया है, इसे कानून की अदालत द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत के रूप में स्थापित किया गया है.

मामले पर कोर्ट ने कहा कि यह याचिका अब निष्फल हो गई है. साथ ही बेंच ने कहा कि जम्मू कश्मीर आबकारी अधिनियम और उसमें उल्लिखित नियम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में मादक पेय पदार्थों की बिक्री को नियंत्रित करते हैं. कोर्ट ने कहा कि उसी के मद्देनजर याचिका में कोई निर्देश नहीं मांगा गया है इसलिए याचिका को बंद किया जाता है.

ये भी पढ़ें - मुसलमानों में बहुविवाह, निकाह-हलाला प्रथा पर सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन करेगा सुप्रीम कोर्ट

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट (jammu kashmir ladakh high court) ने हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश में शराब से संबंधित व्यवसायों को बंद करने और व्यापार में शामिल लोगों के पुनर्वास की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अदालतें राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने के लिए परमादेश जारी नहीं कर सकती है.

मामले में जस्टिस संजीव कुमार (Justices Sanjeev Kumar) और जस्टिस पुनीत गुप्ता (Justices Puneet Gupta) की बेंच 27 अक्टूबर 2015 को डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए आदेश को वापस लेने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत करवानी इस्लामी सोसाइटी के द्वारा दायर किया गया था. इसके तहत जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्य में शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की मांग की गई थी.

इससे पहले डिवीजन बेंच ने 2015 में जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य में कड़े निषेध नियम लागू करने के लिए परमादेश जारी करने की कानून के तहत अनुमति नहीं थी. मामले में बेच ने कहा था कि देश के संविधान के अनुच्छेद 47 को राज्य की नीति के मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में स्थापित किया गया है, इसे कानून की अदालत द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत के रूप में स्थापित किया गया है.

मामले पर कोर्ट ने कहा कि यह याचिका अब निष्फल हो गई है. साथ ही बेंच ने कहा कि जम्मू कश्मीर आबकारी अधिनियम और उसमें उल्लिखित नियम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में मादक पेय पदार्थों की बिक्री को नियंत्रित करते हैं. कोर्ट ने कहा कि उसी के मद्देनजर याचिका में कोई निर्देश नहीं मांगा गया है इसलिए याचिका को बंद किया जाता है.

ये भी पढ़ें - मुसलमानों में बहुविवाह, निकाह-हलाला प्रथा पर सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन करेगा सुप्रीम कोर्ट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.