नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के उस फैसले को दरकिनार कर दिया है जिसमें उसने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत घटिया मेडिकल किट की खरीदारी में सरकारी धन की कथित हेराफेरी के सिलसिले में आपराधिक कार्यवाही खारिज कर दी थी.
शीर्ष अदालत ने कहा कि जम्मू कश्मीर भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों एवं रणबीर दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज की गयी प्राथमिकी एवं आपराधिक कार्यवाही की अधिकृत अधिकारी द्वारा त्वरित जांच करायी जाए एवं आगे की कार्यवाही की जाए.
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने आपराधिक कार्यवाही खारिज करके 'भयंकर भूल' की है. उच्च न्यायालय ने कहा था कि जम्मू कश्मीर भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 2006 के तहत कथित अपराधों से जुड़ी प्राथमिकी की जांच के लिए एक निरीक्षक को अधिकृत करना कानून की दृष्टि से उचित नहीं है.
पीठ ने कहा, 'हमारा मत है कि इस मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा (इस अधिनयम की) धारा 3 के तहत अधिकृत किये जाने के मुद्दे पर विचार करने के उपरांत इसे (अधिकृत करने को) गैरकानूनी और/या अवैध नहीं बताया जा सकता है.'
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शीर्ष अदालत ने जम्मू कश्मीर एवं अन्य की याचिका मंजूर कर ली, जिसमें उच्च न्यायालय के मई 2018 के फैसले को चुनौती दी गयी थी. उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी में आपराधिक कार्यवाही खारिज कर दी थी. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि 2010-11 के दौरान आरोपियों ने विभाग के आपूर्ति आदेश की शर्तों का उल्लंघन किया एवं एनआरएचएम के तहत ऊंचे दामों पर घटिया मेडिकल किट खरीद कर बड़ी सरकारी रकम की हेरोफेरी की.
(पीटीआई-भाषा)