नई दिल्ली : जम्मू वायुसेना स्टेशन (Jammu Air Force station) पर हमले के मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि विस्फोट को अंजाम देने वाले ड्रोन में करीब 1.5 किलोग्राम आरडीएक्स था. सूत्रों ने कहा कि ड्रोन हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) या द रेसिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) हो सकता है. सूत्रों ने कहा कि ड्रोन जीपीएस के माध्यम से संचालित किए गए थे और उनके संचालकों द्वारा मैन्युअल रूप से नियंत्रित किए जाते थे.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) जम्मू वायु सेना स्टेशन पर हमले के मामले की जांच कर रही है. यह मामला 27 जून को वायु सेना स्टेशन, सतवारी परिसर (Satwari campus) जम्मू के परिसर के अंदर हुए एक विस्फोट और उसके बाद के एक विस्फोट से संबंधित है, जिसमें दो वायु सेना कर्मी घायल हो गए थे., जबकि हमले ने कार्यालय भवनों ( office buildings) को क्षतिग्रस्त कर दिया था.
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guard) की एक विशेष बम निरोधक टीम (bomb squad team) विस्फोट की प्रकृति की जांच कर रही है.
इस बीच, भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव उपाय कर रही है कि ऐसी घटना अन्य स्थानों पर न दोहराई जाए और सभी स्टेशनों पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है.
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में ड्रोन के जरिए हथियार, विस्फोटक तथा मादक पदार्थ गिराने के पीछे पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद का हाथ है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास लाने के लिए आतंकवाद को अस्वीकार किया जाए और इसे हराया जाए.
डीजीपी ने कहा कि आतंकवाद के सफाए के लिए आतंकवाद निरोधी अभियानों की गति और भी तेज की जाएगी, वहीं दूसरी ओर ड्रोन जैसे खतरों से निबटने के लिए सुरक्षा इंतजामों को और भी मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'वायुसेना स्टेशन पर विस्फोटक से लदे दो ड्रोन गिरने के मामले में जांच चल रही है. हम अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं, जहां पर यह कह सकें कि वास्तव में इसके पीछे कौन है, लेकिन लश्कर भारतीय क्षेत्र में पहले भी हथियार, मादक पदार्थ गिराने और विभिन्न स्थानों पर विस्फोटक (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस या आईईडी) लगाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता रहा है. मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि लश्कर का हाथ होने का संदेह है तथा जांच आगे बढ़ने के साथ ही मैं और कुछ कह पाउंगा.'
सिंह ने कहा कि जम्मू में हमले से पहले, लश्कर द्वारा ड्रोन की मदद से हथियार गिराने की एक दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी थीं. उन्होंने कहा कि जो आईईडी मिला है उसमें आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ था. सिंह ने कहा, ‘‘इसे कुछ इस तरह बनाया गया कि इसे ड्रोन के जरिए ले जाया जा सके और गिराया जा सके.'
पढ़ें - एनसीपीसीआर ने जेके डीजीपी को लिखा पत्र
ड्रोन को सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए सिंह ने कहा, 'राष्ट्र विरोधी तत्वों, आतंकवादियों द्वारा हथियार तथा आईईडी गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल एक खतरा है और हम इससे निबटने के लिए (उनके नापाक इरादों को नाकाम करने के लिए) कदम उठा रहे हैं.'
डीजीपी ने कहा कि आतंकवाद के कारण जम्मू-कश्मीर बेहिसाब मौत और तबाही देख चुका है. उन्होंने कहा, ‘‘युवाओं के लिए मेरा संदेश है कि आतंकवादियों ने बेगुनाहों का बहुत खून बहा लिया और अब समय आ गया है कि आतंकवाद को हर मोर्चे पर अस्वीकार किया जाए और हराया जाए. शांति, समृद्धि और विकास में युवा बराबर के साझेदार होने चाहिए और उन्हें स्वयं को ऐसी गतिविधियों से बचाना चाहिए जो उनके लिए लाभदायक नहीं हैं, उनके परिवारों और समाज के हित में नहीं हैं.'