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Jammu And kashmir Police Cost : जम्मू-कश्मीर में 1989 से 2022 तक पुलिस पर कुल 10 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च-MHA

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 10, 2023, 1:23 PM IST

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1989 से 31 दिसंबर 2022 तक जम्मू कश्मीर को एसआरई पुलिस की मद में 10528.72 करोड़ रुपये का पुनर्भुगतान किया गया है जबकि एसआरई में राहत एवं पुनर्वास के लिए 5348.68 करोड़ रुपये दिए गए हैं. वित्त वर्ष 2022-23 में एसआरई पुलिस की मद में 308.98 करोड़ और राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए 198.62 करोड़ का पुनर्भुगतान किया गया है.

Jammu And kashmir Police Cost
प्रतिकात्मक तस्वीर

श्रीनगर: केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से हाल में ही जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 में जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा स्थिति के बारे में कुछ महत्वपूर्ण खुलासे किए गए हैं. इसे इस महीने की 4 तारीख को जारी किया गया था. रिपोर्ट में, गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में सैन्य अभियानों और आतंकवादियों में मारे गए लोगों की संख्या का विस्तार से उल्लेख किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की 221 किलोमीटर की सीमा पाकिस्तान से लगी हुई है. भौगोलिक दृष्टि से यह केंद्र शासित प्रदेश भारत का 12वां सबसे बड़ा राज्य है.

सुरक्षा से जुड़े खर्च को लेकर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1989 से 31 दिसंबर 2022 तक पुलिस पर 10528.72 करोड़ रुपये और राहत और पुनर्वास पर 5348.68 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान पुलिस को 308.98 करोड़ रुपये और राहत एवं पुनर्वास के लिए 198.62 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है. इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान सुरक्षित पर्यावरण योजना के तहत 2.51 करोड़ रुपये भी जारी किए गए हैं.

क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में 228 सैन्य अभियान हुए और 189 सैन्य विरोधी अभियान चलाए गए. इस दौरान 91 सुरक्षा बलों के जवान, 55 नागरिक और 257 आतंकवादी मारे गए. 2019 में 153 सैन्य अभियान और 102 सैन्य-विरोधी अभियान हुए. इस दौरान 80 सुरक्षा बलों के जवान, 44 नागरिक और 157 आतंकवादी मारे गए. वर्ष 2020 पिछले वर्षों से बहुत अलग नहीं था.

वर्ष 2020 126 सैन्य अभियान और 2018 में 118 सैन्य-विरोधी ऑपरेशन किए गए. इस दौरान 63 सुरक्षा बलों के जवान, 38 नागरिक और 221 आतंकवादी मारे गए. 129 सैन्य ऑपरेशन हुए और 100 सैन्य-विरोधी ऑपरेशन किए गए. इस अवधि के दौरान, 42 सुरक्षा बलों के जवान मारे गए. कर्मी, 41 नागरिक और 180 आतंकवादी मारे गए.

इसी तरह, वर्ष 2022 में 125 सैन्य अभियान चलाए गए और 117 सैन्य-विरोधी अभियान चलाए गए. इस अवधि के दौरान, 32 सुरक्षा बलों के जवान, 31 नागरिक और 187 आतंकवादी मारे गए. वहीं, रिपोर्ट में घुसपैठ के ब्योरे के हवाले से कहा गया है कि 2017 में 419, 2018 में 328, 2019 में 216, 2020 में 216, 2021 में 77 और 2022 में 53 बार सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें हुईं. इन प्रयासों को विफल कर दिया गया. सीमा पर बाड़, फ्लडलाइट और अन्य उच्च तकनीक वाले उपकरण भी लगाए गए.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पांच भारतीय रिजर्व बटालियन, दो बॉर्डर बटालियन और दो महिला बटालियन को सरकार की ओर से मंजूरी दी गई थी. जिसके बाद पांच इंडियन रिजर्व बटालियनों के लिए भर्ती पूरी हो चुकी है. दो फ्रंटियर बटालियन और दो महिला बटालियन के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पोस्टिंग और वेतन में भी बढ़ोतरी की गई है. वर्तमान में क्षेत्र में स्वीकृत एसपीओ की संख्या 34707 है, जिनमें से 32355 तैनात किये जा चुके हैं.

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एसपीओ के वेतन में बढ़ोतरी करते हुए अधिकतम वेतन 18000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है. विलेज डिफेंस गार्ड (वीडीजी) की स्वीकृत संख्या 4985 है, जिसमें से 4153 को तैनात किया गया है.

श्रीनगर: केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से हाल में ही जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 में जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा स्थिति के बारे में कुछ महत्वपूर्ण खुलासे किए गए हैं. इसे इस महीने की 4 तारीख को जारी किया गया था. रिपोर्ट में, गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में सैन्य अभियानों और आतंकवादियों में मारे गए लोगों की संख्या का विस्तार से उल्लेख किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की 221 किलोमीटर की सीमा पाकिस्तान से लगी हुई है. भौगोलिक दृष्टि से यह केंद्र शासित प्रदेश भारत का 12वां सबसे बड़ा राज्य है.

सुरक्षा से जुड़े खर्च को लेकर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1989 से 31 दिसंबर 2022 तक पुलिस पर 10528.72 करोड़ रुपये और राहत और पुनर्वास पर 5348.68 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान पुलिस को 308.98 करोड़ रुपये और राहत एवं पुनर्वास के लिए 198.62 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है. इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान सुरक्षित पर्यावरण योजना के तहत 2.51 करोड़ रुपये भी जारी किए गए हैं.

क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में 228 सैन्य अभियान हुए और 189 सैन्य विरोधी अभियान चलाए गए. इस दौरान 91 सुरक्षा बलों के जवान, 55 नागरिक और 257 आतंकवादी मारे गए. 2019 में 153 सैन्य अभियान और 102 सैन्य-विरोधी अभियान हुए. इस दौरान 80 सुरक्षा बलों के जवान, 44 नागरिक और 157 आतंकवादी मारे गए. वर्ष 2020 पिछले वर्षों से बहुत अलग नहीं था.

वर्ष 2020 126 सैन्य अभियान और 2018 में 118 सैन्य-विरोधी ऑपरेशन किए गए. इस दौरान 63 सुरक्षा बलों के जवान, 38 नागरिक और 221 आतंकवादी मारे गए. 129 सैन्य ऑपरेशन हुए और 100 सैन्य-विरोधी ऑपरेशन किए गए. इस अवधि के दौरान, 42 सुरक्षा बलों के जवान मारे गए. कर्मी, 41 नागरिक और 180 आतंकवादी मारे गए.

इसी तरह, वर्ष 2022 में 125 सैन्य अभियान चलाए गए और 117 सैन्य-विरोधी अभियान चलाए गए. इस अवधि के दौरान, 32 सुरक्षा बलों के जवान, 31 नागरिक और 187 आतंकवादी मारे गए. वहीं, रिपोर्ट में घुसपैठ के ब्योरे के हवाले से कहा गया है कि 2017 में 419, 2018 में 328, 2019 में 216, 2020 में 216, 2021 में 77 और 2022 में 53 बार सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें हुईं. इन प्रयासों को विफल कर दिया गया. सीमा पर बाड़, फ्लडलाइट और अन्य उच्च तकनीक वाले उपकरण भी लगाए गए.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पांच भारतीय रिजर्व बटालियन, दो बॉर्डर बटालियन और दो महिला बटालियन को सरकार की ओर से मंजूरी दी गई थी. जिसके बाद पांच इंडियन रिजर्व बटालियनों के लिए भर्ती पूरी हो चुकी है. दो फ्रंटियर बटालियन और दो महिला बटालियन के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पोस्टिंग और वेतन में भी बढ़ोतरी की गई है. वर्तमान में क्षेत्र में स्वीकृत एसपीओ की संख्या 34707 है, जिनमें से 32355 तैनात किये जा चुके हैं.

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एसपीओ के वेतन में बढ़ोतरी करते हुए अधिकतम वेतन 18000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है. विलेज डिफेंस गार्ड (वीडीजी) की स्वीकृत संख्या 4985 है, जिसमें से 4153 को तैनात किया गया है.

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