नई दिल्ली: 'पार्टी पठान के घर पर रखोगे तो पठान तो आएगा ही, साथ में पटाखे भी लाएगा'. यह डायलॉग फिल्म अभिनेता शाहरुख खान ने पठान फिल्म में बोला है. वहीं, भारत से पाकिस्तान एक गूंगी बच्ची को उसके माता-पिता से मिलवाने के लिए 'बजरंगी भाईजान' जाते हैं. फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान हैं. आप सोच रहे होंगे कि हम इन एक्टर और डायरेक्टर का नाम क्यों ले रहे हैं. दरअसल, ये सभी सितारे दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र रह चुके हैं. इतना ही नहीं, खेल, प्रशासन के कई नामी चेहरे जामिया से पढ़े और आज अपने-अपने क्षेत्रों में नाम कमा रहे हैं.
इन सितारों के अलावा ओखला स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दाखिला लेने का सपना अधिकांश छात्र बुनते थे. जामिया देश के मशहूर विश्वविद्यालयों में से एक है. यहां पढ़ने का सपना अधिकांश छात्र-छात्राओं का होता है. बावजूद सालों तक यहां एक कमी रही कि मेडिकल कॉलेज नहीं था, लेकिन वीसी नजमा अख्तर की कोशिश रंग लाई और अगर सब कुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द छात्र जामिया में मेडिकल की भी पढ़ाई कर सकेंगे. जामिया में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, मणिपुर में मौजूदा हालात आदि मुद्दों पर ETV भारत ने वीसी से खास बातचीत की. पढ़िए इसके प्रमुख अंश...
सवाल: मेडिकल कॉलेज की घोषणा हुई, आगे की प्लानिंग क्या है?
जवाब: काफी प्रयास के बाद आज हमें सरकार ने मेडिकल कॉलेज बनाने की स्वीकृति दी है. किसी भी इंस्टीट्यूशन के बनने में होता है कि उसके लिए बिल्डिंग बनना शुरू होता है, उसके लिए कई स्वीकृति लेनी होती है. एक पूरा बजट बनता है कि इस पर कितना खर्चा होगा. देखिए जामिया का नाम इतना बड़ा है. इसकी रैंकिंग इतनी अच्छी है कि हमारे साथ जुड़ने के लिए बहुत लोग आएंगे. सरकार ने हमें फिलहाल मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति दी है. आगे क्या देंगे, इस पर अभी कुछ कहा नहीं है. सरकार हमें क्या देगी, हम वह भी देखेंगे. बाकी, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत हम मेडिकल कॉलेज को शुरू करेंगे. कैंपस के अंदर ही मेडिकल कॉलेज होगा और अस्पताल के लिए हमें बाहर जाना होगा. इसके लिए हमारे पास जमीन है. जसोला के पास हमारे पास 5 एकड़ की जामिया की जमीन है. वहां पर हम अस्पताल बनाएंगे. 150 सीट के साथ हम मेडिकल कॉलेज शुरू करेंगे. उम्मीद है कि अगले सत्र से इस मेडिकल कॉलेज में छात्र दाखिला भी ले सकेंगे. दाखिला के लिए छात्रों को नीट परीक्षा देनी होगी. यहां बॉयज और गर्ल्स के लिए हॉस्टल, 24 बड़े-बड़े क्लासरूम तैयार किए जाएंगे. हम जल्द से जल्द इसे शुरू करना चाहते हैं. पीपीपी मॉडल के तहत इसे शुरू किया जाएगा.
सवाल: आप अपने कार्यकाल की उपलब्धियां और जामिया को कहां देखती हैं?
जवाब: मेडिकल कॉलेज के लिए बस सरकार से स्वीकृति मिली है. इसे हम बड़ी कामयाबी नहीं कह सकते हैं, लेकिन हां यह जरूर कह सकते हैं कि इसके हो जाने से ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग प्रभावित होंगे. अगर हमारा विश्वविद्यालय 12वें नंबर से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है तो हमारी यूनिवर्सिटी एफेक्टेड है. मगर मेडिकल कॉलेज, अस्पताल होने से आम जनता एफेक्टेड होगी. उन्होंने कहा कि जामिया में एक कमी थी, मेडिकल कॉलेज की. जो अब पूरी हो गई है. फार्मेसी और भी बहुत सारी चीजें हैं जो आगे खुलेगी, जिसकी हमारे देश को जरूरत है.
सवाल: एनआईआरएफ की रैंकिंग में जामिया लगातार अच्छा कर रहा है, आगे की राह क्या है?
जवाब: एनआईआरएफ की रैंकिंग में तीसरे स्थान पर आना इतना आसान नहीं था. हम दूसरी बार इसी नंबर पर रहे, इस पर बने रहना बहुत ज्यादा मुश्किल था. हमारी पहले और दूसरे नंबर पर आने के लिए कोई मारामारी नहीं है. पहले और दूसरे नंबर पर आने वाले इंस्टीट्यूशन अच्छे हैं. हम भी अच्छे हैं. जब मैं कुलपति बनीं तो जामिया की एनआईआरएफ में 12वां स्थान था. दूसरे साल में हम दसवें स्थान पर आए. तीसरे साल में हम छठे स्थान पर आ गए. चौथे साल में हम तीसरे स्थान पर आ गए. इस साल हमने तीसरे स्थान पर दोबारा रिपीट किया है. हम नीचे नहीं गए हैं. लगातार जामिया अच्छा कर रहा है.
सवाल: मणिपुर हिंसा अभी हॉट इश्यू है. छात्रों ने आपसे संपर्क किया?
जवाब: हमारे पास कोई अप्रोच नहीं आई है, लेकिन आनी चाहिए थी. अगर बच्चे वहां परेशान हैं तो उन्हें यहां हॉस्टल में भी रखेंगे. लेकिन इसके लिए एक पॉलिसी बनेगी, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत. जो भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी हैं, उन सबमें बांटा जाएगा. जामिया की डिमांड बहुत ज्यादा है. यहां एक भी सीट खाली नहीं रहती है. मणिपुर से कोई छात्र यहां ट्रांसफर लेता चाहता है तो वह तब हो सकता है जब हमारे यहां सीट खाली हो. हमारे यहां मान लीजिए कि किसी कोर्स के लिए 30 सीट हैं. यह सीट पहले से ही भर चुकी हैं तो हम ट्रांसफर कैसे ले सकते हैं. हां अगर सीट भरी नहीं हैं तो हम जरूर ट्रांसफर ले लेंगे. लेकिन जितनी सीट होगी उतना ही ले सकते हैं. सीट से ज्यादा नहीं ले सकते हैं. अभी तक किसी मणिपुर छात्र ने अप्रोच नहीं किया है, इसलिए हम आगे से कुछ भी नहीं कह सकते हैं. ऐसे में हम कैसे किसी को यहां ट्रांसफर दे.
सवाल : आईआईटी की तरह क्या जामिया भी देश से बाहर कैंपस खोलेगा?
जवाब: हमने सोचना शुरू किया है. जामिया में मेडिकल कॉलेज सालों साल नहीं था, लेकिन अब यहां मेडिकल कॉलेज, अस्पताल बनेगा. इसी तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने हमें प्रोत्साहित किया है कि बाहर जाओ. भारत सरकार ने अभी घोषणा की है कि आईआईटी अफ्रीका और आबू धाबी जा रहा है. आईआईटी की तरह हम भी बाहर जा सकते हैं. एक दो जगह के लिए हमारे शिक्षक प्लान बना रहे हैं. बाहर भी हम पीपीपी मॉडल के तहत काम करेंगे, क्योंकि दूसरे देश में हम इंडिपेंडेंट तरीके से काम नहीं कर सकते. अपने इस शौक को और कि बाहर जाकर भी हम अपने कैंपस खोलेंगे, इसके लिए हम अपनी सरकार पर बोझ नहीं डालेंगे. हम वहां अपना कैरिकुलम अपने शिक्षक ले जा सकते हैं.
सवाल: राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आप कैसे देख रहे हैं?
जवाब: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमारे लिए बेहद ही जरूरी है और इसे हम करेंगे. हमने तीन साल का स्नातक डिग्री की घोषणा की. राष्ट्रीय शिक्षा नीति आ गई है तो हम इसे 4 साल का करेंगे. इस मुद्दे पर हमारी एकेडमिक काउंसिल की बैठक होनी है. इस पर फैसला लिया जाएगा. हमारे कुछ कोर्सेज में आप बीच में से निकलकर जा सकते हैं और वापिस आ सकते हैं. आप बीच में निकलेंगे तो आपको सर्टिफिकेट कोर्स उसके बाद निकलेंगे तो डिप्लोमा और उसके बाद डिग्री. राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरे देश के लिए है. इसे हमें करना ही होगा.
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