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आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा : जयशंकर - मानवाधिकारों के उल्लंघन

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मानवाधिकार परिषद के 46 वें सत्र को संबोधित किया. जयशंकर ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया. मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दों का पारदर्शी तरीके से निपटारा करने पर जोर दिया.

विदेश मंत्री एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर
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Published : Feb 23, 2021, 4:55 PM IST

Updated : Feb 23, 2021, 9:57 PM IST

जिनेवा : आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि आतंकवाद को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता ना ही इसके प्रायोजकों की तुलना पीड़ितों से की जा सकती है.

मानवाधिकार परिषद के 46 वें सत्र के उच्चस्तरीय खंड को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद मानवता के खिलाफ अपराध है और यह जीवन के अधिकार के सबसे मौलिक मानवाधिकार का उल्लंघन करता है.

उन्होंने डिजिटल तरीके से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'आतंकवाद मानव जाति के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है.'

उन्होंने कहा, 'लंबे समय से इसका पीड़ित होने के नाते आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई में भारत सबसे आगे रहा है. यह केवल तब हो सकता है जब मानवाधिकारों से निपटने वाली संस्थाओं समेत सबको इसका स्पष्ट अहसास हो कि आतंकवाद को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता ना ही इसके प्रायोजकों की तुलना पीड़ितों के साथ हो सकती है.'

उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र में आठ सूत्री कार्ययोजना पेश की थी. उन्होंने कहा, 'हम अपनी कार्ययोजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) और अन्य देशों के साथ काम करना जारी रखेंगे.'

उन्होंने कहा कि मानवाधिकार एजेंडा के सामने निरंतर सभी तरह के आतंकवाद की चुनौतियां बनी हुई हैं.

विदेश मंत्री ने कहा, 'मौजूदा महामारी के कारण कई स्थानों पर स्थिति और जटिल हो चुकी है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए हम सबको साथ आने की जरूरत है. इन चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं और व्यवस्थाओं में सुधार की भी जरूरत है.'

उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के उल्लंघन और इसके क्रियान्वयन में खामियों का चुनिंदा तरीके से नहीं बल्कि निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से समाधान होना चाहिए. देश के आंतरिक मामलों और राष्ट्रीय संप्रभुता में दखल नहीं देने के सिद्धांत का भी पालन होना चाहिए.

जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को लेकर भारत का दृष्टिकोण उसकी भागीदारी, वार्ता और विचार-विमर्श की भावना से निर्देशित है. उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण दोनों पर समान जोर दिया जाना चाहिए. राष्ट्रों के बीच वार्ता, विचार-विमर्श और सहयोग के साथ ही तकनीकी सहयोग और क्षमता निर्माण के जरिए दोनों पर अमल हो सकता है.'

मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध

उन्होंने कहा, 'मानवाधिकार परिषद का सदस्य होने के नाते हम परिषद के सदस्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'

उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत प्रभावी कदम उठाए.

विदेश मंत्री ने कहा, 'हमने देश में स्वास्थ्य मोर्चे पर समाधान किया और दुनिया के लिए भी कदम उठाए. हमने इस महमारी से निपटने में मदद के लिए 150 से ज्यादा देशों को जरूरी दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति की.'

यह पाकिस्तान के खिलाफ FATF द्वारा कार्रवाई करने का समय है : विशेषज्ञ

उन्होंने कहा कि भारत ने टीका उत्पादन की अपनी क्षमता का इस्तेमाल कर विभिन्न देशों तक इसे पहुंचाने का काम किया. बांग्लादेश से ब्राजील और मोरक्को से फिजी तक 70 से ज्यादा देशों को टीके की लाखों खुराक की आपूर्ति की जा रही है.

जिनेवा : आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि आतंकवाद को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता ना ही इसके प्रायोजकों की तुलना पीड़ितों से की जा सकती है.

मानवाधिकार परिषद के 46 वें सत्र के उच्चस्तरीय खंड को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद मानवता के खिलाफ अपराध है और यह जीवन के अधिकार के सबसे मौलिक मानवाधिकार का उल्लंघन करता है.

उन्होंने डिजिटल तरीके से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'आतंकवाद मानव जाति के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है.'

उन्होंने कहा, 'लंबे समय से इसका पीड़ित होने के नाते आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई में भारत सबसे आगे रहा है. यह केवल तब हो सकता है जब मानवाधिकारों से निपटने वाली संस्थाओं समेत सबको इसका स्पष्ट अहसास हो कि आतंकवाद को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता ना ही इसके प्रायोजकों की तुलना पीड़ितों के साथ हो सकती है.'

उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र में आठ सूत्री कार्ययोजना पेश की थी. उन्होंने कहा, 'हम अपनी कार्ययोजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) और अन्य देशों के साथ काम करना जारी रखेंगे.'

उन्होंने कहा कि मानवाधिकार एजेंडा के सामने निरंतर सभी तरह के आतंकवाद की चुनौतियां बनी हुई हैं.

विदेश मंत्री ने कहा, 'मौजूदा महामारी के कारण कई स्थानों पर स्थिति और जटिल हो चुकी है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए हम सबको साथ आने की जरूरत है. इन चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं और व्यवस्थाओं में सुधार की भी जरूरत है.'

उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के उल्लंघन और इसके क्रियान्वयन में खामियों का चुनिंदा तरीके से नहीं बल्कि निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से समाधान होना चाहिए. देश के आंतरिक मामलों और राष्ट्रीय संप्रभुता में दखल नहीं देने के सिद्धांत का भी पालन होना चाहिए.

जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को लेकर भारत का दृष्टिकोण उसकी भागीदारी, वार्ता और विचार-विमर्श की भावना से निर्देशित है. उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण दोनों पर समान जोर दिया जाना चाहिए. राष्ट्रों के बीच वार्ता, विचार-विमर्श और सहयोग के साथ ही तकनीकी सहयोग और क्षमता निर्माण के जरिए दोनों पर अमल हो सकता है.'

मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध

उन्होंने कहा, 'मानवाधिकार परिषद का सदस्य होने के नाते हम परिषद के सदस्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'

उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत प्रभावी कदम उठाए.

विदेश मंत्री ने कहा, 'हमने देश में स्वास्थ्य मोर्चे पर समाधान किया और दुनिया के लिए भी कदम उठाए. हमने इस महमारी से निपटने में मदद के लिए 150 से ज्यादा देशों को जरूरी दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति की.'

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उन्होंने कहा कि भारत ने टीका उत्पादन की अपनी क्षमता का इस्तेमाल कर विभिन्न देशों तक इसे पहुंचाने का काम किया. बांग्लादेश से ब्राजील और मोरक्को से फिजी तक 70 से ज्यादा देशों को टीके की लाखों खुराक की आपूर्ति की जा रही है.

Last Updated : Feb 23, 2021, 9:57 PM IST
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