संयुक्त राष्ट्र : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष साबा कोरोसी से मुलाकात की. भारत की सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता के साथ जी20 अध्यक्षता के दौरान देश के लक्ष्यों पर चर्चा की. जयशंकर ने मंगलवार को ट्वीट किया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष साबा कोरोसी से न्यूयॉर्क में मिलकर अच्छा लगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अनुभाव, जी20 की अध्यक्षता के दौरान हमारे लक्ष्यों और बहुपक्षीय सुधारों की महत्ता पर चर्चा की.
भारत दिसंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और एक दिसंबर को उसने जी20 की अध्क्षता भी संभाली थी. कोरोसी ने मुलाकात के बाद ट्वीट किया कि भारत के विदेश मंत्री से मिलकर 'हमेशा अच्छा लगता है.' कोरोसी ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता और इस महीने उसकी सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता, संयुक्त राष्ट्र सुधारों आदि पर चर्चा की. जयशंकर ने जापान के विदेश मामलों के राज्य मंत्री यमादा केंजी से भी बातचीत की.
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जयशंकर ने ट्वीट किया कि जी4 के सदस्य के तौर पर भारत और जापान बहुपक्षीय सुधार के लिए एकसाथ मिलकर काम करते हैं. आईजीएन प्रक्रिया को और आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर चर्चा की. उनका इशारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए अंतर सरकारी वार्ता (आईजीएन) की ओर था. जयशंकर आतंकवाद रोधी और बहुपक्षीय सुधार से जुड़े दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में शिरकत करने मंगलवार को न्यूयॉर्क पहुंचे.
दिसंबर के अंत में 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत का दो साल का कार्यकाल समाप्त होने से पहले यह बैठकें हो रही हैं. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रूचिरा कंबोज ने ट्वीट किया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मौजूदा अध्यक्षता के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अगवानी कर खुश हूं. मंत्री द्विपक्षीय व महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के अलावा संयुक्त राष्ट्र में भारत की कुछ बैठकों की अध्यक्षता करेंगे.
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जयशंकर 14 दिसंबर को पहली बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें सुरक्षा परिषद में बहुपक्षीय सुधार के लिए नए दिशानिर्देशों पर मंत्रीस्तरीय खुली चर्चा होगी. कोरोसी और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस बैठक को संबोधित करेंगे. इसके बाद 15 दिसंबर को भारत वैश्विक आतंकवाद पर सुरक्षा परिषद की एक बैठक आयोजित करेगा. इस विषय पर बैठक से पहले भारत की ओर से जारी एक 'कॉन्सेप्ट नोट' (विषयवस्तु की संक्षिप्त रूपरेखा) में कहा गया था, दुनिया अब वैसी नहीं है जैसी 77 वर्ष पहले थी. वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र के 55 सदस्य थे, जिनकी संख्या अब तीन गुना बढ़ गई है.
वैश्विक शांति व सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सुरक्षा परिषद की संरचना अंतिम बार 1965 में तय की गई थी और यह संयुक्त राष्ट्र की व्यापक सदस्यता की वास्तविक विविधता को प्रतिबिंबित नहीं करती. इसमें कहा गया कि पिछले सात दशकों में नई वैश्विक चुनौतियां उभरी हैं, जैसे कि आतंकवाद, कट्टरवाद, वैश्विक महामारी, नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों से खतरे, गैर-सरकारी ताकतों की विघटनकारी भूमिका, भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा आदि. कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया इन सभी चुनौतियों से एक मजबूत बहुपक्षीय प्रतिक्रिया के जरिए ही निपटा जा सकता है. इसमें कहा गया कि बहुपक्षीय सुधार के लिए वर्तमान बहुपक्षीय संरचना के सभी तीन स्तंभों- शांति एवं सुरक्षा, विकास तथा मानवाधिकारों में सुधार की आवश्यकता है.
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(पीटीआई-भाषा)