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चीन की बढ़ती क्षमताओं के परिणाम 'गहरे' हैं : जयशंकर

अबू धाबी में पांचवें 'हिंद महासागर शिखर सम्मेलन' (आईओसी) 2021 को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन के उदय और उसकी बढ़ती क्षमताओं के परिणाम 'विशेष तौर पर गहरे' हैं.

Jaishankar in ioc 2021
आईओसी 2021 में बोलते हुए जयशंकर
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Published : Dec 5, 2021, 2:37 AM IST

अबू धाबी : विदेश मंत्री एस जयशंकर ( External Affairs Minister S Jaishankar ) ने शनिवार को कहा कि चीन के उदय और उसकी बढ़ती क्षमताओं के परिणाम 'विशेष तौर पर गहरे' हैं. अबू धाबी में पांचवें 'हिंद महासागर शिखर सम्मेलन' ( fifth Indian Ocean Conference 2021) (आईओसी) 2021 में बोलते हुए जयशंकर ने यह भी कहा कि वैश्विकृत दुनिया में यह महत्वपूर्ण है कि नौवहन और वायु क्षेत्र में उड़ान भरने की आजादी तथा बिना बाधा व्यापार का सम्मान किया जाए.

उन्होंने कहा कि कई घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनका हिंद महासागर क्षेत्र पर सीधा असर हो रहा है. दो घटनाक्रम - अमेरिका की बदलती रणनीति और चीन के उदय- ने हाल के वर्षों में हिंद महासागर के विकास को प्रभावित किया है. विदेश मंत्री ने कहा, '2008 से हमने अमेरिका के शक्ति प्रदर्शन में बड़ी सावधानी और इसके अति विस्तार में सुधार करने की कोशिश देखी है.' उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर अमेरिका अपने और दुनिया दोनों के बारे में वृहद वास्तविकता की ओर बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, 'दूसरी बड़ी प्रवृत्ति चीन का उदय है. चीन की बढ़ती क्षमताओं के परिणाम खासतौर से गहरे हैं. इसके परिणामस्वरूप चाहे कनेक्टिविटी हो, प्रौद्योगिकी या व्यापार अब सत्ता तथा प्रभाव की बदली प्रकृति पर बहस चल रही है. इसके अलावा हम एशिया में क्षेत्रीय मुद्दो पर तनाव बढ़ते हुए देख रहे हैं. पूर्व में किए गए समझौतों और समझ पर अब कुछ सवालिया निशान खड़े होते दिखते हैं. समय के साथ इसके जवाब मिलेंगे.'

उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध का हवाला दिया. जयशंकर ने कहा कि मुश्किल वक्त में मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह क्वाड हिंद महासागर के एक छोर पर इसका अच्छा उदाहरण है.

यह भी पढ़ें- 2+2 dialogue : भारत-रूस के बीच 6 दिसंबर को '2+2' वार्ता होगी

उन्होंने कहा, 'दो घटनाक्रम ने उन अनिश्चितताओं को बढ़ा दिया है जिस पर हिंद महासागर के देश विचार कर रहे हैं. पहला अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी है. हम सभी किसी न किसी तरीके से इससे प्रभावित हैं.' विदेश मंत्री ने कहा कि दूसरा इस क्षेत्र पर कोरोना वायरस (Coronavirus) का असर है जो खासतौर से स्वास्थ्य और आर्थिक दबाव के लिहाज से कमजोर है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मौजूदा मुद्दे पर हिंद महासागर के देशों पर अधिक दांव लगा है.

बता दें कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, मालदीव के उपराष्ट्रपति और फिजी के प्रधानमंत्री ने भी शनिवार को इस सम्मेलन को संबोधित किया.

(पीटीआई भाषा)

अबू धाबी : विदेश मंत्री एस जयशंकर ( External Affairs Minister S Jaishankar ) ने शनिवार को कहा कि चीन के उदय और उसकी बढ़ती क्षमताओं के परिणाम 'विशेष तौर पर गहरे' हैं. अबू धाबी में पांचवें 'हिंद महासागर शिखर सम्मेलन' ( fifth Indian Ocean Conference 2021) (आईओसी) 2021 में बोलते हुए जयशंकर ने यह भी कहा कि वैश्विकृत दुनिया में यह महत्वपूर्ण है कि नौवहन और वायु क्षेत्र में उड़ान भरने की आजादी तथा बिना बाधा व्यापार का सम्मान किया जाए.

उन्होंने कहा कि कई घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनका हिंद महासागर क्षेत्र पर सीधा असर हो रहा है. दो घटनाक्रम - अमेरिका की बदलती रणनीति और चीन के उदय- ने हाल के वर्षों में हिंद महासागर के विकास को प्रभावित किया है. विदेश मंत्री ने कहा, '2008 से हमने अमेरिका के शक्ति प्रदर्शन में बड़ी सावधानी और इसके अति विस्तार में सुधार करने की कोशिश देखी है.' उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर अमेरिका अपने और दुनिया दोनों के बारे में वृहद वास्तविकता की ओर बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, 'दूसरी बड़ी प्रवृत्ति चीन का उदय है. चीन की बढ़ती क्षमताओं के परिणाम खासतौर से गहरे हैं. इसके परिणामस्वरूप चाहे कनेक्टिविटी हो, प्रौद्योगिकी या व्यापार अब सत्ता तथा प्रभाव की बदली प्रकृति पर बहस चल रही है. इसके अलावा हम एशिया में क्षेत्रीय मुद्दो पर तनाव बढ़ते हुए देख रहे हैं. पूर्व में किए गए समझौतों और समझ पर अब कुछ सवालिया निशान खड़े होते दिखते हैं. समय के साथ इसके जवाब मिलेंगे.'

उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध का हवाला दिया. जयशंकर ने कहा कि मुश्किल वक्त में मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह क्वाड हिंद महासागर के एक छोर पर इसका अच्छा उदाहरण है.

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उन्होंने कहा, 'दो घटनाक्रम ने उन अनिश्चितताओं को बढ़ा दिया है जिस पर हिंद महासागर के देश विचार कर रहे हैं. पहला अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी है. हम सभी किसी न किसी तरीके से इससे प्रभावित हैं.' विदेश मंत्री ने कहा कि दूसरा इस क्षेत्र पर कोरोना वायरस (Coronavirus) का असर है जो खासतौर से स्वास्थ्य और आर्थिक दबाव के लिहाज से कमजोर है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मौजूदा मुद्दे पर हिंद महासागर के देशों पर अधिक दांव लगा है.

बता दें कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, मालदीव के उपराष्ट्रपति और फिजी के प्रधानमंत्री ने भी शनिवार को इस सम्मेलन को संबोधित किया.

(पीटीआई भाषा)

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