जयपुर. शहर की फैमिली कोर्ट संख्या-एक ने बच्चों के भरण पोषण मामले में जज पत्नी के प्रार्थना पत्र पर सरकारी वकील पति को हर माह 24 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं. अदालत ने इस राशि की गणना 20 दिसंबर 2021 से करने को कहा है. अदालत ने यह आदेश एडीजे इंदिरा बनेरा के प्रार्थना पत्र पर दिया.
2007 में हुई थी शादीः प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि प्रार्थिया की शादी जयपुर में भारत अजमेरा से 24 नवंबर, 2007 को हुई थी. उनके 2010 में एक बेटी व 2015 में एक बेटा हुआ था. दोनों बच्चे अपनी मां के साथ रहे और पति ने उन्हें कभी भी नहीं रखा. विवाह होने के समय अप्रार्थी रोजगार के लिए प्रयासरत था और उसने आर्थिक सहयोग दिया. जिसके चलते अप्रार्थी अजमेर में सहायक अभियोजन अधिकारी पद पर सेवारत हो गया. अप्रार्थी व उसके परिजनों का व्यवहार उसके व बच्चों के प्रति सही नहीं रहा. बच्चों की परवरिश में भी उसने कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई. इसलिए उसे दोनों बच्चों के लिए भरण-पोषण राशि दिलवाई जाए.
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पति के अधिवक्ता की दलील खारिजः इसके जवाब में पति के अधिवक्ता डीएस शेखावत ने कहा कि प्रार्थिया अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कैडर की अधिकारी है और उसका मासिक वेतन ही दो लाख रुपए से ज्यादा है. इसके अलावा उसने उसने खुद ही तलाक का प्रार्थना पत्र दायर कर रखा है. वह खुद बच्चों का भरण-पोषण करने में सक्षम है. जबकि अप्रार्थी का वेतन 75 हजार रुपए है और प्रार्थिया के मुकाबले उसका वेतन पचास फीसद भी नहीं है. इसलिए उसके प्रार्थना पत्र को खारिज किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकारी वकील पति को हर माह भरण-पोषण भत्ता देने के आदेश दिए हैं.