नई दिल्ली : चीनी जे -20 लड़ाकू को जितनी गोपनीयता के साथ बनाया गया है, उसकी वजह से इसे कुछ हद तक एक 'रहस्यमयी पक्षी' माना जा सकता है. इस प्रोजेक्ट को कई कोड नाम जैसे कि J-XX, J-13, J-14, XXJ दिए गए. चीन ने बड़े पैमाने पर J-20 फाइटर के एक उन्नत संस्करण को बनाने का लक्ष्य रखा है.
F-22A रैप्टर और F-35 ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर के बाद जे -20 दुनिया का तीसरा स्टील्थ फाइटर एयरक्राफ्ट होगा. इससे पहले दोनों स्टील्थ फाइटर एयरक्राफ्ट अमेरिकी सेना के पास हैं. इनमें से लगभग 60 वर्तमान में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) द्वारा संचालित किए जा रहे हैं.
हालांकि जे -20B नामक पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर के अपग्रेडेड वर्जन के बड़े पैमाने पर उत्पादन की योजना के लिए इसे काफी संसाधनों की जरूरत होगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि 2027 तक चीन के पास लगभग 200 J-20s एयरक्राफ्ट होंगे, जिससे आने वाले समय में चीनी रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा इसमें खर्च होगा.
स्टील्थ एलिमेंट के अलावा, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाके तेज़, अधिक चालबाज है और पुरानी पीढ़ियों की तुलना में बेहतर एवियोनिक्स वाले हैं.
माना जाता है कि J-20 के निर्माता चेंग्दू एविएशन कॉरपोरेशन ने चार उत्पादन लाइनें स्थापित की हैं, जिसमें एक ही महीने में चार J-20 विमान तैयार किए जा सकते हैं.
अपग्रेड वर्जन रूसी शनि AL-31 के स्थान पर स्थानीय रूप से विकसित शेनयांग WS-10 ताइहांग एयरो इंजन का उपयोग करता है.
गौरतलब है कि इसे सिर्फ वायु सेना का मुख्य फाइटर बनाने की योजना नहीं है, बल्कि चीन के सभी शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग ने 2019 में J-20 को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के लिए भविष्य के प्राथमिक लड़ाकू के रूप में तैनात करने के लिए हरी झंडी दिखाई थी, जो FC-31 की जगह लेगा.
2021 तक रक्षा खर्च में चीन की 6.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी का एक बड़ा हिस्सा खुद लड़ाकू विमानों के बड़े उत्पादन की तैयारी में खर्च होगा. हालांकि, इसमें और अधिक बढ़ोतरी हो सकती थी अगर कोरोना के मामलों में वृद्धि नहीं होती. माना जा रहा है कि 2014 के मुकाबले इसमें 12.2 फीसदी की वृद्धि हो सकती थी.
2021 में चीन की रक्षा क्षेत्र में $ 209 बिलियन खर्च करने की योजना है, जो कि भारत के 2021 के बजट 66 बिलियन डॉलर से तीन गुना अधिक है, जबकि यह राशि यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस के 2021 के 705 बिलियन के बजट का एक तिहाई है.
पढ़ें - म्यांमार संकट पर पूर्व राजनयिक बोले, सैन्य शासन का समर्थन कर रहा चीन
बता दें कि 2011 में J-20 की पहली उड़ान का परीक्षण किया गया था. 2016 के एयरोस्पेस प्रदर्शनी में अपनी पहली उपस्थिति के बाद, इसने 2017 में PLAAF सेवा में प्रवेश किया.
शायद अमेरिका और इस क्षेत्र में संबद्ध विमान को जवाब देने के लिए 2019 में PLAAF ने अपनी पूर्वी थिएटर ब्रिगेड कमांड को J-20s को एक परिचालन इकाई के लिए सौंपा.