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समय आ गया कि भारत अपने स्वास्थ्य ढांचे में करे सुधार : विशेषज्ञ - अध्यक्ष डॉ गर्ग

भारत Covid-19 महामारी की दूसरी लहर के हमले से उबर रहा है. भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा कि यह देश के लिए अपने स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार करने का समय है.

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Published : Jun 22, 2021, 7:44 PM IST

नई दिल्ली : जानकारों का यह भी मानना ​​है कि तीसरी लहर का आना इस बात पर निर्भर करता है कि हम देश को कैसे अनलॉक कर रहे हैं. सोमवार को टीकाकरण की रिकॉर्ड रफ्तार (84 लाख से ज्यादा) ने भी उम्मीद जताई है कि भारत महामारी की हर संभव तीसरी लहर से कड़ी टक्कर देने में सक्षम होगा.

तीसरी लहर की घटना और गंभीरता बहु तथ्यात्मक, नागरिकों द्वारा कोविड के उचित व्यवहार का अनुपालन, सुपर स्प्रेडर घटनाओं की रोकथाम, जहां आवश्यक हो वहां तेजी से रोकथाम और टीकाकरण का व्यापक कवरेज है. इसके अलावा, एक नए प्रकार के उद्भव और प्रसार डेल्टा प्लस जैसी चिंता और उछाल से निपटने के लिए हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की हमारी क्षमता पर निर्भर करता है.

एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले ने ईटीवी भारत से कहा कि महामारी की दूसरी लहर भारत के लिए खतरनाक साबित हुई क्योंकि देश में व्यापक संक्रमण और अधिकतम हताहत हुए. शहरी क्षेत्रों के अलावा देश के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ टियर II और III शहरों को प्रभावित करने वाली दूसरी लहर ने इस तथ्य को उजागर कर दिया है कि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में वास्तव में सुधार की आवश्यकता है.

जब से Covid-19 ने भारत में दस्तक दी है, तब से देश की स्वास्थ्य प्रणाली की कमियां सामने आई हैं. एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (एएचसीपी-इंडिया) के महानिदेशक डॉ गिरिधर ज्ञानी ने कहा कि यह महामारी की दूसरी लहर के दौरान और अधिक उजागर हो गया है. वास्तव में भारत ने मार्च के बाद से अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की एक बड़ी कमी देखी है, जब देश में दूसरी लहर आई थी. अस्पताल के बिस्तरों, आईसीयू बिस्तरों की कमी, ऑक्सीजन की अनुपलब्धता नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल रही थी.

वरिष्ठ जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) की अध्यक्ष डॉ. गर्ग की चिंता है कि हमें हॉटस्पॉट की पहचान करने के बाद सावधानी से क्षेत्रों को खोलना चाहिए. हमने देखा है कि केवल 50 प्रतिशत लोग ही मास्क पहनते हैं और उसमें से केवल 15 प्रतिशत ही ठीक से मास्क पहनते हैं. इसलिए हमें कोविड के उचित व्यवहार को अपनाते हुए सावधान रहना होगा.

डॉ. गर्ग, जो ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (OMAG) के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि टीके संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए प्रमुख उपकरण हैं. उन्होंने कहा कि सामूहिक सभा और सार्वजनिक स्थानों से बचना भी महत्वपूर्ण है. सिस्टम की तैयारी भी बहुत जरूरी है. डॉ गर्ग ने स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड से लड़ने के लिए तैयार करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई जा रही पहल पर भी प्रकाश डाला.

यह भी पढ़ें-कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट से पहली मौत, 3 राज्यों में 30 से ज्यादा मामले

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले हफ्ते Covid फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए अनुकूलित क्रैश कोर्स प्रोग्राम शुरू किया था कि कैसे Covid को हैंडल किया जाए. उन्होंने कहा कि तीसरी लहर की घटना इस बात पर भी निर्भर करेगी कि हम अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए कितने तैयार हैं. अभी तक केवल 10 प्रतिशत से कम बच्चे प्रभावित हुए हैं. लेकिन हमें इस बारे में सावधान रहना चाहिए. डॉ गर्ग ने जोर दिया कि जैसे ही बच्चों पर टीके का ट्रायल पूरा हो जाए. 12 साल से ऊपर के सभी बच्चों को टीका लगवाना चाहिए.

नई दिल्ली : जानकारों का यह भी मानना ​​है कि तीसरी लहर का आना इस बात पर निर्भर करता है कि हम देश को कैसे अनलॉक कर रहे हैं. सोमवार को टीकाकरण की रिकॉर्ड रफ्तार (84 लाख से ज्यादा) ने भी उम्मीद जताई है कि भारत महामारी की हर संभव तीसरी लहर से कड़ी टक्कर देने में सक्षम होगा.

तीसरी लहर की घटना और गंभीरता बहु तथ्यात्मक, नागरिकों द्वारा कोविड के उचित व्यवहार का अनुपालन, सुपर स्प्रेडर घटनाओं की रोकथाम, जहां आवश्यक हो वहां तेजी से रोकथाम और टीकाकरण का व्यापक कवरेज है. इसके अलावा, एक नए प्रकार के उद्भव और प्रसार डेल्टा प्लस जैसी चिंता और उछाल से निपटने के लिए हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की हमारी क्षमता पर निर्भर करता है.

एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले ने ईटीवी भारत से कहा कि महामारी की दूसरी लहर भारत के लिए खतरनाक साबित हुई क्योंकि देश में व्यापक संक्रमण और अधिकतम हताहत हुए. शहरी क्षेत्रों के अलावा देश के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ टियर II और III शहरों को प्रभावित करने वाली दूसरी लहर ने इस तथ्य को उजागर कर दिया है कि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में वास्तव में सुधार की आवश्यकता है.

जब से Covid-19 ने भारत में दस्तक दी है, तब से देश की स्वास्थ्य प्रणाली की कमियां सामने आई हैं. एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (एएचसीपी-इंडिया) के महानिदेशक डॉ गिरिधर ज्ञानी ने कहा कि यह महामारी की दूसरी लहर के दौरान और अधिक उजागर हो गया है. वास्तव में भारत ने मार्च के बाद से अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की एक बड़ी कमी देखी है, जब देश में दूसरी लहर आई थी. अस्पताल के बिस्तरों, आईसीयू बिस्तरों की कमी, ऑक्सीजन की अनुपलब्धता नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल रही थी.

वरिष्ठ जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) की अध्यक्ष डॉ. गर्ग की चिंता है कि हमें हॉटस्पॉट की पहचान करने के बाद सावधानी से क्षेत्रों को खोलना चाहिए. हमने देखा है कि केवल 50 प्रतिशत लोग ही मास्क पहनते हैं और उसमें से केवल 15 प्रतिशत ही ठीक से मास्क पहनते हैं. इसलिए हमें कोविड के उचित व्यवहार को अपनाते हुए सावधान रहना होगा.

डॉ. गर्ग, जो ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (OMAG) के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि टीके संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए प्रमुख उपकरण हैं. उन्होंने कहा कि सामूहिक सभा और सार्वजनिक स्थानों से बचना भी महत्वपूर्ण है. सिस्टम की तैयारी भी बहुत जरूरी है. डॉ गर्ग ने स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड से लड़ने के लिए तैयार करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई जा रही पहल पर भी प्रकाश डाला.

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प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले हफ्ते Covid फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए अनुकूलित क्रैश कोर्स प्रोग्राम शुरू किया था कि कैसे Covid को हैंडल किया जाए. उन्होंने कहा कि तीसरी लहर की घटना इस बात पर भी निर्भर करेगी कि हम अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए कितने तैयार हैं. अभी तक केवल 10 प्रतिशत से कम बच्चे प्रभावित हुए हैं. लेकिन हमें इस बारे में सावधान रहना चाहिए. डॉ गर्ग ने जोर दिया कि जैसे ही बच्चों पर टीके का ट्रायल पूरा हो जाए. 12 साल से ऊपर के सभी बच्चों को टीका लगवाना चाहिए.

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