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इटैलियन तकनीक से हो रहा जम्मू-कश्मीर रेल लिंक पर पुलों का निर्माण

उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक में पुलों के निर्माण के लिए इटैलियन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. इस तकनीक की खासियत यह है कि भूकंप का झटका आने पर भी ढांचा यथावत बना रहेगा. udhampur srinagar baramulla rail link.

jk rail link
जम्मू कश्मीर रेल लिंक
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Published : Sep 12, 2022, 4:35 PM IST

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) पर 16 पुलों में से 2 छोटे पुलों के निर्माण के लिए इटैलियन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. पुल की कुल लंबाई 2.3 किलोमीटर है. घाटी के लोगों के जीवन को बदलने और जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए कोंकण रेलवे कॉपोर्रेशन लिमिटेड द्वारा 66 किलोमीटर लंबे यूएबीआरएल के लिए इंजीनियरिंग दिग्गज एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड मुंबई द्वारा पुलों का निर्माण किया जा रहा है. udhampur srinagar baramulla rail link.

एफकॉन्स प्रोजेक्ट मैनेजर अलीमिला सागर ने कहा कि भारत में पहली बार, भूकंप का मुकाबला करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए ब्रिज नंबर 39 और 43 पर 16 प्री-लोडेड स्प्रिंग डैम्पर्स (पीएसडीएस) की एक सीरीज स्थापित की जा रही है. जिससे भूगर्भीय जटिल इलाके में पुल निर्माण में एक नए युग की शुरूआत हो रही है. उन्होंने कहा कि इटली से आयातित, पीएसडीएस की स्थापना अक्टूबर में शुरू होगी और दिसंबर तक पूरी हो जाएगी. रियासी, बक्कल, कौरी और सांगलदान सेक्टर में आने वाले दिनों में इन पुलों पर 90 प्रतिशत काम पूरा हो जाएगा.

सागर ने कहा, पुल 30 पर एक टाई-डाउन तंत्र का उपयोग किया जा रहा है, ताकि उच्च हवा के वेग का मुकाबला किया जा सके. इससे संरचना की सुरक्षा सुनिश्चित होगी. पीएसडीएस 39 और 43 पुलों के लिए विशेष रूप से आवश्यक हैं. क्योंकि वे किसी भी भूकंपीय झटके से कमजोर हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि जोन-पांच का क्षेत्र और रियासी फॉल्ट लाइनें इस क्षेत्र से होकर गुजरती हैं. पीएसडीएस को संरचनाओं में भूकंपीय भार का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया है.

rail link project jammu kashmir
रेल लिंक प्रोजेक्ट, जम्मू कश्मीर

उन्होंने कहा कि 16 पुलों के लिए अब तक लगभग 17 लाख क्यूबिक मीटर की खुदाई की जा चुकी है. 25,000 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 27,500 टन रीइन्फोर्समेंट स्टील और 63,000 टन सीमेंट की खपत हो चुकी है. एफकॉन्स के कोर मेथड्स एंड इंजीनियर ग्रुप के उपाध्यक्ष मंदार कार्णिक ने कहा कि ब्रिज 39 में सात पियर हैं, तीन 70 मीटर से अधिक ऊंचे हैं. पुल की नींव लगभग दुर्गम स्थानों पर स्थित है. उन्होंने आगे कहा कि 490 मीटर लंबाई का पूरा सुपर स्ट्रक्चर स्टील से बनाया गया है.

प्रमुख बाधाओं पर चर्चा करते हुए, क्वांटिटी सर्वे के वरिष्ठ प्रबंधक प्रसाद ने कहा कि इनमें प्रतिकूल मौसम की स्थिति में जटिल भूविज्ञान, इंजीनियरिंग, बारिश, संकरी और भूस्खलन प्रवण सड़कों के साथ भारी सामग्री, खड़ी ढलान और लगातार भूस्खलन शामिल हैं, जो कठिन काम को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देते हैं. इन बाधाओं के बावजूद, एचएसई के वरिष्ठ प्रबंधक सुभाष सी. सत्पथी ने कहा कि परियोजना में सुरक्षा प्रोटोकॉल के सख्त कार्यान्वयन का प्रभाव नजर आया है.

एक बार पूरा हो जाने के बाद, इन 16 पुलों को मेगा-मार्वल चिनाब रेलवे ब्रिज धनुषाकार अधिरचना से जोड़ा जाएगा, जिसे अगस्त में यूएसबीआरएल परियोजना पर रेलवे लाइन के लिए निष्पादित किया गया था, ताकि यात्री ट्रेनों से सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य तक पहुंच सकें.

ये भी पढे़ं : दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे ब्रिज का गोल्डन ज्वाइंट का उद्घाटन

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) पर 16 पुलों में से 2 छोटे पुलों के निर्माण के लिए इटैलियन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. पुल की कुल लंबाई 2.3 किलोमीटर है. घाटी के लोगों के जीवन को बदलने और जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए कोंकण रेलवे कॉपोर्रेशन लिमिटेड द्वारा 66 किलोमीटर लंबे यूएबीआरएल के लिए इंजीनियरिंग दिग्गज एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड मुंबई द्वारा पुलों का निर्माण किया जा रहा है. udhampur srinagar baramulla rail link.

एफकॉन्स प्रोजेक्ट मैनेजर अलीमिला सागर ने कहा कि भारत में पहली बार, भूकंप का मुकाबला करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए ब्रिज नंबर 39 और 43 पर 16 प्री-लोडेड स्प्रिंग डैम्पर्स (पीएसडीएस) की एक सीरीज स्थापित की जा रही है. जिससे भूगर्भीय जटिल इलाके में पुल निर्माण में एक नए युग की शुरूआत हो रही है. उन्होंने कहा कि इटली से आयातित, पीएसडीएस की स्थापना अक्टूबर में शुरू होगी और दिसंबर तक पूरी हो जाएगी. रियासी, बक्कल, कौरी और सांगलदान सेक्टर में आने वाले दिनों में इन पुलों पर 90 प्रतिशत काम पूरा हो जाएगा.

सागर ने कहा, पुल 30 पर एक टाई-डाउन तंत्र का उपयोग किया जा रहा है, ताकि उच्च हवा के वेग का मुकाबला किया जा सके. इससे संरचना की सुरक्षा सुनिश्चित होगी. पीएसडीएस 39 और 43 पुलों के लिए विशेष रूप से आवश्यक हैं. क्योंकि वे किसी भी भूकंपीय झटके से कमजोर हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि जोन-पांच का क्षेत्र और रियासी फॉल्ट लाइनें इस क्षेत्र से होकर गुजरती हैं. पीएसडीएस को संरचनाओं में भूकंपीय भार का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया है.

rail link project jammu kashmir
रेल लिंक प्रोजेक्ट, जम्मू कश्मीर

उन्होंने कहा कि 16 पुलों के लिए अब तक लगभग 17 लाख क्यूबिक मीटर की खुदाई की जा चुकी है. 25,000 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 27,500 टन रीइन्फोर्समेंट स्टील और 63,000 टन सीमेंट की खपत हो चुकी है. एफकॉन्स के कोर मेथड्स एंड इंजीनियर ग्रुप के उपाध्यक्ष मंदार कार्णिक ने कहा कि ब्रिज 39 में सात पियर हैं, तीन 70 मीटर से अधिक ऊंचे हैं. पुल की नींव लगभग दुर्गम स्थानों पर स्थित है. उन्होंने आगे कहा कि 490 मीटर लंबाई का पूरा सुपर स्ट्रक्चर स्टील से बनाया गया है.

प्रमुख बाधाओं पर चर्चा करते हुए, क्वांटिटी सर्वे के वरिष्ठ प्रबंधक प्रसाद ने कहा कि इनमें प्रतिकूल मौसम की स्थिति में जटिल भूविज्ञान, इंजीनियरिंग, बारिश, संकरी और भूस्खलन प्रवण सड़कों के साथ भारी सामग्री, खड़ी ढलान और लगातार भूस्खलन शामिल हैं, जो कठिन काम को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देते हैं. इन बाधाओं के बावजूद, एचएसई के वरिष्ठ प्रबंधक सुभाष सी. सत्पथी ने कहा कि परियोजना में सुरक्षा प्रोटोकॉल के सख्त कार्यान्वयन का प्रभाव नजर आया है.

एक बार पूरा हो जाने के बाद, इन 16 पुलों को मेगा-मार्वल चिनाब रेलवे ब्रिज धनुषाकार अधिरचना से जोड़ा जाएगा, जिसे अगस्त में यूएसबीआरएल परियोजना पर रेलवे लाइन के लिए निष्पादित किया गया था, ताकि यात्री ट्रेनों से सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य तक पहुंच सकें.

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