जम्मू: जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए आठ साल हो गए हैं. पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था. यह पहली बार है जब यहां दो चुनावों के बीच इतना लंबा अंतर रहा है.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद के सबसे बुरे दिनों में भी ऐसी स्थिति नहीं थी. अब्दुल्ला ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत हमने कभी नहीं मांगा. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि मैं राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.
-
It's been 8 yrs since there have been polls in J&K. The last Assembly polls were in 2014. This is the first time that there has been such a long gap between polls here. It wasn't such a situation even during the worst days of militancy in J&K: Omar Abdullah, NC pic.twitter.com/QEbbwqe5FI
— ANI (@ANI) January 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">It's been 8 yrs since there have been polls in J&K. The last Assembly polls were in 2014. This is the first time that there has been such a long gap between polls here. It wasn't such a situation even during the worst days of militancy in J&K: Omar Abdullah, NC pic.twitter.com/QEbbwqe5FI
— ANI (@ANI) January 27, 2023It's been 8 yrs since there have been polls in J&K. The last Assembly polls were in 2014. This is the first time that there has been such a long gap between polls here. It wasn't such a situation even during the worst days of militancy in J&K: Omar Abdullah, NC pic.twitter.com/QEbbwqe5FI
— ANI (@ANI) January 27, 2023
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर कभी सवाल नहीं उठाया. उमर अब्दुल्ला ने बनिहाल में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि इस बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है. यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है. हमने सर्जिकल स्ट्राइक पर कभी सवाल नहीं उठाया और हम ऐसा कभी नहीं करेंगे. अब्दुल्ला का बयान कांग्रेस नेता राशिद अल्वी की उस टिप्पणी की पृष्ठभूमि में आया है जिसमें उन्होंने केंद्र से सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो दिखाने को कहा था.
राशिद अल्वी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार कहती है कि उसके पास एक वीडियो (सर्जिकल स्ट्राइक का) है तो इसमें क्या गलत है कि दिग्विजय सिंह सरकार को इसे दिखाने के लिए कह रहे हैं? हम (स्ट्राइक का) सबूत नहीं मांग रहे हैं, लेकिन सरकार को वह वीडियो दिखाना चाहिए जिसका वह दावा करती है. अल्वी की प्रतिक्रिया पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक पर टिप्पणी करने के कुछ दिनों बाद आई है.
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि देश को सुरक्षा बलों पर भरोसा है, लेकिन बीजेपी सरकार पर भरोसा नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि हमें अपने सुरक्षा बलों पर भरोसा है, लेकिन हम भाजपा सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते. राशिद अल्वी ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर विभिन्न मंत्रियों के बयानों पर भी सवाल उठाए. सरकार में मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने कहा था कि एयर स्ट्राइक ऐसी जगह की गई जहां किसी के मारे जाने की आशंका नहीं थी. अमित शाह का दावा है कि एयर स्ट्राइक में 300 से ज्यादा आतंकी मारे गए.
उत्तर प्रदेश अल्वी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि हवाई हमले में 400 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे. उपरोक्त बयानों का हवाला देते हुए, कांग्रेस नेता अल्वी ने कहा कि इन विरोधाभासी बयानों से सवाल उठता है कि सर्जिकल एयर स्ट्राइक में वास्तव में क्या हुआ था. इसलिए सरकार अगर दावा करती है कि उसके पास हवाई हमले के वीडियो सबूत हैं, तो उसे इसे सार्वजनिक करना चाहिए.
कांग्रेस नेता अल्वी ने आगे कहा कि वीडियो सबूत नहीं होने की स्थिति में केंद्र को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर उनके पास अपने दावों को साबित करने के लिए कोई वीडियो सबूत नहीं है, तो सरकार को माफी मांगनी चाहिए. सर्जिकल स्ट्राइक पर दिग्विजय सिंह की टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि पार्टी नेता ने एक 'हास्यास्पद बात' कही थी और वह सिंह के विचारों से असहमत है. राहुल गांधी ने कहा था कि दिग्विजय सिंह ने जो कहा उससे मैं सहमत नहीं हूं. हमें अपनी सेना पर पूरा भरोसा है.
अगर सेना कार्रवाई करती है, तो सबूत की कोई जरूरत नहीं है. मैं उनके (दिग्विजय) के बयान से असहमत हूं और कांग्रेस की आधिकारिक स्थिति यह भी है कि यह उनकी राय है. पार्टी ने सोमवार को दिग्विजय सिंह की टिप्पणी से आधिकारिक रूप से खुद को अलग कर लिया था. वैसे आपको बता दें कि जब से अनुच्छेद 370 समाप्त हुआ है, तब से राज्य में कई बदलाव आए हैं. अब तो मोदी सरकार के आलोचक भी मानने लगे हैं कि इन बदलावों को महसूस किया जा सकता है.
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के पूर्व प्रमुख ए .एस.दुलत ने भी कहा कि कश्मीर लगभग पूरी तरह से मुख्यधारा में आ चुका है, और कश्मीरियों के दिमाग से पाकिस्तान निकल गया है तथा अलगाववाद और हुर्रियत सब खत्म हो गए हैं. दुलत ने हालांकि कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की कोई जरूरत नहीं थी, जो जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था, क्योंकि इसमें कुछ बचा नहीं था और यह केवल अपनी गरिमा को बचाए रखने का एक माध्यम था. दुलत ने यह भी कहा कि आतंकवाद में गिरावट जारी रहेगी लेकिन जब तक पाकिस्तान के साथ मामला सुलझा नहीं लिया जाता, आतंकवाद बना रहेगा. उन्होंने पाकिस्तान के साथ वार्ता की वकालत की.
नेशनल कांफ्रेंस के नेता भी पाकिस्तान से बातचीत की वकालत करते रहे हैं. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को कई बार मुखर होकर ऐसा बयान देती हैं.
ये भी पढ़ें : Pathaan in Kashmir: कश्मीर में टूटा 32 साल का रिकॉर्ड, सिनेमा हॉल के बाहर लगा Housefull का साइन बोर्ड