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लगता है कि चिकित्सकों पर हमले को लेकर महाराष्ट्र गंभीर नहीं है : उच्च न्यायालय

डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों पर मरीजों के परिजन हमला कर देते हैं जिसको देखते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार डॉक्टरों को बचाने में गंभीरता नहीं दिखा रही है.

bombay hc
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Published : May 19, 2021, 10:58 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार मरीजों के परिजन के हमले से अपने डॉक्टरों को बचाने के लिए 'गंभीर' नहीं दिख रही है. यह टिप्पणी बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय ने की.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ राज्य स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव की तरफ से दायर हलफनामे का हवाला दे रही थी. उच्च न्यायालय के 13 मई के आदेश पर विभाग ने हलफनामा दायर किया था.

पीठ ने अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों पर हमले को लेकर दर्ज प्राथमिकियों के बारे में उच्च न्यायालय को सूचित करें और उनकी रक्षा के लिए उठाए गए कदमों से भी अवगत कराएं.

हलफनामे में बताया गया कि राज्य भर में 436 मामले दर्ज किए गए लेकिन इसमे इस तरह के मामलों की समय सीमा या ब्यौरा नहीं बताया गया.

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के पहले के आदेश में जो भी सवाल पूछे गए थे उनका इस हलफनामे में कोई जवाब नहीं है.

पढ़ें :- महाराष्ट्रः कोविड सेंटर के डॉक्टर पर कोरोना मरीज का चाकू से हमला

पीठ ने कहा, यह काफी निराशाजनक है कि एक पन्ने का हलफनामा दायर किया गया है. अगली बार से हम तब तक हलफनामा स्वीकार नहीं करेंगे जब तक कि इसे सरकारी वकील द्वारा तैयार नहीं किया गया हो.

इसने कहा, 'हम केवल इतना ही कह सकते हैं कि यह निराशाजनक है. यह पूरी तरह संवेदनशून्य है. राज्य सरकार चिकित्सकों की रक्षा को लेकर गंभीर नहीं है. फिर भी लोग चिकित्सकों से उम्मीद करते हैं कि वे पूरे मन से काम करें.

पीठ ने राज्य स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव को अगले हफ्ते तक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया.

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार मरीजों के परिजन के हमले से अपने डॉक्टरों को बचाने के लिए 'गंभीर' नहीं दिख रही है. यह टिप्पणी बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय ने की.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ राज्य स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव की तरफ से दायर हलफनामे का हवाला दे रही थी. उच्च न्यायालय के 13 मई के आदेश पर विभाग ने हलफनामा दायर किया था.

पीठ ने अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों पर हमले को लेकर दर्ज प्राथमिकियों के बारे में उच्च न्यायालय को सूचित करें और उनकी रक्षा के लिए उठाए गए कदमों से भी अवगत कराएं.

हलफनामे में बताया गया कि राज्य भर में 436 मामले दर्ज किए गए लेकिन इसमे इस तरह के मामलों की समय सीमा या ब्यौरा नहीं बताया गया.

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के पहले के आदेश में जो भी सवाल पूछे गए थे उनका इस हलफनामे में कोई जवाब नहीं है.

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पीठ ने कहा, यह काफी निराशाजनक है कि एक पन्ने का हलफनामा दायर किया गया है. अगली बार से हम तब तक हलफनामा स्वीकार नहीं करेंगे जब तक कि इसे सरकारी वकील द्वारा तैयार नहीं किया गया हो.

इसने कहा, 'हम केवल इतना ही कह सकते हैं कि यह निराशाजनक है. यह पूरी तरह संवेदनशून्य है. राज्य सरकार चिकित्सकों की रक्षा को लेकर गंभीर नहीं है. फिर भी लोग चिकित्सकों से उम्मीद करते हैं कि वे पूरे मन से काम करें.

पीठ ने राज्य स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव को अगले हफ्ते तक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया.

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