नई दिल्ली: बीबीसी समूह की विभिन्न संस्थाओं द्वारा दिखाई गई आय और लाभ के आंकड़े भारत में उनके परिचालन के अनुरूप नहीं है. एक आधिकारिक बयान में शुक्रवार को यह बात कही गई. यह बयान आयकर अधिकारियों की तरफ से ब्रिटिश मीडिया इकाई के खिलाफ तीन दिन तक चले सर्वेक्षण के एक दिन बाद आया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मीडिया संगठन का नाम लिए बिना बयान में कहा कि आयकर दलों ने कर्मचारियों के बयान, डिजिटल सबूत और दस्तावेजों के रूप में महत्वपूर्ण सबूतों का पता लगाया है.
अधिकारियों ने कहा कि यह बयान ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) से संबंधित है. बयान के मुताबिक सर्वेक्षण के दौरान कई विसंगतियां पाई गईं. सर्वेक्षण 14 फरवरी को दिल्ली और मुंबई स्थित बीबीसी कार्यालयों में शुरू किया गया था और गुरुवार की रात लगभग 60 घंटों के बाद समाप्त हो गया. हाल ही में बीबीसी के विवादित वृत्तचित्र से जुड़े सोशल मीडिया लिंक को बैन करने के आदेश पर केंद्र सरकार को उच्चतम न्यायालय से मिले नोटिस की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आलोचना की थी.
आरएसएस ने साफ-साफ कहा कि भारत विरोधी तत्व उच्चतम न्यायालय को 'हथियार' की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. संगठन से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका 'पाञ्चजन्य' में इस बात का जिक्र किया गया है. पत्रिका ने कहा कि भारत विरोधी तत्व कथित रूप से शीर्ष अदालत का 'औजार' की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.
पत्रिका के ताजा संस्करण के एक संपादकीय में कहा गया है कि मानवाधिकारों के नाम पर आतंकवादियों को बचाने के प्रयासों और पर्यावरण के नाम पर भारत के विकास में बाधाएं पैदा करने के बाद अब यह कोशिश की जा रही है कि देश विरोधी ताकतों को भारत में दुष्प्रचार करने का अधिकार हो. बीबीसी के वृत्तचित्र को लेकर शीर्ष अदालत के नोटिस का जिक्र करते हुए संपादकीय में कहा गया, "हमारे देश के हितों की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई थी, लेकिन भारत विरोधी तत्व अपना रास्ता साफ करने के प्रयासों के लिए इसका एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं."
(पीटीआई-भाषा)