कोलकाता : इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) प्रमुख अब्बास सिद्दीकी ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता तृणमूल कांग्रेस और भाजपा, दोनों पार्टियों के संपर्क में हैं तथा विधानसभा चुनाव के नतीजे के अनुरूप उनमें से किसी एक खेमे में शामिल हो सकते हैं.
पश्चिम बंगाल में वाम दलों और कांग्रेस के महागठबंधन को रविवार को संकट की स्थिति का सामना करना पड़ा, जब सिद्दीकी ने कांग्रेस को सीट बंटवारे पर चल रही बातचीत को लेकर आगाह करते हुए उसे जल्द ही किसी निर्णय पर पहुंचने कहा था.
सिद्दीकी ने कहा कि अगर, कल मेरे शब्दों से अधीर रंजन चौधरी (प्रदेश कांग्रेस प्रमुख) को ठेस पहुंची है, तो मैं माफी मांगता हूं. लेकिन मुझे जानकारी मिली है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता टीएमसी और भाजपा दोनों के सम्पर्क में हैं और (चुनाव बाद) त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में वह पाला बदल सकते हैं.
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि कांग्रेस इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करे. वे गठबंधन चाहते हैं या नहीं, उन्हें यह स्पष्ट रूप से कहना होगा. हम अनंत काल तक प्रतीक्षा नहीं कर सकते.
हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार ते हुए खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा कि उन्होंने (आईएसएफ प्रमुख ने) नेता का नाम क्यों नहीं बताया, जिसके वह भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के सम्पर्क में होने का दावा कर रहे हैं? हम गठबंधन पर सिर्फ इसलिए फैसला नहीं ले सकते क्योंकि उन्हें जल्दी है. हम वाम दलों के नेताओं साथ बैठक के बाद इस पर फैसला लेंगे.
वाम दल और कांग्रेस के नेताओं के आज बैठक करने का कार्यक्रम है.
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प्रदेश में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं और 27 मार्च को पहले चरण का मतदान होगा.
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आईएसएफ प्रमुख ने रविवार को दावा किया था कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी गठबंधन के पक्ष में हैं, लेकिन बंगाल से पार्टी के एक नेता इसमें देर कर रहे हैं.
उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चौधरी ने कहा कि कांग्रेस किसी सिद्दीकी की धमकियों और भयादोहन के आधार पर फैसले नहीं लेगी.
उन्होंने कहा कि हमारा वाम दलों के साथ औपचारिक गठबंधन है. पहले हमे वाम के साथ सीट बंटवारे की तस्वीर स्पष्ट करने दीजिए. हमने अब्दुल मनन से आईएसएफ के साथ बात करने और उनकी मांगों पर गौर करने को कहा है.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक आईएसएफ ने माल्दा और मुर्शिदाबाद में कुछ सीटों की मांग की है , जिन पर पार्टी ने 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी.