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टाटा को हस्तांतरण से पहले एयर इंडिया के निवर्तमान प्रबंधन द्वारा बकाया भुगतान की उम्मीद: आईपीजी

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Published : Nov 8, 2021, 12:08 PM IST

एयर इंडिया के टाटा संस के पास जाने से पहले अपने बकाया निपटान को लेकर एयर इंडिया के पायलट यूनियनों में से एक- इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) को उम्मीदें बंधी हैं. यूनियन की ओर से एयर इंडिया के सीएमडी को लिखे एक पत्र में कहा कि वह विमानन कंपनी के नए मालिकों के साथ एक नई शुरुआत करने को लेकर 'आशावादी' हैं.

टाटा को हस्तां
टाटा को हस्तां

मुंबई: एयर इंडिया के पायलट यूनियनों में से एक- इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) ने उम्मीद जताई है कि निवर्तमान प्रबंधन यह सुनिश्चित करेगा कि विमानन कंपनी के नए मालिक टाटा संस के पास जाने से पहले कर्मचारियों के बकाया निपटान की प्रक्रिया को सही ढंग से पूरा कर लिया जाएगा. एयर इंडिया के सीएमडी को लिखे एक पत्र में गिल्ड ने रविवनार को कहा कि वह विमानन कंपनी के नए मालिकों के साथ एक नई शुरुआत करने को लेकर 'आशावादी' हैं.

पत्र में साथ ही मौजूदा प्रबंधन से कर्मचारियों का 'शोषण' नहीं करने का आग्रह किया गया. गिल्ड ने कहा कि शोषण की स्थिति में बड़े पैमाने पर विरोध और औद्योगिक अशांति के हालात बन सकते हैं. आईपीजी के अनुसार 2006 के वेतन समझौते के तहत कैप्टन और सह-पायलटों के लिए मासिक लेओवर सब्सिस्टेंस अलाउंस (एलएसए) का प्रावधान किया गया था. इन वर्षों में इस राशि का 25 प्रतिशत को रोक दिया गया, जो अभी भी बकाया है.

ये भी पढ़े- डीजल-पेट्रोल पर उपकर वापस ले केंद्र सरकार : तेलंगाना सीएम

गिल्ड ने कहा कि इसके अलावा इस वेतन समझौते के तहत ओवरटाइम भुगतान भी लंबे समय से रुका हुआ है. साथ ही 2012 में सभी कर्मचारियों पर गलत और एकतरफा तरीके से 25 प्रतिशत वेतन कटौती लागू की गई थी. पिछले महीने के अंत में केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को 18,000 करोड़ रुपये में टाटा संस के हाथों बेचने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: एयर इंडिया के पायलट यूनियनों में से एक- इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) ने उम्मीद जताई है कि निवर्तमान प्रबंधन यह सुनिश्चित करेगा कि विमानन कंपनी के नए मालिक टाटा संस के पास जाने से पहले कर्मचारियों के बकाया निपटान की प्रक्रिया को सही ढंग से पूरा कर लिया जाएगा. एयर इंडिया के सीएमडी को लिखे एक पत्र में गिल्ड ने रविवनार को कहा कि वह विमानन कंपनी के नए मालिकों के साथ एक नई शुरुआत करने को लेकर 'आशावादी' हैं.

पत्र में साथ ही मौजूदा प्रबंधन से कर्मचारियों का 'शोषण' नहीं करने का आग्रह किया गया. गिल्ड ने कहा कि शोषण की स्थिति में बड़े पैमाने पर विरोध और औद्योगिक अशांति के हालात बन सकते हैं. आईपीजी के अनुसार 2006 के वेतन समझौते के तहत कैप्टन और सह-पायलटों के लिए मासिक लेओवर सब्सिस्टेंस अलाउंस (एलएसए) का प्रावधान किया गया था. इन वर्षों में इस राशि का 25 प्रतिशत को रोक दिया गया, जो अभी भी बकाया है.

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गिल्ड ने कहा कि इसके अलावा इस वेतन समझौते के तहत ओवरटाइम भुगतान भी लंबे समय से रुका हुआ है. साथ ही 2012 में सभी कर्मचारियों पर गलत और एकतरफा तरीके से 25 प्रतिशत वेतन कटौती लागू की गई थी. पिछले महीने के अंत में केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को 18,000 करोड़ रुपये में टाटा संस के हाथों बेचने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

(पीटीआई-भाषा)

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