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केंद्र सरकार की गलत नीतियों का शिकार हुआ एचईसी: सुबोधकांत सहाय

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय शनिवार को एचईसी के मुद्दे पर केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा (Cabinet Secretary Rajiv Gauba) से मिलेंगे. उन्होंने कहा कि 7 महीने से एचईसी (HEC) कर्मियों को वेतन नहीं मिला है, ऐसे में उनका घर कैसे चलेगा? एचईसी में हड़ताल की वजह से काम ठप है, जिस पर केंद्र सरकार ध्यान नहीं दे रही है.

Subodhkant Sahay
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय
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Published : Jan 8, 2022, 12:00 AM IST

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता सुबोधकांत सहाय (Subodhkant Sahay) ने कहा कि एचईसी केंद्र सरकार की गलत नीतियों का शिकार हो गया है. इस कारण उसकी हालत बदतर हो गई है. एचईसी आर्थिक संकट से जूझ रहा है. दिल्ली में शनिवार को वो केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा से मिलेंगे और एचईसी को लेकर पूरी बात उनके सामने रखेंगे.

सुबोधकांत सहाय ने एचईसी के कर्मचारियों को सैलरी देने और स्थाई सीएमडी की नियुक्ति की मांग भी की है. उन्होंने कहा कि 7 महीने से एचईसी कर्मियों को वेतन नहीं मिला है. 7000 तनख्वाह है. कर्मचारी परेशान हैं. सैलरी के लिए 36 दिन से कर्मचारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. एचईसी में हड़ताल के चलते कामकाज ठप हैं. उन्होंने कहा कि मैं स्थाई सीएमडी की नियुक्ति हो इसकी मांग करूंगा. वहां मशीनें काफी पुरानी हैं. उन्होंने कहा कि नयी एवं आधुनिक मशीनें वहां लगें इसकी भी मांग कैबिनेट सचिव से करूंगा.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय

बता दें, हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HEC) में 7 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण वहां के कर्मचारी हड़ताल पर हैं. कर्मचारी एचईसी में स्थाई सीएमडी की नियुक्ति की भी मांग कर रहे हैं. इतने बड़े संस्थान को लंबे समय से स्थाई सीएमडी भी नहीं मिला है. भेल के सीएमडी के पास इस संस्थान का अतिरिक्त प्रभार है. बता दें कि एचईसी को उत्पादन में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. यही स्थिति बनी रही तो 1800 करोड़ रुपए का वर्क ऑर्डर पूरा करना मुश्किल होगा. इस हालात में कई कंपनियां अपना वर्क आर्डर वापस ले सकती हैं.

ये भी पढ़ें- सुबोधकांत सहाय के नेतृत्व में HEC मजदूरों का विरोध प्रदर्शन जारी, पिछले 7 महीने से नहीं मिला है वेतन

एचईसी वित्तीय संकट से गुजर रहा है. वर्क ऑर्डर के लिए वर्किग कैपिटल की दिक्कत के साथ-साथ कर्मचारियों के वेतन में परेशानी आ रही है. प्रबंधन की ओर से केंद्र को पत्र लिखकर 870 करोड़ रुपए की मदद की गुहार लगाई गई है. भारी मशीनरी का निर्माण के क्षेत्र में एचईसी एशिया का सबसे बड़ा उपक्रम एक समय रहा है. इस्पात, खनन, रेलवे, बिजली, रक्षा, अंतरिक्ष, अनुसंधान, परमाणु क्षेत्र में देश के लिए पूंजीगत उपकरणों की आपूर्ति में बड़ा योगदान इसका रहा है. लेकिन मौजूदा वक्त में इसकी स्थिति खराब है.

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता सुबोधकांत सहाय (Subodhkant Sahay) ने कहा कि एचईसी केंद्र सरकार की गलत नीतियों का शिकार हो गया है. इस कारण उसकी हालत बदतर हो गई है. एचईसी आर्थिक संकट से जूझ रहा है. दिल्ली में शनिवार को वो केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा से मिलेंगे और एचईसी को लेकर पूरी बात उनके सामने रखेंगे.

सुबोधकांत सहाय ने एचईसी के कर्मचारियों को सैलरी देने और स्थाई सीएमडी की नियुक्ति की मांग भी की है. उन्होंने कहा कि 7 महीने से एचईसी कर्मियों को वेतन नहीं मिला है. 7000 तनख्वाह है. कर्मचारी परेशान हैं. सैलरी के लिए 36 दिन से कर्मचारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. एचईसी में हड़ताल के चलते कामकाज ठप हैं. उन्होंने कहा कि मैं स्थाई सीएमडी की नियुक्ति हो इसकी मांग करूंगा. वहां मशीनें काफी पुरानी हैं. उन्होंने कहा कि नयी एवं आधुनिक मशीनें वहां लगें इसकी भी मांग कैबिनेट सचिव से करूंगा.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय

बता दें, हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HEC) में 7 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण वहां के कर्मचारी हड़ताल पर हैं. कर्मचारी एचईसी में स्थाई सीएमडी की नियुक्ति की भी मांग कर रहे हैं. इतने बड़े संस्थान को लंबे समय से स्थाई सीएमडी भी नहीं मिला है. भेल के सीएमडी के पास इस संस्थान का अतिरिक्त प्रभार है. बता दें कि एचईसी को उत्पादन में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. यही स्थिति बनी रही तो 1800 करोड़ रुपए का वर्क ऑर्डर पूरा करना मुश्किल होगा. इस हालात में कई कंपनियां अपना वर्क आर्डर वापस ले सकती हैं.

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एचईसी वित्तीय संकट से गुजर रहा है. वर्क ऑर्डर के लिए वर्किग कैपिटल की दिक्कत के साथ-साथ कर्मचारियों के वेतन में परेशानी आ रही है. प्रबंधन की ओर से केंद्र को पत्र लिखकर 870 करोड़ रुपए की मदद की गुहार लगाई गई है. भारी मशीनरी का निर्माण के क्षेत्र में एचईसी एशिया का सबसे बड़ा उपक्रम एक समय रहा है. इस्पात, खनन, रेलवे, बिजली, रक्षा, अंतरिक्ष, अनुसंधान, परमाणु क्षेत्र में देश के लिए पूंजीगत उपकरणों की आपूर्ति में बड़ा योगदान इसका रहा है. लेकिन मौजूदा वक्त में इसकी स्थिति खराब है.

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