उदयपुर. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में उदयपुर का बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड अब सियासी मुद्दा बन गया है. इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच लगातार चुनावी रैलियों में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला देखा जा रहा है. इस बीच ईटीवी भारत की टीम कन्हैयालाल के घर पहुंची. कन्हैयालाल के बड़े बेटे यश और उनकी पत्नी ने बातचीत में कहा कि हमें इससे कुछ लेना-देना नहीं है. हमें सिर्फ इंसाफ चाहिए.
सियासत नहीं इंसाफ चाहिए : कन्हैयालाल के बड़े बेटे यश ने कहा कि इस विधानसभा चुनाव में मेरे पिता के मुद्दे को चुनावी प्रोपेगेंडा बनाया जा रहा है, लेकिन इस पूरे मामले को चुनावी मुद्दा न बनाते हुए एक विशेष केस की तरह आरोपियों को उनके गुनाहों के लिए फांसी देनी चाहिए. दोनों ही पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है, जिससे हमें कुछ लेना-देना नहीं है. हमें सिर्फ जल्द से जल्द न्याय मिले. हमारे परिवार के साथ ही पूरा देश भी यही सोच रहा है कि आरोपियों को कब उनके गुनाहों की सजा मिलेगी. यश ने कहा कि जब यह मामला घटित हुआ था तब बड़े-बड़े नेता हमारे घर आते थे, कहते थे कि जल्द इस मामले में आरोपियों को सजा होगी. आज इतना समय बीत जाने के बाद भी आरोपी जेल में बैठे हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अब एनआईए कोई जानकारी नहीं देती है.
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इस मुद्दे पर पॉलिटिक्स क्यों : उन्होंने कहा कि "नेताओं को राजनीति करने के बजाए न्याय दिलाने की कोशिश करनी चाहिए. जितनी राजनीति इस मुद्दे पर हो रही है, अगर इतना ही प्रेशर हमारी जांच एजेंसियों पर होता तो अब तक हमें भी न्याय मिल चुका होता. जब चुनावी सभाओं में नेताओं की ओर से पिता को लेकर बयानबाजी देखता हूं, अखबार में पढ़ता हूं तो सोचता हूं कि इस मुद्दे पर पॉलिटिक्स क्यों हो रही है? उन्होंने कहा कि यह ऐसा पहला केस होगा, जहां आरोपियों ने गुनाह के पूरे सबूत खुद दिए हैं. पहले हत्या करते हुए वीडियो बनाया और उसे बाद में वायरल किया. एक और वीडियो में आरोपी कबूल भी कर रहे हैं कि हमने ही कन्हैया का हत्या की है, लेकिन इसके बावजूद भी इस केस को इतना लंबा क्यों खींचा जा रहा है?"
जो दर्द हमने सहा वह हम ही जानते हैं : कन्हैया की पत्नी जसोदा देवी ने कहा कि "पिछले 1 साल में हत्याकांड के बाद कई त्योहार आए, लेकिन कोई खुशियां नहीं है. ऐसा लगता है यह त्योहार आते ही क्यों है? त्योहार मनाने की इच्छा ही नहीं होती. उन्होंने कहा कि मुझे राजनीति के बारे में कुछ पता नहीं है, लेकिन मैं इतना ही चाहती हूं कि उन्हें (कन्हैयालाल) राजनीति में न खींचा जाए और उन्हें न्याय मिलनी चाहिए".
न्याय मिलने तक चप्पल नहीं पहनने का संकल्प : यश ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देने के साथ ही अपने मन में संकल्प लिया था कि जब तक हत्यारों को फांसी की सजा नहीं होगी, वह चप्पल नहीं पहनेंगे. यश न्याय की आस लिए बैठे हैं. चिलचिलाती धूप हो या बारिश वो नंगे पैर ही उदयपुर कलक्ट्रेट स्थित अपने ऑफिस पहुंचते हैं. इतना ही नहीं कन्हैया की अस्थियां अभी भी न्याय का इंतजार कर रही हैं. उनके परिवार का कहना है जब न्याय मिलेगा तब इन्हें गंगा में विसर्जित किया जाएगा.