रायपुर : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने छत्तीसगढ़ में हाहाकार मचा दिया है. कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी भी अपनाई जा रही है. ईटीवी भारत की टीम ने पिछले 1 साल से कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर देवेंद्र नायक से खास बातचीत की है.
सवाल-प्लाज्मा थेरेपी क्या है ?
जवाब- प्लाज्मा थेरेपी एंटीबॉडी पर बेस्ड है. ह्यूमन बॉडी में एन्टीजन और एंटीबॉडी 2 तरह के सेल होते हैं. एन्टीजन वो होते हैं जो कोरोना वायरस जैसा काम करता है. उसके खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली एंटीबॉडी होती है. जो मरीज कोरोना संक्रमण से ठीक हो गया है, ऐसे मरीजों में एंटीबॉडी डेवलप होती है. वह एंटीबॉडी को एक शरीर से निकालकर दूसरे शरीर में लगाते हैं. यह एंटीबॉडी प्लाज्मा कोरोना संक्रमण के एंटीजन से लड़ने में मदद करती है.
जवाब- इसे लेकर बहुत सारी स्टडी हुई है. यूएसए, फ्रांस इसके अलावा दिल्ली एम्स ने भी स्टडी की है. हाल ही में एम्स और आईसीएमआर द्वारा गाइडलाइन जारी की गई है. पेशेंट 7 दिनों के अंदर इलाज के लिए पहुंचे या संक्रमण के 10 दिनों के अंदर मरीज को प्लाज्मा थेरेपी दी जाए तो यह कारगर सिद्ध होती है. हर मरीज को प्लाज्मा थेरेपी नहीं दी जा सकती. माइल्ड लक्षण के मरीजों में यह थेरेपी देने की आवश्यकता नहीं है. 90% से ज्यादा बीमार शख्स के लिए प्लाज्मा थेरेपी कारगर सिद्ध नहीं होती है. जिनमें 50 से 80 प्रतिशत HRCT में संक्रमण है. उनमें प्लाज्मा थेरेपी कारगर सिद्ध हो रही है.
सवाल- निजी अस्पतालों में ही प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल हो रहा है. सरकारी अस्पतालों में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. इसके क्या कारण हैं ?
जवाब- प्लाज्मा थेरेपी के लिए एम्स और आईसीएमआर ने अप्रूवल दिया है. एम्स दिल्ली इसका इस्तेमाल कर रही है. दिल्ली सरकार, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश गवर्नमेंट प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कर रही है. यह राज्य सरकार द्वारा तय किया जाता है की गाइडलाइन किस प्रकार की है. छत्तीसगढ़ सरकार की गाइडलाइन में प्लाज्मा थेरेपी को जगह नहीं दिया गया है. इस पर अभी भी स्टडी चल रही है. प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग की मनाही नहीं है, लेकिन इसका उपयोग फिजिशियन पर निर्भर करता है. इसके लिए भी गाइडलाइन बनाई गई है.
सवाल- कोरोना से ठीक होकर लौटे लोगों को दोबारा संक्रमण हो गया है. ऐसे में उन पर प्लाज्मा थेरेपी किस तरह कारगर होगी ?
जवाब- इसे लेकर कोई स्टडी नहीं आई है, लेकिन प्लाज्मा थेरेपी का रोल स्पेसिफिक है. एम्स और आईसीएमआर द्वारा प्लाज्मा किस स्थिति में किया जा सकता है इसके लिए गाइडलाइन जारी की गई है. दोबारा कोरोना संक्रमण होने पर प्लाज्मा किस तरह कारगर है. इस पर ऑफिशियल कोई स्टडी सामने नहीं आई है.
सवाल- कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं में प्लाज्मा थेरेपी देना सही है या नहीं?
जवाब- गर्भवती महिलाओं के लिए स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है. प्लाज्मा थेरेपी में एंटीबॉडी होती है. जो नार्मल प्लाज्मा जैसे ही होते हैं. इनके कोई साइड इफेक्ट नहीं है. किसी भी पेशेंट की जान बचाना महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं के केस में इंडिविजुअल प्रिफरेंस में हम प्लाज्मा थेरेपी में जा सकते है. जब तक कोई ऑथेंटिक गाइडलाइन ना आ जाए ऐसे में गर्भवती महिलाओं पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल ना ही किया जाए तो बेहतर है.
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सवाल- प्लाज्मा कौन-कौन डोनेट कर सकता है?
जवाब- सबसे ज्यादा दिक्कत प्लाज्मा थेरेपी की मशीनों की है. इसकी मशीन बहुत महंगी आती है. इसकी दिन भर में कैपेसिटी 12 से 15 केसेस के लिए ही होती है, क्योंकि प्लाज्मा निकालने में 45 मिनट से ढाई घंटे लगते हैं. जो मरीज कोरोना से ठीक हो गया हो वह प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं.
इसमें एक समान ब्लड ग्रुप को प्राथमिकता दी जाती है. यदि ब्लड ग्रुप एक जैसा नहीं है तो इन केसों में-
- A निगेटिव ब्लड ग्रुप वालों को AB निगेटिव का प्लाज्मा दिया जा सकता है.
- जिन मरीज का ब्लड ग्रुप A पॉजिटिव है तो उसे AB पॉजिटिव का प्लाज्मा लगाया जा सकता है.
- B पॉजिटिव मरीज को AB पॉजिटिव बल्ड ग्रुप वाले प्लाज्मा दे सकते हैं.
- B निगेटिव ब्लड वालों को AB निगेटिव ब्लड ग्रुप वाले भी प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं.
प्लाज्मा थेरेपी के लिए AB निगेटिव ब्लड ग्रुप वाला यूनिवर्सल डोनर होता है, लेकिन इसमें पॉजिटिव और निगेटिव को ध्यान रखना आवश्यक होता है. समान ब्लड ग्रुप वाले मिल जाए तो ज्यादा बेहतर होता है.
सवाल- कोई मरीज संक्रमण से ठीक हुआ है तो वह कितने दिनों बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकता है ?
जवाब- मरीज को कोरोना वायरस से ठीक हुए 3 सप्ताह होना चाहिए. दूसरा एंटीबॉडी टाइटर ज्यादा मात्रा में होने चाहिए. कम एंटीबॉडी टाइटर का फायदा नहीं होता. ऐसे में एंटीबॉडी टाइटर की मात्रा 3.5K से ज्यादा होनी चाहिए तभी यह कारगर है.
सवाल- डोनर के लिए एज क्राइटेरिया क्या होना चाहिए ?
जवाब- ब्लड डोनेशन के लिए जो एज क्राइटेरिया होता है वही प्लाज्मा डोनर के लिए भी मान्य है.18 से 65 वर्ष के लोगों को आइडियल डोनर माना जाता है. लेकिन डोनर को अन्य रोग नहीं होने चाहिए.
सवाल- कितने प्रतिशत लोग प्लाज्मा से ठीक हो चुके हैं ?
जवाब- सभी का क्राइटेरिया अलग-अलग है. सीरियस केस में देखा जाए तो जिनको 80 से 90% कोरोना संक्रमण रहा है. इसमें प्लाजमा थेरेपी का ज्यादा असर नहीं देखा गया है.50 से 80 प्रतिशत कोरोना संक्रमण के केस में 90 से 92 प्रतिशत रिजल्ट मिले हैं. प्लाज्मा थेरेपी के बाद कोरोना संक्रमित मरीजों का ऑक्सीजन लेवल बढ़ रहा है. कमजोरी कम हो रही है. हमारी स्थिति अभी लिमिटेड है. 600 से 700 पेशेंट के ऊपर हमने यह स्टडी की है. इतनी छोटी सी स्टडी में जान जाने का खतरा बता पाना मुश्किल है. इसके लिए बहुत बड़े लेवल पर स्टडी करने की जरूरत पड़ेगी. लेकिन प्लाज्मा थेरेपी से पेशेंट का इंप्रूवमेंट तुरंत होता है.
सवाल- सामान्य इलाज और प्लाज्मा थेरेपी का खर्च कितना है ?
जवाब- प्लाज्मा थेरेपी में 200 ml का खर्च 7000 रुपये के लगभग आता है. इसमें एक या दो प्लाज्मा थेरेपी की जरूरत पड़ती है. एक बार प्लाज्मा निकालने में 7 हजार रुपये का खर्च आता है. दो प्लाज्मा का खर्च 14 हजार आता है. यदि सामान्य तौर पर देखे तो रेमडेसिविर इंजेक्शन और दूसरे मेडिसिन की कीमत से यह थोड़ा ज्यादा महंगा है.सामान्य प्लाज्मा 1000 से 1500 रुपये में मिल जाता है, लेकिन यह 7000 रुपये में मिल रहा है. इसकी कीमत कम होने चाहिए. इसकी कीमत 4 से 5 हजार रुपये तक होनी चाहिये, क्योंकि यह जीवन रक्षक है. यह कारगर थेरेपी है.
सवाल- कोरोना से ठीक होने वाले मरीज प्लाज्मा डोनेट करने में डर रहे हैं, उन्हे क्या संदेश देना चाहेंगे ?
जवाब- प्लाज्मा डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं होता है. हालांकि इस पर बहुत ज्यादा स्टडी नहीं हुई है, लेकिन प्लाज्मा थेरेपी के रिजल्ट 90 से 92 प्रतिशत तक हैं. प्लाज्मा डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं है. हमारे शरीर में प्लाज्मा 24 से 48 घंटे में बन जाता है.15 दिन में पूरे कंपोनेंट बन जाते हैं. इसमें सिर्फ प्लाज्मा लिया जाता है, ब्लड नहीं लिया जाता. जो संक्रमण से ठीक हुए हैं उन्हें आगे आकर प्लाज्मा डोनेट करना चाहिए.