नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (INTERPOL) ने भारत के 12 मोस्ट वांटेड भगोड़ों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (RCN) जारी करने से इनकार किया है. इस संबंध में भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि इंटरपोल ने देश में कई राष्ट्रविरोधी और आपराधिक गतिविधियों में वांछित कम से कम 12 व्यक्तियों को रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया है.
इंटरपोल ने हाल ही में कनाडा में रह रहे खालिस्तान समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नून के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से भारत के दूसरी बार अनुरोध को खारिज कर दिया है. इससे पहले, अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन ने धन शोधन के मामलों में कथित संलिप्तता के लिए डॉ. जाकिर नाइक के खिलाफ आरसीएन जारी करने से इनकार किया था. हालांकि, इंटरपोल ने इस साल भारतीय अधिकारियों द्वारा मांगे गए कम से कम 33 भगोड़ों के खिलाफ ऐसा नोटिस जारी किया.
बता दें कि रेड कॉर्नर नोटिस दुनिया भर में कानून प्रवर्तन से अनुरोध है कि प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के लंबित किसी व्यक्ति का पता लगाया जाए और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार किया जाए. यह अनुरोध करने वाले देश के न्यायिक अधिकारियों द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट या अदालती आदेश पर आधारित है. भारत द्वारा मांगे गए भगोड़ों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से इनकार करने के लिए इंटरपोल को मजबूर करने वाले एक प्रश्न पर अधिकारी ने कहा कि अपराधी इंटरपोल की फाइलों के नियंत्रण के लिए आयोग (CCF) का लाभ उठाते हैं.
अधिकारी ने कहा, भगोड़ों ने सीसीएफ से अपील करते हुए कहा कि उन्हें सरकारी अधिकारियों ने धर्म और नस्ल के आधार पर प्रताड़ित किया है. इसी क्रम में एसएफजे प्रमुख का नवीनतम मामला है, जिसमें पन्नून की अपील के बाद सीसीएफ ने हस्तक्षेप किया. अधिकारी ने कहा, सीसीएफ को बताया जा रहा है कि उन्हें (सिख फॉर जस्टिस) भारतीय अधिकारियों द्वारा परेशान किया जा रहा है और निशाना बनाया जा रहा है.
सीसीएफ (Commission for the Control of INTERPOL Files) में पांच साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त सात सदस्य शामिल हैं. इसमें एक स्वतंत्र निकाय है जो यह सुनिश्चित करता है कि इंटरपोल के चैनलों के माध्यम से संसाधित सभी व्यक्तिगत डेटा संगठन के नियमों के अनुरूप हों. वहीं आयोग के तीन कार्य हैं, जैसा कि इंटरपोल के संविधान में परिभाषित किया गया है. इसमें एक पर्यवेक्षी भूमिका, एक सलाहकार भूमिका और एक प्रसंस्करण भूमिका शामिल है, जिसमें यह इंटरपोल सूचना प्रणाली में डेटा तक पहुंच, सुधार या हटाने के लिए व्यक्ति के अनुरोधों को संभालते हैं.
हालांकि, इंटरपोल के इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने कहा कि रेड नोटिस एक अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है, और इंटरपोल किसी भी सदस्य देश को किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि यह इंटरपोल के लिए किसी मामले की योग्यता या राष्ट्रीय अदालतों द्वारा लिए गए निर्णय का न्याय करने के लिए नहीं है, यह एक संप्रभु मामला है. हमारी भूमिका यह आकलन करना है कि रेड नोटिस का अनुरोध हमारे संविधान और नियमों के अनुरूप है या नहीं. उन्होंन कहा कि हम इस तरह के अनुरोध स्वीकार नहीं कर सकते हैं जैसे यह राजनीतिक, सैन्य, धार्मिक या नस्लीय चरित्र या डेटा के प्रसंस्करण पर हमारे नियमों के अनुसार नहीं होना आदि.
ये भी पढ़ें - इंटरपोल महासभा को संबोधित करेंगे पीएम मोदी, संस्था के महासचिव दिल्ली में मौजूद